दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना: राजस्थान की व्यापक कल्याण पहल



किसी व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक, ऐन्द्रिक,बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है। विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति (हानि) है जो इस स्थिति वाले व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियां व उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करना ( भागीदारी प्रबंध ) को और कठिन बना देती है। विकलांगता में मुख्य प्रकार से अंधता,कम दृष्टि,कुष्ठ रोग, मुक्त श्रवण शक्ति का ह्रास, चलन दिव्यांगता, मानसिक मंदता व मानसिक रुग्णता प्रमुख है। या यूं कहा जाए कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को शारीरिक या मानसिक रूप से पूरा न कर पाए वह विकलांगता है। भारत में कुल जनसंख्या अनुपात में 2.21% व्यक्ति दिव्यांग है। विकलांगता एक शारीरिक,मानसिक,संज्ञानात्मक,या विकासात्मक स्थिति जो कि किसी व्यक्ति की कुछ कार्यों में संलग्न होने या सामान्य दैनिक गतिविधियों और इंटरैक्शन में भाग लेने की क्षमता को खराब करती है हस्तक्षेप करती है या सीमित करती है।  विकलांगता कहलाई जाती है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा दिव्यांगों हेतु अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें उनका ग्रामीण गांव में जाकर सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है। फिर उनके साथ वार्ताएं की जाती है और उनके आवश्यक कार्यों की एक लिस्ट बना कर उन्हें पूरा भी किया जाता है जिसमें उनकाे सभी सुविधाएं प्राप्त हो सके। इनमें दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाना, यू.बी. आई कार्ड बनवाना, व्हील चेयर, व ट्राई, साइकिल वितरण करवाना, बैसाखी, क्लीजर शूज दिलाना, आंखों के चश्मे, व छड़ी दिलवाना ,राशन कार्ड,आधार कार्ड जन आधार कार्ड, व विकलांग कार्ड बनवाना,रेल्वे व बस के पास जारी करवाना ,सरकारी योजनाओं से जोड़ना,और उनके लिए दुकान कार्य खुलवाना ,स्वरोज़गार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाना, कौशल विकास कार्यक्रमों से उनको जोड़ना, दिव्यांग पेंशन का लाभ दिलाना इत्यादि काम संस्था सदस्यों द्वारा किए जाते हैं।


हमारा समाज दिव्यांगता को एक अलग नजरिए से देखता है परन्तु इन्हें भी समाज में वही अधिकार प्राप्त हैं जो अन्य किसी को है। संस्था द्वारा हर दिव्यांग व्यक्ति से उनके घर जाकर एकल रूप से बात कर उनकी समस्याएं सुनी जाती है। वे उनका भरसक समाधान किया जाता है।उनको भी देश की विकास की मुख्य धाराओं में जोड़ा जाता है। अक्षमताओं को क्षमताओं में बदलना ही संस्था का मुख्य कार्य है। हमें कहीं ना कहीं विचारधाराओं में बहुत परिवर्तन लाना होगा और उनके कार्य को अधिक से अधिक सुगम बनाने हेतु अनेकों विकल्प उनके समुख रखने होंगे। देश और समाज तभी आगे बढ़ता है जब प्रत्येक को समान अधिकार मिले किसी तरह का भेदभाव ना किया जाए। 


विकलांगता कोई अभिशाप नहीं वरन शरीर की कोई ऐसी अक्षमता है जिसे मानवीय प्रयासों से दूर किया जा सकता है।

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