बाधाओं को तोड़ना: उद्यमिता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण संघर्ष से सफलता तक



 मेरा नाम लाडू कंवर है और मैं पुष्कर के नजदीक डूंगरिया कला गांव में रहती हूं। मैं एक विधवा एकल महिला हूं घर में हालात सही नहीं है | घर के काम के अलावा मैं नरेगा में भी जाती हूं और उसी से अपना भरण पोषण करती हूं। मैं जीवन में कुछ करना चाहती हूं। मगर ज्ञान न होने की वजह से मेरे कदम पुनः पीछे आ जाते हैं। फिर एक दिन हमें पता चला कि गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा महिलाओं के लिए उद्यमिता वह लीडरशिप प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा जा रहा है, जिसमें महिलाओं को उद्यमिता वह लीडरशिप की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जायेगी |


गाँव के नजदीक सामुदायिक भवन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया | जिसमें गांव की अधिक से अधिक महिलाएं पधारी | कार्यक्रम में संस्था के प्रतिनिधित्व द्वारा भारत के कुटीर उद्योग , हाथ करघा ,उघोग,पशुपालन,बैंकिंग,बचत व कई मुद्दों पर चर्चा की गई और बताया गया। किस तरह हम छोटी पूंजी से भी अपना घरेलू व्यवसाय चालू कर सकते हैं और अपनी आमदनी के स्त्रोत को उत्पन्न कर आर्थिक सशक्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कार्यक्रम में पोस्टर प्रतियोगिता,प्रश्नोत्तरी,भाषण,खेलकूद के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गई। वह बताया गया जीवन में अवसरों का लाभ कैसे उठाया जाए? कोई भी कार्य छोटा में बड़ा नहीं होता है हिम्मत ,साहस,मेहनत ,कर्तव्य निष्ठा, लगन से हम अपनी मंजिल पा सकते हैं


और साथ ही महिलाओं को आगे बढ़ने वे अपने निर्णय स्वयं लेने पर फोकस किया क्योंकि स्वयं के द्वारा लिया निर्णय आप में लीडरशिप की भावना का विकास करता है और पुराने परिवेश से निकलकर समाज का एक नया चेहरा आपको दिखाता है। यह कार्यक्रम बहुत रुचिकर लगा। अब मैं भी स्टार्टअप लूंगी और खुद के रोजगार से दूसरों को भी अपने काम से लिए प्रेरित करूंगी।


संस्था द्वारा किया गया यह कार्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। इससे गांव में महिलाएं जो अपना काम करना चाहे वह कर सकती है। इसके लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं घर में ही बैठकर वे सब अपना कार्य कर सकती हैं। इसके लिए संस्था व उनके प्रतिनिधियों का मैं ह्रदय से धन्यवाद करना चाहती हूं और यह कहना चाहती हूं कि इस तरह के और अधिक से अधिक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम कराया जाए जिससे हम ग्रामीण महिलाएं  भी समाज में आगे आ सके।

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