संदेश

समाज में बच्चों की सुरक्षा : आत्म-संरक्षण की भावना विकसित करने का प्रयास

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हमारे सामाजिक परिवेश में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिलते है ! जो प्रभाव हमें सदगुण और ऊर्जा देते है वो सकारात्मक श्रेणी में आते है ! और जो हमारी मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव देते हुये जीवन को अस्त वयस्त करते है वो नकारात्मक श्रेणी में आते है कुछ इस प्रकार से समाज में बच्चों के प्रति भाव और स्पर्श बहुत मायने रखता है , एक माता पिता , शिक्षक , घर के बुजुर्ग़ जब अपने बच्चों पर सहानभूति का स्पर्श करते है तो वह मन को एक सुखद अहसास करवाता है जबकि जो स्पर्श अनचाहे अंग को छुये और वह हमे व्यथित करे तो वह बुरा स्पर्श कहलाता है ! यही शिक्षा हमारे स्ट्रीट, झुग्गी झोपड़ी, स्लम एरिया, निचली बस्तियाँ  को देने के लिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा एक दिवसीय गुड टच बैड टच का कार्यक्रम किया गया ! जिसमे संस्था प्रतिनिधियों ने सभी बालिकाओं को यह जानकारी प्रदत की ! यह सभी जानकारियां विविध गतिविधि के माध्यम से उनको बताई गई !  अगर सकारात्मक दृस्टि से देखा जाये तो प्रत्येक विद्यालय को यह कार्यक्रम अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर देना चाहिये जिससे सभी उम्र की बालिकाओं को...

बच्चों को शारीरिक सुरक्षा और आत्म-संरक्षण के बारे में जागरूकता"

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हमारी इंसानी प्रवर्ति में बहुत सारे अहसास छुपे होते है जो कभी दिखाई नहीं देते है परन्तु उन अहसासों को हम महसूस अवश्य कर सकते है कुछ अहसास या शारारिक स्पर्श सकारात्मक होते है जबकि कुछ नकारात्मक प्रभाव वाले होते है वहां व्यक्ति की प्रवृति व् नियत का हमे पता चलता है ! कोई व्यक्ति आपके शरीर के उस हिस्से को छूता है जहां आप नहीं चाहते की कोई उसे छुये तो वह बुरा स्पर्श कहलाता है ! और यदि कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है या स्नेह की अनुभूति का अहसास होता है तो यह गुड टच कहलाता है हमारे समाज में बढ़ती उम्र की  स्ट्रीट, झुग्गी झोपडी, निचली बस्तियों के बच्चों यह ज्ञान देना अति आवश्यक है ताकि वह अपनी सुरक्षा को समझे और इसे पूरा करें !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष हजारों स्कूली बालिकाओं के साथ गुड टच बेड टच का कार्यक्रम किया जाता है जिससे उनको विभिन्न तरह से शारारिक स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श का ज्ञान प्रदत किया जाता है ! बालिका के बढ़ते शरीर व् उम्र के साथ ही माता -पिता व् शिक्षक के द्वारा यह जानकारियां प्रारंभ ...

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना- आशा और आत्मनिर्भरता का मार्ग

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मेरा नाम सुनीता है मैं एक बहुत गरीब और विधवा महिला हूँ मेरे 1 बेटा है जो बहुत छोटा है पहले तो जैसे तैसे मैं अपना गुजारा कर लेती थी परन्तु बच्चे की शिक्षा, घर खर्च की वृद्धि को देखते हुए मेरा कार्य करना बहुत जरुरी था ! लेकिन मुझे कोई राह , दिशा , जानकारी प्राप्त न होने के कारण दिल में डर का भाव बना रहता था ! फिर पड़ोस की महिला के द्वारा मुझे स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला ! जिसमे सभी महिलायें मिलकर एक समूह गठित करती है और अपनी छोटी छोटी बचतों से एक दूसरे की मदद करती है यह बात जानकार मैंने एक समूह में अपना नाम लिखवा लिया और अपनी समूह के बचत के माध्यम से अपनी छोटी मोटी जरूरतों को इसी से पूरा करने लगी ! परन्तु मैं स्वयं का अपना कोई रोजगार डालना चाहती थी ! फिर हमारे समूह को 1 वर्ष पश्चायत बैंक से ऋण प्राप्त हुआ और फिर मैंने अपने कृषि  कार्य को प्रारंभ किया ! धीरे धीरे मैंने इस कार्य से प्राप्त राशि को बैंक किश्त रूप में अपने ऋण में चुकौती करवाई ! अपने इस कार्य को करने में पूर्ण स्वतंत्र हो गई ! स्वयं सहायता समूह महिलाओ को वो मंच प्रदान करता है जहां पर उसे अपने विचार अभिव्यक्त...

महिला हिंसा उन्मूलन और शिक्षा का संदेश: पुष्कर मेला में एक सामाजिक प्रयास

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राजस्थान की पावन धरा पर पुष्कर मेला अन्त राष्ट्रीय  ख्याति प्राप्त मेला है ! जहा दुनिया भर से लोग इसका आनद लेने के लिए आते है यहाँ सभी लोगो का जैसे संगम सा लग जाता है ! यह एक पशु मेला है जिसमे बहुत से पशु यहाँ खरीद फरौत के लिए आते है ! यह ब्रम्हा जी का एक मात्र मंदिर है जहा एकादशी को पूजा होती है इस मेले में अत्यधिक भीड़ आने से यहाँ सड़क व्यवस्था थप पड़ जाती है उसे सुचारु रूप से चलाने हेतु व्यवस्थित सड़क व्यवस्था का होना जरुरी है जो उनको व्यवस्थित रखे ! इसके लिए संस्था द्वारा राजस्थान परिवहन सड़क सुरक्षा सप्ताह में अपने प्रतिनिधियों द्वारा सहयोग प्रदान किया जाता है।  संस्था द्वारा इस मेले में कार्य करने का एक और उद्देश्य था जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है इस वर्ष का मुख्य विषय महिला उत्पीड़न रोकथाम कार्यक्रम था ! जिसमे महिलाओं के ऊपर बढ़ते अत्याचार को काम किया जा सकें और उस पर क़ानूनी दबाव बनाया जा सकें ! इस कार्यक्रम में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना , बाल विवाह को समाप्त करना , महिला उत्पीड़न को काम करना आदि बातें व् विषय शामिल थे ! इस कार्यक्रम में आये सभी मेलार्थी के साथ मिलकर ह...

"महिला शिक्षा और उद्यमिता - ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार

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मेरा नाम भंवर लाल नायक है मैं अजमेर के पास कायड़ ग्राम का रहने वाला हूँ ! ग्रामीण जीवन और परिवेश बहुत सीधा साधा सा होता है जिसमे आधुनिकतम ज्ञान, विज्ञानं की जानकारियों की कमी अक्सर बानी रहती है ! जिसके कारण कभी कभी परिस्थितियां विपरीत बन जाती है ! इसका शिकार अधिकतर महिलाये ही होती है क्योकि बालिका शिक्षा, बाल विवाह, स्त्री शिक्षा पर रोक आदि बातें उन तक जानकारी पहुंचने नहीं देते ! एक महिला भी बाहर की दुनिया देखना चाहतीं है खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और साथ ही स्वयं को समाज में स्थापित भी करना चाहती है परन्तु साधन और संसाधनो के अभाव में वो इस विषय पर कार्य नहीं कर पाती है ! यदि इनको सही राह और ज्ञान हो जाये तो यह अपना विकास स्वयं कर सकती है !  इसी विषय पर हमारे ग्राम में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा 1 दिवसीय उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम रखा गया ! जिसमें महिलाओं के लिये उनके कौशल को उन्नत करने हेतु कई प्रकार की गतिविधियां इस कार्यक्रम में शामिल थी ! जिसमे उनकी समझ अच्छे से विकसित हो सके ! और वह भी रुचिअनुरूप अपने कार्य का चयन कर उस विषय की समस्त जानकारी भी प्राप्त कर सके...

स्वस्थ शरीर, स्वस्थ विचार: महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में पहल

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शारीरिक स्वच्छता एवं स्वास्थ्य मानव जीवन की वो स्वास्थ्य विशेषता है जो उसे निरोगी काया प्रदान करता है और ऊर्जा का संचार करता है ! इसलिये भारतीय शास्त्रों में भी कहा जाता है `` पहला सुख निरोगी काया `` यह बात पूर्ण सार्थक सिद्ध होती है एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचारों का जन्म होता है और वह द्रस्टिपटल पर पूर्ण रूप से कार्य करते है ! परन्तु आज भी हमारे ग्रामीण जीवन का परिवेश वही पुराणी आदतों और परम्पराओ से घिरा है जहां मानवीय विचारधाराएं आज भी संकीर्ण और संकुचित है मैं भी एक ग्रामीण महिला हूँ मेरा नाम विजयलता है मैं कक्षा 8 वीं मई पढ़ती हूँ ! और इस विषय पर थोड़ी जानकारी रखती हूँ !   राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे गांव में बी हैप्पी बी स्माइल का यह कार्यक्रम किया गया इसमें महिला को हाइजीन बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है और स्वास्थ्य संबधी वो महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जिनसे वो अभिन्न थी ! इस कार्य के प्रति आजकल सरकार भी सचेतक है और महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे कार्यक्रम चला रही है संस्था प्रतिनिधि द्वारा हाइजीन सेनेटरी पेढ़ की विशेषताओं के बारे में सभी को बताया...

परम्परागत सोच और आधुनिक स्वच्छता: ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य यात्रा

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आज के इस बढ़ते दौर में अगर हम परम्परागत बातें करे तो यह दक़ियासूनी बात होगी ! आज का युग आधुनिकतम है जहां विज्ञानं अपनी संभावनाओ को आगे बढ़ाते हुए मानव विकास के विभिन्न साधन उपलब्ध करवा रहा है ! जिसमे उनको शारारिक, मानसिक, आर्थिक लाभ की प्राप्ति हो सके ! परन्तु ग्रामीण भाग अभी नहीं इससे बहुत दूर और अछूते है इसका मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा, परम्परावादी विचार, सामाजिक कुरीतियाँ या पारिवारिक बंधन इसमें शामिल है ! महिलाओं में होने वाला ऋतु स्राव चक्र एक मासिक आम प्रकिर्या है ! जिसमे एक और तो शिक्षित समाज की महिलायें विज्ञानं के सहारे खुद को स्वच्छ व् स्वस्थ रखते हुए हाइजीनिक बन रही है व् सेनेटरी पेड का प्रयोग कर रही है तो दूसरी और अशिक्षित ग्रामीण भागों की महिलायें  आज भी पुराने कपड़ो का प्रयोग कर खुद को दूषित बना रही है व् कई घातक बीमारियों को स्वयं के लिए आमंत्रित कर रही है ! यह सोच ही आगे जाकर मृत्यु का कारण बनती है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस वर्ष के प्रांरभ में ही ग्रामीण महिलाओं के साथ वृह्द पैमाने पर बी हैप्पी बी स्माइल कार्यक्रम किया गया ! यह कार्यक्रम लगभग 20 गा...