छोटी सी छतरी, बड़ी मुस्कान: झुग्गी बच्चों की सुरक्षा की पहल
झुग्गी इलाकों में रहने वाले अधिकतर परिवार दिहाड़ी मजदूरी, रिक्शा चलाने या छोटे-मोटे कामों पर निर्भर होते हैं। उनके पास इतने संसाधन नहीं होते कि वे अपने बच्चों के लिए रेनकोट या छतरियां खरीद सकें। ऐसे में बारिश के मौसम में बच्चों को भीगकर स्कूल या अन्य जगहों पर जाना पड़ता है, जिससे वे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इस जरूरत को समझते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर इन बच्चों को छतरी उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया। कार्यक्रम के अंतर्गत सैकड़ों बच्चों को रंग-बिरंगी और मजबूत छतरियां वितरित की गईं।
छतरियां मिलने पर बच्चों के चेहरों पर जो खुशी देखने को मिली, वह किसी भी इनाम से बढ़कर थी। बच्चों ने बताया कि अब वे बारिश में भी बिना भीगे स्कूल जा सकेंगे और खुद को सुरक्षित रख सकेंगे। इससे न केवल उनकी पढ़ाई प्रभावित होने से बचेगी, बल्कि वे बीमारियों से भी बच पाएंगे। यह पहल उनके आत्म-सम्मान और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी साबित हुई है। साथ ही, अभिभावकों ने भी इस सहायता के लिए आभार व्यक्त किया, क्योंकि उनके लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय था।
इस तरह के कार्यक्रम समाज के उन हिस्सों तक राहत पहुंचाते हैं, जो अक्सर विकास की दौड़ में पीछे छूट जाते हैं। छतरी वितरण जैसा छोटा सा कदम इन बच्चों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। यह पहल न केवल मौसम से सुरक्षा देती है, बल्कि यह भी बताती है कि थोड़े से प्रयास से किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे प्रयास और भी जगहों पर किए जाएं ताकि हर बच्चे को सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हक मिल सके।
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