सपनों की उम्मीद और शिक्षा की राह: एक बालिका की कहानी


जिंदगी में अगर सपनें सच हो जाये तो जिंदगी के अरमान हो कुछ और होते है ! दुनिया में हर कोई सपने देखता है व् छोटे बड़े कुछ भी हो सकते है ! जिंदगी हर कोई अपने नजरिये से जीना चाहता है मगर सामाजिक रीति -रिवाज, रिश्ते, प्रचलन, दिखावा आदि में फंस कर ही रह जाते है ! कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ ! मेरा नाम बरखा है मैं 16 वर्ष की हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है हम घर में कुल 7 सदस्य है दादा दादी भी हमारे साथ रहते है शेष 2 मेरे भाई है वे स्कूल पढ़ने जाते परन्तु दादा जी की इच्छा है की मैं अपनी आँखो  से वो मेरी शादी देखें ! इसलिए पिता जी ने मेरा स्कूल छुड़वा दिया और मेरा रिश्ता तय कर दिया ! जिस वजह से मुझ में बहुत निराशा भर गई ! स्कूल जाने और आगे पढ़ाई करने का मैंने पिता जी कहा पर वह समाज, दादा के वचन और प्रथाओं से जुड़े थे ! इस लिए इंकार कर दिया ! 


फिर एक दिन स्कूल प्रशासन द्वारा एक गैर वित्तीय संस्थान जिसका नाम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान है ! जो वंचित, गरीबी, निर्धन, विकलांग, जरूरतमंद बालिकाओं के लिए शिक्षा सम्बन्धी कार्य करती है उनके प्रतिनिधि हमारे घर आये और सभी परिवार जनों से बातचीत की ! उन्होंने बताया की बालिका शिक्षा का क्या महत्व है कैसे शिक्षा प्राप्त कर वो आत्मनिर्भर बन सकती है स्वयं कोई कार्य या व्यवसाय कर परिवार की जरूरतों में एक पुरुष की भांति सहयोग कर सकती है इसका इस तरह नाबालिग अवस्था में शादी करना इसके शरीर व् जीवन के लिए कितना हानिकारक हो सकता है ! जल्दी गर्भ धारण करने से इसको कई तरह की बीमारियां लग सकती है व् जान भी जा सकती है ! संस्था प्रतिनिधि के समझाने पर मेरे माता पिता पूरी तरह से मान गए की उन्होंने जो किया वो गलत है फिर उन्होंने मेरे दादा जी को भी बहुत इस बात के लिए बहुत अच्छे से समझाया !फिर वो भी मान गए !  यह बात जानकार मेरे मन को बहुत अधिक प्रसन्नता हुई ! फिर संस्था प्रतिनिधियों ने मेरा सर्वे प्रपत्र फॉर्म भरा और मुझे स्कूल में फिर से दाखिला मिल गया !


इसके कुछ दिन बाद में फिर से स्कूल जाने लगी और अपना अध्ययन पुनः प्रारंभ किया ! अब मैंने सोच लिया  था की मैं इतनी मेहनत करुँगी की कुछ बनकर ही अपने परिवार वालों को दिखाऊंगी ! इसके बाद मैंने अपना वक़्त अपने अध्ययन को ही देने लगी ! संस्था द्वारा मुझे बहुत सारी शिक्षण सामग्री दी गई ! जिसको पाने के बाद मुझे वर्ष भर तक किसी भी सामान की जरूरत नहीं होगी ! सच में इसके बाद मेरा और परिवार का जीवन पूरी तरह  से बदल गया ! यह सब कुछ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के अथक प्रयासों का नतीजा ही है ! मेरे जैसी कई और भी बालिकाओ को इसका लाभ मिला है औरो  को भी मिलेगा ! मैं ह्रदय से संस्था का व् उनके प्रतिनिधियों का धन्यवाद करती हूँ !

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Believe in Humanity....

BE FREE; Happy Period with Sanitary Napkins!!

Save the innocent Sparrow Birds