महिला उद्यमिता: एक संघर्षपूर्ण स्वरोजगार की कहानी



मेरा नाम आफिसा है घर पर पति व तीन बच्चे हैं। पति को लकवा मार गया है जिससे वह कमाने नहीं जा सकते। घर का संचालन करना बेहद मुश्किल साफ हो गया है। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनकी भी पढा़ई  मुश्किल से हो रही है फिर कुछ दिनों बाद मैं एक महिला के सहयोग से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था से जुड़ी। उन्होंने SHG  के माध्यम से मुझे जोड़कर यह बताया कि कैसे छोटी-छोटी वस्तुओं को जोड़कर हम अपनी आर्थिक जरूरत से पूरी कर सकते हैं। व स्वयं का अपना कार्य भी प्रारंभ कर सकते हैं। यह महिलाओं के लिए एक व्यवस्थित और बेहद अच्छा कार्यक्रम है। इसमें सभी वर्ग व जाति की महिलाएं शामिल हो सकती है। ग्रामीण दृष्टि से यह कार्यक्रम बहुत सकारात्मक में उपयोगी है।


SHG में जुड़ने के कुछ समय बाद मुझे बैंक से एक अच्छा ऋण प्राप्त हुआ जिससे मैंने चार बकरियां खरीद ली और उन्हें पालने लगी। उनके दूध में खाद से मैं आय भी अर्जित करने लगी। धीरे-धीरे एक वर्ष के बाद मेरे पास 13 बकरियां हो गई। मेरा व्यवसाय धीरे-धीरे अच्छा बढ़ने लगा। अब बहुत हद तक मैं अपने परिवार का आर्थिक संचालन करने लगी और अपना घर चलाने लगी। 3 वर्ष के पश्चात मेरे पास अब 45 बकरियां हो गई। जिनको मैं कई बार व्यापार मेले में बेच भी देती हूं जिससे मुझे अच्छी रकम मिल जाती है। अब मैंने पूरी तरह से अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है और अब अच्छे से पति की दवाई खर्चे में बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन कर सकती हूं। मुझे SHG के माध्यम से छह बार बैंक ऋण मिला है जिसका उपयोग मैंने बकरी पालन व्यवसाय में ही किया है।


कार्यक्रम से जुड़ने के बाद अब इतना हो गया है कि मुझे किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ता। अब हमारी आर्थिक स्थिति इतनी विकट भी नहीं रही। किसी भी कार्य को करने के लिए कड़ी मेहनत, लगन, निश्चय और द्दृढ़ विश्वास का होना बहुत जरूरी है। तभी हम अपनी सफलता के सोपान को छू सकेंगे।


यदि संस्था  इस कार्य से हमें अवगत ना करती तो शायद जीवन में इतनी तरक्की हमें कभी मिल नहीं पाती। एक अच्छा प्रोत्साहन व समुचित सफल जानकारीयों के माध्यम से यह कार्य सफल बन पाया है। किसी भी कार्य को यदि हम सुनियोजित व व्यवस्थापक ढंग से करें तो इसका फल अवश्य ही प्राप्त होता है। यह हम सभी में काम करने के आत्मविश्वास को बढ़ाता है।


यह कार्यक्रम महिलाओं का प्रेरणा स्रोत है। इसकी जागरूकता की वजह से ही जीवन में हम आज इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं। हमारी बचते हमें सुअवसर प्रदान करती है कि किस तरह हम भविष्य में इस पूंजी का उपयोग करके अपने स्वयं का कोई कार्य कर सकते हैं। इस स्वरोजगार की भावना को हमको हर महिला तक पहुंचाना होगा जिसके परिवर्तन से हम घर,समाज,गांव,देश का इतिहास बदल सके सभी वगऺ और समुदायों के लिए इस जन जागरूकता कार्यक्रम का गांव-गांव में होना बेहद जरूरी है।

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