कुपोषण से लड़ना: शहरी गरीबी में पोषण शिविरों की भूमिका



 मेरा नाम शंकर बावरिया है मैं पुष्कर की झुग्गी झोपड़ी इलाके में रहता हूं पेशे से मैं मांग कर अपने परिवार का जीवन यापन करता हूं मेरे तीन बच्चे हैं, व पत्नी और माँ घर में रहती है। गरीबी एक अभिशाप है जिसमें इंसान तिल तिल कर मरता है और कभी-कभी अपनी खाने तक की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है । बच्चों और परिवार को कभी-कभी पोषण का अभाव वे खाने तक का अभाव हो जाता है।


हमारे यहां राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा गरीब बच्चों के लिए पोषण शिविरक कार्यक्रम समय -समय पर लगाए जाते हैं, जिसमें बच्चों को न्यूट्रिशन, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट जैसी कई खाद्य सामग्रियां उनके हाथों को धूलवा कर उन्हें प्रदान की जाती है। इसके सेवन से इन बच्चों का स्वास्थ्य बहुत हद तक ठीक हो रहा है। वह उनके शरीर का विकास शनै-शनै हो रहा है। यह कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक विकास में बहुत उपयोगी है। इसमें बच्चों को पनीर,मिठाई ,फल, चने, दाल, दूध आदि दिया जाता है जिससे बढ़ते बच्चों के लिए यह बहुत सहायक सिद्ध होता है। संस्था प्रतिनिधि इस कार्यक्रम से पहले स्वच्छता का सबको ज्ञान देते हैं ताकि सभी स्वस्थ व स्वच्छ रह सके।


बच्चों के लिए इस तरह का कार्यक्रम पोषण की समस्या को समाप्त करता है। संस्था द्वारा जहां-जहां गरीब समुदाय में झुग्गी झोपड़ी,स्ट्रीट वाले बच्चे हैं, वहां अपनी मूलभूत सुविधाएं प्रदत्त करती है और पोषण हेतु पोषक सामग्री उपलब्ध कराती है। इस नेक कार्य से इन गरीब असहाय बच्चों को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व इस पोषण से मिलता है।


हम सभी समुदाय के लोग राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के आभारी हैं जिसके माध्यम से हमारे बच्चों में कुपोषण की समस्या ने कभी घर नहीं किया और हमको भी इस परेशानी से बहुत निजात मिली है। हमारे यहां किसी और के द्वारा कोई मदद नहीं की जाती है। परंतु संस्था इस तरह के कार्यक्रम हमारे यहाँ हमेशा किये जाते हैं | सदस्यों का व्यवहार व उनका कार्य प्रशंसा करने योग्य है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का हम सभी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों की तरफ से संस्था का बहुत धन्यवाद और हम सभी आशा करते हैं कि भविष्य में यह कार्य यूं ही चलता रहे जिससे हमारी इस पीढ़ी को इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता रहे।

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