महिलाओं का उद्यम: सफलता की नई परिभाषा
मेरा नाम मंजू नायक है मैं एक ग्रामीण महिला हूँ और कक्षा 5वी तक पढ़ी हूँ ! मेरे परिवार में मेरे 2 बच्चे व् पति हम सब साथ रहते है शादी के बाद से मेरे घर की आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं रहती थी ! पति फुटकर मजदूरी करते है ऐसे में बच्चों को पढ़ना, घर खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है ! घर की जरूरतों का जैसे एक पहाड़ सा खड़ा हो गया जिसे पार करना बेह्द कठिन सा लगता है ! फिर मैंने समूह मे अपना नाम लिखवाकर मासिक बचत करने लगी ! धीरे धीरे ये बचतें बढ़ने लगी और समूह आपस में पारस्परिक ऋण प्रदान करने लगे ! जिनको मैं समय समय पर अपनी आवस्यकतानुसार प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकने में सक्षम हो गई ! परन्तु अभी मुझे अपने पैरो पर खड़ा होना था ! उसके बाद हमारे समूह को बैंक से ऋण प्राप्त हुआ ! जिसको मैंने भी लिया और गांव में ही सब्जी की दुकान का कार्य प्रारम्भ किया !
शुरू शुरू मैं कुछ परेशानियों के बाद यह व्यवसाय रफ़्तार पकड़ने लगा ! पहले तो गांव में पास के लोग ही सब्जियाँ लिया करते थे पर अब पूरा गांव व् आस पास के गांव भी आकर मुझसे ही सब्जी प्राप्त करने लगे ! इस काम में मेरे पति भी मेरा सहयोग करते थे ! वे भी नजदीक मंडी से सुबह ताजी सब्जियाँ लेकर आते जो शाम तक पूरी तरह से खत्म हो जाती है ! धीरे धीरे इस कार्य से मेरे जीवन की गाड़ी पटरी पर आने लगी व् घर की स्थितियाँ भी अब बदलने लगी ! मैंने 3 बार बैंक से ऋण प्राप्त किया और किश्तों के रूप में प्रति माह समय पर उसकी अदायगी भी की ! अब सभी परिवार के सदस्य मुझे सहयोग करते है और मुझे लाभ की स्थिति प्रदान करवाते है !
वास्तव में जीवन की असफलताओ से हार मान लेना कदापि उचित नहीं है वरन सतत प्रयास करके विपरीत स्थितियों को अपने अनुरूप स्थिति में डालना ही आपके जीवन का लक्ष्य होना चाहिए ! स्वयं सहायता समूह महिलाओ के बना एक विशेष कार्यक्रम है जो उनको सबलता प्रदान करता है ! आर्थिक गतिविधियाँ समझाता है ! और आर्थिक गतिविधियाँ अपनाने हेतु ऋण भी उपलब्ध करवाता है ! इस प्रेरणास्रोत कार्य से आज कई महिलायें स्वयं का व्यवसाय कर खुद को सफल बना चुकी है ! समय चक्र में बदलाव ही परिवर्तन का नियम है ! एक और समाज से विभक्त नारी को मात्र घरेलु कार्य करने हेतु समझा जाता था ! आज वही एप दायरे हूँ में रहकर अपने पति के साथ मिलकर अपने गृहस्थ जीवन को साथ में संचालित कर रही है ! जो लघु कुटीर उद्योग लगभग समाप्त हो गए थे ! आज उन्हीं के जरिये ये महिलाये अपने आर्थिक जीवन को सफल बना रही है ! मेरे इस कार्य में स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम में इसका बहुत योगदान है ! जिनके माद्यम से आज मैं अपना सफल जीवन व् सुचारु रूप से चला रही हूँ !
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