संस्थान की क्षमता निर्माण पहल" : महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम"
स्वयं सहायता समूह एक विस्तृत कार्यक्रम है जिसमे ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर को एक मुकाम तक पहुंचाया जाता है ! जिसमे उनको प्रशिक्षण , क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और ज्ञान साझाकरण के माध्यम से सदस्यो के कौशल और व्यक्तित्व क्षमताओ को निखार कर बेहतर बनाया जाता है ! स्वयं सहायता समूह भावना पैदा करके आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर और सामूहिक निर्णय लेने को प्रोत्साहित करता है ! और हमारे समाज में सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देता है ! क्षमता निर्माण किसी व्यक्ति या संगठन की उत्पादन प्रदर्शन या तैनाती की सुविधा में सुधार करना है ! क्षमता निर्माण निरंतर चलने वाली प्रकिर्या है जो समुदाय को किसी संकट की परिस्थिति में एक बेहतर तरीके से अपने कार्यो को अंजाम देने के लिए सुसज्जित है ! यह संस्थानों को विकसित करने में मदद करता है ! स्थानीय लोगों को स्थानीय मुद्दों पर खुद ही कार्यवाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
क्षमता का अर्थ योग्यता ,सामर्थ्य,शक्ति से है ! क्षमता उपयोग एक माप है की कोई संगठन अपने संसाधनो का कितना उपयोग कर पा रहा है यह 4 तत्वों से परिपूर्ण होता है जिसमे आध्यत्मिक , बौद्धिक , शारारिक और भावनात्मक रूप शामिल है ! यह विकास, नवाचार और लचीलेपन के लिए व्यापक क्षमता के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करता है ! सगठंनात्मक स्थिरता के लिए भी यह बहुत आवश्यक है ! संस्था प्रतिनिधि द्वारा इस कार्यक्रम के तहत उनको विषय के हर पहलू पर बारीकी से समझाया जाता है जो उनके उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी है ! यह शारारिक और मानसिक दोनों तरह की हो सकती है क्षमता निर्माण को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना महत्वपूर्ण है ! संस्था द्वारा कराया गया कार्य सराहनीय है जिससे महिला सशक्तीकरण को काफी बढ़ावा मिलेगा।
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