क़ानूनी जागरूकता: महिलाओं और बालिकाओं के लिए सशक्तिकरण का माध्यम


माज के कमजोर और वंचित वर्गों निशुल्क और सक्षम क़ानूनी सेवाएं प्रदान करने की भावना और उद्देश्य विफल हो जायेगा यदि कमजोर वर्ग को उनके विभिन क़ानून और सवैधानिक अधिकारों के बारे जागरूक नहीं किया जा सका। निरक्षरता, वयक्ति को उसके साथ किये गए अन्याय को पहचाने में असमर्थ बनती है जब कोई वयक्ति बुनियादी मानवाधिकारो से अनभिज्ञ होता है तो सामाजिक कल्याण योजनायें प्रभावी नहीं हो पाती है। क्युकी वह सरकार दवारा अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए दिए जाने वाले अवसरों का लाभ उठाने में असमर्थ होता है। क़ानूनी साक्षरता मानवाधिकारों को प्रदर्शित करता है। 


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ एवं बालिकाओ के साथ क़ानूनी अधिकार पर जागरूकता के बहुत से कार्यक्रम वर्ष भर किये जाते है। जिस में महिलाओ के क़ानूनी अधिकारों के बारे में सभी को विस्तारपूर्ण बताया व् समझाया गया। इस मई सबको फिलिप चार्ट के माध्यम से, कहानी व् नाटकीय रूपांतरण द्वारा, यौन उत्पीड़न, व् उसके रोकथाम और उसके उपाय, महिला हिंसा के बारे में और अपराधिक तत्वों से बचाव हेतु समस्त जानकारियाँ  महिलाओ को क़ानूनी अधिकार के बारे में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अच्छे से बताया व् समझाया जाता है। 


क़ानूनी जागरूकता को क़ानूनी शिक्षा या साक्षरता भी कहा जाता है। यह कानून से जुड़े मुद्दों के बारे में महिलाओ का सशक्तिकरण है कानून और न्याय प्रणाली से सम्बन्घित सार्वजानिक जागरूकता और कोसल का निर्माण करने के उद्देश्य से कई गतिविधिया शामिल है। ऐसा इसलिए है क्योकि कानून एक बड़े सगंठनात्मक परिस्थितिकी तंत्र के हिस्से में मौजूद होते है। यह सभी जानकारिया पाकर ग्रामीण महिलाये और बालिकाएं बहुत खुश थी। सबके चेहरे पर आत्मविश्वास इस बात की और इशारा कर रहा था की उनका आने वाला भविष्य सजगतापूर्ण होगा, जागरूकता बढ़ेगी, समता निर्माण होगा, क़ानूनी सशक्तिकरण बढ़ेगा।  सभी को सामाजिक न्याय कार्यो से परिचित करवाएगा व् एकजुटता बढ़ेगी।     

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