सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी



सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है।


पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की मूलभूत समस्याओं के लिए जागरूकता अभियान का काम कर रही है। वर्ष 2011 में उन्हें इसी संस्थान का निर्देशन बना दिया। उन्होंने समाज के उत्थान के लिए पानी से जुड़ी समस्याएं, प्रकृति और वातावरण से जुड़े मुद्दों पर भी काम किया है।


1990 की शुरुआती दिनों में उन्होंने कई वैश्विक पर्यावरण मुद्दों पर गहन शोध और वकालत करना शुरू कर दिया। वर्ष 1985 से ही वे कई पत्र -पत्रिकाओं में लिखकर जागरूकता फैलाने में काम में लगी रही।


उनके बेहतरीन कार्यों के प्रतिफल में वर्ष 2005 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष उन्हें स्टॉक होम वॉटर प्राइस और वर्ष 2004 में मीडिया फाउंडेशन चमेली देवी अवार्ड प्रदान किया। अपने कार्यों से मिलें इन अवॉर्डों से संतुष्ट होकर उन्होंने इस और काम करना छोड़ा नहीं | उनकी जागरूकता अभियान का दायरा प्रतिवर्ष बढ़ता ही रहा है। वह पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के अलावा नक्सलवाद,राजनीतिक भ्रष्टाचार, बाघ व पेड़ संरक्षण और अन्य सामाजिक विषयों पर अपने विचार व्यक्त करने लगी | इसके लिए उन्होंने प्रिंट मीडिया का सहारा लिया। देश के ज्यादातर पढ़े जाने वाले अखबारों में उनके कालम थोड़े-थोड़े अंतराल पर आते रहते हैं। उनका मानता है कि जागरूकता फैलाने के लिए सशक्त माध्यम होना चाहिए | जो आम लोगों तक आपकी बात पहुंच सके।


इतनी खास होने पर भी जब आप सुनीता को सामने से देखोगे तो उनके सादे विचार और व्यवहार के साथ शालीन कपड़ों और चेहरे पर तेज आभा के साथ पाएंगे। उनका व्यक्तित्व न केवल उनके लगभग 100 कर्मचारी वाले संस्थान सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है बल्कि युवा पीढ़ी और महिलाओं के लिए उनका संपूर्ण अस्तित्व प्रेरणादायक है।

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