
लैंगिक समानता आज के समय की एक अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है। समाज के हर वर्ग में नारी को उसका अधिकार, सम्मान और स्वतंत्रता देना आवश्यक है। इसी दिशा में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान (RSKS India) द्वारा एक प्रभावशाली पहल की गई, जिसके अंतर्गत ग्रामीण विद्यालयों की बालिकाओं के माध्यम से लैंगिक समानता विषय पर एक सशक्त नाटक मंचित किया गया। यह नाटक न केवल मनोरंजन का माध्यम बना, बल्कि समाज को एक गहरी सोच और आवश्यक संदेश भी दिया। बालिकाओं ने इस प्रस्तुति में अपनी प्रतिभा, संवेदनशीलता और जागरूकता का ऐसा परिचय दिया जिसे देखकर उपस्थित दर्शक भावविभोर हो गए।
इस नाटक में बालिकाओं ने सामाजिक ढांचे में व्याप्त लिंग भेद, बाल विवाह, शिक्षा में असमानता और घरेलू कार्यों में भेदभाव जैसे मुद्दों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। उनके अभिनय, संवाद और भाव-भंगिमा ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि समाज में बदलाव की वाहक भी बन सकती हैं। नाटक के ज़रिए यह संदेश दिया गया कि लड़कियाँ भी हर क्षेत्र में लड़कों के बराबर हैं और उन्हें भी समान अवसर मिलना चाहिए। ग्रामीण पृष्ठभूमि की इन छात्राओं की प्रस्तुति को न केवल विद्यालय स्टाफ बल्कि अभिभावकों, गांव के वरिष्ठजनों और मीडिया द्वारा भी भरपूर सराहना मिली। यह प्रदर्शन यह भी दर्शाता है कि जब बालिकाओं को मंच और अवसर मिलता है, तो वे समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम हैं।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल नाटक दिखाना नहीं था, बल्कि ग्रामीण समाज की सोच में लिंग भेद, बाल विवाह, शिक्षा लाना था। इस प्रकार की प्रस्तुतियाँ समुदाय में गहरी जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं। लैंगिक समानता केवल एक नारा नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और न्याय की बुनियाद है। RSKS India जैसी संस्थाएं जब ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की रचनात्मक गतिविधियाँ करती हैं, तो न केवल बालिकाओं को मंच मिलता है बल्कि पूरा समाज भी सोचने पर मजबूर होता है। यह नाटक एक मिसाल बन गया कि किस तरह शिक्षा और कला के माध्यम से समाज को संवेदनशील और समानतापूर्ण बनाया जा सकता है। यह पहल आने वाले समय में अनेक और बेटियों को आगे बढ़ने, बोलने और नेतृत्व करने की प्रेरणा देगी।
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