शिक्षा के प्रति आत्मनिर्भरता: एक परिवर्तन की ताकत शिक्षा से जीवन की ओर

 


मेरा नाम नीतू है और मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय केसरपुरा में छठी क्लास की छात्रा हूं मेरे पिता का एक सड़क दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया है वह घर में मेरी विकलांग माँ और एक भाई है स्कूल में पढ़ने के लिए मेरे पास फीस तक पैसे नहीं है जिसका कारण मुझे अध्ययन में  बहुत परेशानी हो रही है इस परेशानी से मैंने शाला प्रधान को अवगत कराया उनके द्वारा मुझे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों के बारे में बताया। व इस विषय पर उनसे मेरी बात भी करवाई गई |


फिर दिन संस्था के कुछ प्रतिनिधि पाठशाला में आए वे शाला प्रधान से मेरे घर जाने की बात कर हमारी स्थिति को जांचा व पुन् शाला में आकार आश्वासन दिया की हम तुम्हारी फीस व शिक्षण सामग्री का बंदोबस्त करते हैं फिर एक दिन शाला प्रधान को उन्होंने एक वर्ष की फीस की रकम एक साथ शाला में जमा करा दी | इस बात से मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हुआ उनका यह कार्य मुझे और लगन देगा जिससे मैं और अच्छा पढ़ लिखकर कुछ बनकर अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओ को पूरा कर सकूँ |


समाज में ऐसा कई निराश्रित परिवार है जिनके बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं मगर घर की माली हालत व गरीबी के कारण आगे तक नहीं पढ़ पाते हैं अगर ऐसी शिक्षा से वंचित छात्र छात्राओं को पूरा प्रोत्साहन मिले तो वह भी अन्य बच्चों की भांति आगे पढ़ लिख सकते हैं  है किसी का यह योगदान किसी बच्चे का भविष्य बना सकता है व उसे इस प्रकरण में  आथिर्क मदद प्रदान कर उसका भविष्य आगे बढ़ा सकता है। संस्था के द्वारा किये जा रहे हैं इस तरह के सामाजिक  कार्यक्रम बहुत मददगार व उपयोगी  होते है मैं और मेरा परिवार संस्था के इस कार्य के लिए संस्था प्रभारी और प्रतिनिधियों का कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं।  जिनके  प्रयास से मेरा फिर सुचारु रूप से अध्ययन प्रारंभ हो सका है |


संस्था द्वारा मुझे यह भी कहा गया अगर भविष्य में कभी भी शिक्षा से संबंधित कोई परेशानी हो तो इस समस्या से उन्हें अवगत कराएं। संस्था द्वारा इसका
समाधान किया जाएगा |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Stand Together Against COVID-19

Rajasthan Samgrah Kalyan Sansthan (RSKS

क़ानूनी जागरूकता: महिलाओं और बालिकाओं के लिए सशक्तिकरण का माध्यम