बच्चों को शारीरिक सुरक्षा और आत्म-संरक्षण के बारे में जागरूकता"
हमारी इंसानी प्रवर्ति में बहुत सारे अहसास छुपे होते है जो कभी दिखाई नहीं देते है परन्तु उन अहसासों को हम महसूस अवश्य कर सकते है कुछ अहसास या शारारिक स्पर्श सकारात्मक होते है जबकि कुछ नकारात्मक प्रभाव वाले होते है वहां व्यक्ति की प्रवृति व् नियत का हमे पता चलता है ! कोई व्यक्ति आपके शरीर के उस हिस्से को छूता है जहां आप नहीं चाहते की कोई उसे छुये तो वह बुरा स्पर्श कहलाता है ! और यदि कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है या स्नेह की अनुभूति का अहसास होता है तो यह गुड टच कहलाता है हमारे समाज में बढ़ती उम्र की स्ट्रीट, झुग्गी झोपडी, निचली बस्तियों के बच्चों यह ज्ञान देना अति आवश्यक है ताकि वह अपनी सुरक्षा को समझे और इसे पूरा करें !
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष हजारों स्कूली बालिकाओं के साथ गुड टच बेड टच का कार्यक्रम किया जाता है जिससे उनको विभिन्न तरह से शारारिक स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श का ज्ञान प्रदत किया जाता है ! बालिका के बढ़ते शरीर व् उम्र के साथ ही माता -पिता व् शिक्षक के द्वारा यह जानकारियां प्रारंभ कर देनी चाहिये ! हमारा समाज आज भी शर्म , झिझक, रीती-रिवाज , पुराने चलन के कारण इस शिक्षा को ग्रहण करने और दुसरो को देने से पिछड़ जाता है ! जो की आज के आज के इस बदलते दौर में बेहद आवश्यक है ! एक अच्छी व् सही शिक्षा का मापदंड उसके भविष्य और जीवन में बहुत अहमियत रखता है ! संस्था का भी यही प्रयास रहता है की अधिक से अधिक बालिकाओं को इस शिक्षा से लाभान्वित किया जा सके !
स्कूली बालिका को अपने माता -पिता को बातें अवश्य बतानी चाहिये ! की उक्त व्यक्ति मुझे ऐसे छू रहा है जो मुझे पसंद नहीं है और इसे रोकना होगा ! उन्होंने मेरे साथ ऐसे किया मैं इस व्यक्ति के आस पास सुरक्षित महसूस नहीं करती हूँ ! अगर आप जिस व्यक्ति के पास जाते है वे आप पर विश्वास नहीं करते तो किसी ऐसे व्यक्ति के पास जायें जिसके साथ आप सुरक्षित हो , जब तक आप पर कोई विश्वास न करे और यह समस्त जानकारी देने के बाद समस्त स्कूल स्टाफ भी इस बात से पूर्ण सहमत था की यह शिक्षा हमारे दृश्टिकोण का सकारात्मक विस्तार करेगीं और हम एक सभ्य समाज की स्थापना में अपना सहयोग निभा पायेंगे ! स्कूल भी इस कार्य में अपना समर्थन रखती है और इसे आगे तक इस प्रकार ही पूर्ण करेगी ! हमे अपनी सोच को वृहद बनाते हुए धकियासूनी बातों को दूर करना होगा और इस बढ़ते भविष्य का जीवन और बालिका को समाज के बुरे लोगों से दूर रखना होगा !
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