"हिंसा मुक्त जीवन: झुग्गी बस्तियों में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा और शिक्षा"


 

आजकल हमारे समाज में झुग्गी बस्तियों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों का जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ है इनमें से कई महिलाओं और बच्चें हिंसा के शिकार होते है जो शारारिक , मानसिक और यौन उत्पीड़न के रूप में सामने आती है यह इस बात पर केन्दिरत है की झुग्गी बस्तियों में महिला हिंसा के मुद्दे को कैसे समझा जाता है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा सकते है राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का मानना है झुग्गी बस्तियां आमतौर पर अव्यवस्थित , संकुचित और संसाधनों की कमी वाली होती है। यहाँ के निवासी मुख्य रूप से कम आय वाले होते है और रोजगार के अवसर भी सिमित होते है ऐसे माहौल में महिलाओं और बच्चों का शोषण अधिक होता है।  महिलाओं की शिक्षा कम होती है। और वे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये कई बार घरेलु हिंसा का सामना करती है लेकिन सामाजिक ताने बाने की वजह वे इसे सहन करती है। 


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रतिनिधि इन स्थानों पर जाकर इन बच्चों को सेल्फी , बैनर , प्रशोत्तरी , गतिविधियां , व्याख्यान, आदि माध्यम से जानकारियां देते है जिसमें महिला हिंसा रोकथाम के उपाय बताये जाते जैसे सजगता और जागरूकता , शिक्षा एवं कौशल विकास, क़ानूनी सहायता , सामाजिक सुरक्षा प्रणाली व् समुदाय आधारित प्रयास इत्यादि है हमें यह उपाय अपनाकर इसे काम करने के प्रयास निरंतर करते रहने चाहिये। झुग्गी बस्तियों में महिला हिंसा एक गंभीर समस्या है जो न केवल महिलाओं के लिये बल्कि पुरे समाज के लिए चुनौतीपूर्ण है।  इसे समाप्त करने के लिए हमे एक समग्र दृश्टिकोण की आवश्यकता है जिसमे शिक्षा जागरूकता , क़ानूनी सहायता और सामाजिक सुरक्षा शामिल हो। हम सब मिलकर प्रयास करे तो हम झुग्गी बस्तियों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों को हिंसा से मुक्त और सुरक्षित जीवन दे सकते है। 


आर्थिक असमानता , शराब और मादक पदार्थो का सेवन , संस्कृति और परम्पराओं का प्रभाव , क़ानूनी जागरूकता की कमी , गरीबी इस हिंसा के मुख्य कारण है।  यहाँ  महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित नहीं करती बल्कि इसका समाज और देश के समग्र विकास पर भी गहरा असर पड़ता है यह हिंसा महिलाओं की मानसिकता और शारारिक स्वास्थ्य को बिगाड़ देती है जिसमें उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और वो समाज के किसी कार्य में सही तरीके से भाग नहीं ले पाती है इसका असर उनकी संतान पर भी पड़ता है जिसमें आगामी पीढ़ियों में भी हिंसा और असुरक्षा की स्थिति बनी रहती है महिलाओं का शोषण और उनकी उपेक्षा समाज में असमानता को और बढाते है जो सामाजिक व्यवस्था को कमजोर करता है। 

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