पर्यावरणीय संरक्षण: गौरैया पक्षी के संरक्षण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का योगदान



राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कई विविध कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं जिससे पर्यावरण और परिस्थितिक से संबंधित सभी मुद्दे शामिल है। इसी विषय पर संस्था द्वारा गौरैया जाति की चिड़िया की संरक्षण हेतु विभिन्न जगहों पर चिड़ियाघर व फिडर लगती है जिसका उद्देश्य लुप्त हो रही इस प्रजाति को बचाना है जिससे पारिस्थितिक तंत्र बना रहे और हमारा आंगन भी चेहकता रहे | पहले हमारे घर, आंगन, ऑफिस, बाग, बगीचे, पेड़ों पर यहां वहां बहुतायत संख्या में पाई जाती थी, परंतु पर्यावरण विनाश, प्रदूषण, इंसानी अतिक्रमण, व रासायनिक सामग्री के बढ़ते प्रयोग से इनकी संख्या लगातार गिरती ही जा रही है। समय रहते हम एक जरा से कार्य से उनका संरक्षण कर उनकी संख्या में वृद्धि करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस वर्ष लगभग 180 चिड़ियाघर व उनके खाने की फिडर लगाए गए हैं, जिसमें शहर के सी आर पी एफ स्कूल मुख्य है। कुछ ज्यादा पेड़ पौधे वाली जगह में अगर निवास स्थान और भोजन सहायता उपलब्ध हो जाए तो इनको भोजन की तलाश हेतु दूर नहीं जाना होता और उनके जीवन चक्र पर इसका विपरीत असर नहीं पड़ेगा। वह उनकी संख्या में वृद्धि होगी। यह छोटा सा जीव बहुत घरेलू पक्षी होता है। इसकी चहचाहट से ज्ञात होता है कि यह गौरैया पक्षी है | छोटा सा यह पक्षी कुछ भी खा कर अपना पेट भर लेता है। किट, पतंगें, अनाज, फूल आदि इसका भोजन है।


संस्था द्वारा पर्यावरणीय प्रेमियों को यह चिड़ियाघर व फिडर लगाने हेतु दिए जाते हैं ताकि वह भी पर्यावरण के इस कार्य में हमारी मदद कर सके और धरती का संतुलन बना रहे संस्था द्वारा ऐसी जगह तलाश की जाती है जहां पर इनको भोजन व आवास दोनों मिल सके। यह अपना घर (घोसला) कुछ ऊंचे स्थान पर बनती है। जहां पानी और हवा से इनको नुकसान न पहुंच पाए। यह वर्ष में दो बार अंडे देती है और बच्चों का लाल में पालन करती है। यह हल्के भूरे सफेद काले रंग का पक्षी होता है। सुबह और शाम के समय इसकी चहचाहट आपसे बातों के कारण होती है। इनके द्वारा किट मकोड़े खाने से पर्यावरण संतुलित रहता है।


गौरैया घर में घोंसला बनाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये घटना आशीर्वाद को आकर्षित करती है और खुशी व कल्याण के माहौल को बढ़ावा देती है। इस पक्षियों की उपस्थिति घर में समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को आमंत्रित करती है। यह पक्षी प्रतिनिधित्व करने वाला जीव है। यह एक सामाजिक प्राणी है जो प्रायः झुंडों में ही पाया जाता है। इस पक्षी को धूल के स्नान करना,पानी में नहाना बहुत प्रिय है। सौम्य और शांन्त आचरण वाले इस जीव को बहुत ही मिलनसार माना जाता है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इसकी प्रजाति को बचाने हेतु रैली, पोस्टर, संगोष्टियां, वार्ताएं, चर्चा, विज्ञापन, संदेश, प्रतियोगिताओं के माध्यम से आंदोलन के रूप में लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग किया जाता है। नन्हे से इस जीव को बचाने में और पर्यावरण को संतुलित रखने में हम सभी मानव जाति का सहयोग अति आवश्यक है।

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