समर्थन और सहायता : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समाज सेवाओं की अद्वितीय पहल



राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था सदा ही दिव्यांगों के कार्य हेतु प्रयासरत में प्रत्यनशील है। समाज के इस उपेक्षित वर्ग को हमेशा किसी न किसी मदद की आवश्यकता रहती ही है। हमारे द्वारा की गई एक जरा सी मदद से उनके विकास की कुछ राहें संभव हो जाती है। हमारे गांव व समाज में कई दृष्टिबाधित, मूकबधिर, तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों का जिनके जीवन यापन के लिए स्वयं का ना तो कोई साधन है और ना ही व किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं जिससे वह समस्या से घिरे रहते हैं। व आर्थिक रूप से भी सशक्त नहीं होते कि स्वयं की समस्या हल कर सके।


विकलांग का मुख्यता निम्न प्रकार की होती है। दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित,वाक बाधित, चलन बाधित, मानसिक रोगी, मानसिक मंदता वह बहु विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति होते हैं। विकलांगता में व्यक्तियों को अनेक प्रकार की चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कारण से मन में निराशा, हताशा आदि के भाव आना स्वाभाविक होता है। हम ऐसे तरीके खोजने पढ़ते हैं जिससे उनका मानसिक संतुलन बना रहे और वह अपनी मानवियता न खोये इसके लिए संस्था द्वारा ऐसे व्यक्तियों को चश्मे, बैशाखी, व्हील चेयर, श्रवण यंत्र, व्यायाम उपकरण , दवाइयां आदि दिलवाते रहते हैं जिससे उनको कुछ ना कुछ मदद प्राप्त हो सकें । मानसिक व्यक्ति को 0 से 18 वर्ष तक के हो तो उनको एम आर किट उपलब्ध कराई जाती है।


विकलांग व्यक्तियों को भी उन्हीं सेवाओं और अवसरों तक पहुंच की आवश्यकता होती है जो विकलांग रहित व्यक्तियों को मिलती है। उदाहरण के लिए उन्हें स्कूल जाना, स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करना और आय अर्जित करना आवश्यक है। उन्हें पुनर्वास जैसी विशिष्ट सेवाओं और व्हील चेयर, ब्रेल सामग्री जैसे सहायक उपकरणों तक पहुंच की आवश्यकता है। उपकरण या औजार उन युक्तियों को कहते हैं जो किसी कार्य को करने में सुविधा , सरलता या आसानी प्रदान करता है। सरल मशीन सबसे भौतिक उपकरण कही जा सकती है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान अभी तक 42 गांव के 512 दिव्यांगजनों को विभिन्न प्रकार के उपकरण दिलाकर उनका मानसिक मनोबल बढ़ाने में सहायता प्रदान की है। शेष 432 अभी आवेदित है और बाकी गांव में सर्वेकार्य चल रहा है। शेष को भी लाभान्वित सूची में लाया जाएगा जिससे उन्हें कुछ सहायता प्राप्त हो सके। संस्था इसी ध्येय पर कायम है कि सभी को जीने के समान अवसर प्राप्त हो। और यह मानवता बनी रहे। यह एक सामाजिक मानवीय कार्य है। जिसको करने से आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है। इस क्रम को लगातार ऐसे ही बनाया जाएगा।जिससे इन लोगों को सुविधाएं मिलती रहे मानव सेवाकार्य भलाई का सार्थक रूप  है। यह सदा ही ऐसे ही चलता रहे।

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