"गरीबी और असमानता: एक सामाजिक चुनौती"


रीबी, भूख,लाचारी वो अहसास है जो व्यक्ति को मृत्यु का ग्रास बनने पर मजबूर कर देती है इंसान को विवशता इतना लाचार व् असहाय बना देती है की वो समाज में वो मदद मांगने का पात्र बन जाता है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही समाज के अशक्त गरीब निर्धन विधवा एकल जरूरतमंद विकलांग व् मानसिक रोगी आदि को संस्था द्वारा राशन सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है ! जो उनको खाद्य प्रदार्थ व् रसोईघर के खाने योग्य सभी सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है ! यह समस्त सामग्री उन्हें प्रोटीन व् विटामिन प्रदान करती है ! जो उनके स्वास्थ्य वर्द्धि में उन्हें सहायता प्रदानं करती है ! और अपने भरण पोषण हेतु सक्षम बनाती है ! व् जीवन को संचालित करने की प्रेरणा और साहस देती है ! 


संस्था जब गांव गांव जाती है तो घूम घूमकर ऐसे व्यक्तियों का चयन किया जाता है जो वास्तविक रूप से मदद के हकदार और समाज से वंचित व् निराश्रित होते है ! इनमे अधिकतर अशक्त गरीब निर्धन विधवा एकल जरूरतमंद विकलांग व् मानसिक रोगी आदि होते है इन व्यक्तियों में कभी कभी हीन भावना का विकास हो जाता है जिसके फलस्वरूप यह अपना विकास नहीं कर पाते है ! और समाज में पिछड़े स्तर पर बने रहते है ! इन्हे एक साहस भरे शब्दो की मदद चाहिये जो इनको इस स्थिति से उबारने में इनकी मदद कर सकते है ! और यह भी अपना जीवन का लक्ष्य खोजने का प्रयास कर सकते है ! इसमें इनको आटा , दाल , चावल , शक्कर , बेसन , बाजरा , हल्दी, नमक, मिर्ची , चाय , धनिया पाउडर , चन्ने , सोयाबीन , मूंगदाल , चोले जैसी समस्त सामग्री दी जाती है ! 


हमारे समाज में आज भी अमीरी और गरीबी के बीच गहरी खाई की परिपाटिता देखी जा सकती है ! यह असामनता  इतनी अधिक है की कोई तो बहुत गरीब हो गया है और कोई बहुत अमीर बन गया है समाज में यह असमानता गरीबी और निर्धनता को जन्म देती है ! जिससे यह परिपाटिता बढ़ती चली जाती है ! शिक्षा इसके लिए बहुत जरुरी है ! यह जीवन के सभी सोपान खोलती है और समाज में उसे कुछ करने के योग्य अवसर प्रदान करती है यह सामाजिक पिछड़ापन अवसरवादिता को जन्म देता है ! यही इस बीच की खाई को और गहरा और बड़ा करता जाता है !


संस्थान का यह कार्य एक सामाजिक कार्य है जो इन गरीबो की मदद करता है ! यह कार्य संस्था ग्रामीण क्षेत्र , स्लम एरिया , झुग्गी झोपड़ी , निचले इलाके डेरों में रहने वाले अधिकतर व्यक्ति शामिल होते है जो विकट आर्थिक पारिस्थितियो से झूज रहे होते है ! इस प्रकार संस्था मानवता बचाव हेतु इस परोपकारी कार्य से समाज को भी एक उपदेश देती है की वे भी इन मानवता के कार्य  में आगे आकर समाज के इस वंचित वर्ग की मदद करे और मानवता के इस भाव से सभी को समाज में आगे आने पर प्रोत्साहित करे !

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