''बचपन से समानता की शिक्षा: एक चित्रकारी पहल''
इस प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों ने यह समझाने का प्रयास किया कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए पुरुष और महिला दोनों को शामिल करना जरूरी है। बच्चों के निबंध में यह स्पष्ट है कि वे केवल रंग से नहीं, बल्कि अपने विचारों से भी लैंगिक भेदभाव को खत्म करने का संदेश दे रहे हैं। कई बच्चों ने महिलाओं की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और समाज में अपनी भूमिका को बड़े पैमाने पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता के दौरान स्कूल में बच्चों को प्रेरित किया गया और बताया गया कि कैसे बचपन से ही लैंगिक समानता की समझ विकसित करके एक बेहतर समाज की नींव रखी जा सकती है।
प्रतियोगिता के अंत में सभी साथियों को सम्मानित किया गया, और उत्कृष्ट चित्र प्रस्तुत करने वाले बच्चों को पुरस्कार भी दिए गए। इससे बच्चों को प्रोत्साहन मिलता है और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। आरएसकेएस इंडिया द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल एक प्रतियोगिता थी, बल्कि यह सामाजिक जागरूकता का एक सफल प्रयास भी साबित हुआ। ऐसे बच्चों में सकारात्मक सोच, सामाजिक जिम्मेदारी और प्रेरक अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया जाता है। आशा है कि इस प्रकार के कट्टर भविष्य में भी जारी किया गया है, जो एक समता मूलक और वैज्ञानिक समाज का निर्माण संभव हो सकता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें