बाल विवाह का अंत: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की पहल

 

बाल विवाह कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे का शादी यानी नाबालिग उम्र में विवाह कर देना होता है। इनमें लड़के की उम्र 21 व लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम उम्र किसी की नहीं होनी चाहिए। पिछले एक दशक से इस हानिकारक प्रथा में लगातार गिरावट के बावजूद बाल विवाह अभी भी हमारे समाज में व्यापक बना हुआ है। दुनिया भर में लगभग 5 में से एक बच्चे की शादी बचपन में कर दी जाती है। सांस्कृतिक और सामाजिक शिक्षा में कमी और लैंगिक असमानता के कारण बाल विवाह होते हैं। बाल विवाह लड़की के भविष्य को सुरक्षित करने और उसे गरीबी यौन संकीर्णता से बचाने के तरीके के रूप में देखा जाता है।


बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता है। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता भी कम हो जाती है जिससे उनमें कई घातक बीमारियां हो जाती है। वह उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ता है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रचार प्रसार के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित किया जाता है जिसमें पोस्टर,बैनर,सूचनाऐं, अभिव्यक्ति,सभाएं,रैलियां भी की जाती है। बाल विवाह एक अभिशाप है। यह बुराई पीढियों से चलती आ रही है। इस प्रथा से निपटने के लिए गरीबी उन्मूलन के प्रयासों से भी मदद मिल सकती है। इसके लिए संस्था द्वारा प्रमुख रूप से निम्न में मानदण्डों पर कार्य किया जाता है।  (1)‌ लैंगिक मानदंडों को चुनौती दे जो इस विचार को कायम रखते हैं की लड़कियां लड़कों से कमतर है। (2) सुनिश्चित करें सभी लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो (3) यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पहुँच मे सुधार हो (4) किशोरियों के विकास हेतु सहायता प्रदान हो (5) युवा लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रणालियों का समर्थन ले (6) परिवार के साथ इस संबंध में विस्तृत वार्ता हो से इसे कई हद तक इसे रोका जा सकता है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का प्रयास है कि हर घर की बालिका को पूर्ण शिक्षा मिले जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके,समाज में व्याप्त इस बुराई से उन सब को निजात मिले और जागरूकता की लहर फैले | हर बालिका के अपने सभी सपने साकार हो उन्हें भी समाज में पुरुषों के जैसा सम्मान व स्थान प्राप्त हो,इस कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने के लिए सभी आम लोगों का समर्थन अति आवश्यक है तभी मिलकर हम इस कुरीति का समाज से नाश कर पाएंगे। और एक समृद्ध वह शिक्षित समाज की कल्पना कर पाएंगे।

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