समाज की जिम्मेदारी: बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता और शिक्षा का महत्व



भारत व् एशिया के कई देशों में बाल विवाह का कुरीति है ! जिसके चलते न जाने कितनी मासूम बालिकाओ का बचपन रौंधा गया व् कई हजारो बलि की वेदिका पर चढ़ गई ! समाज के द्वारा इन बालिकाओ को बालपन में ही इनका विवाह कर दिया जाता है ! जिससे न तो यह अपना बचपन, शिक्षा, समझ व् शारारिक संगठन को पूर्ण नहीं कर पाती है फलस्वरूप कई तरह की बीमारियों से यह ग्रसित हो जाती है व् अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाती है ! जल्दी शादी करने से न तो यह परिपक़्वता आती है न ही यह गर्भधारण करने योग्य रहती है ! समाज की सामाजिक कुरीतियों व् रूढ़िवादिता में इनकी दशा अत्यंत दयनीय होती है ! गरीबी, निर्धनता, लाचारी, अशिक्षा, रीती-रिवाज, प्रभुत्ववादी लोग व् नकारात्मक सोच की उपज ही बाल विवाह का मुख्य कारण बनती है इस अन्धकार को शिक्षा के प्रकाश से ही दूर किया जा सकता है !
 

राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा जरूरतमंद वंचित परिवारों की बालिकाओ के साथ बाल विवाह रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है ! इसमें शिक्षा के साथ इस विषय पर सभी बालिकाओ को जागरूक किया जा रहा है ! जिसमे इस बाल विवाह कुरीति का हमारे समाज में अन्तः हो सके व् सभी बालिकाएं स्वस्थ व् अच्छा जीवन व्यतीत कर सके ! शिक्षा जीवन में नए आयाम व् नए विचारो को जन्म देती है जो सुचारु रूप से जीवन निर्वाह करने में बहुत काम आता है ! संस्था द्वारा सबसे ज्यादा शिक्षा से वंचित हो रही बालिका पर पूर्ण ध्यान दिया जाता है ! व् उनके परिवार से इस विषय पर चर्चा व् बातचीत की जाती है की वे अपनी बच्ची को शिक्षा पूर्ण करने का अधिकार दे ! जिससे जीवन में आगे कुछ वो बन सके और बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों से भी अवगत करवाया जाता है 
 

संस्था समय समय पर ग्रामीण भागों में सर्वे करती है ! जहाँ बाल विवाह होने के काफी संकेत प्राप्त होते है ! वहाँ जाकर संस्था द्वारा ग्रामीणों से समझाइश की जाती है ! व् इस विवाह को रोकने हेतु प्रेरित किया जाता है ! बाल विवाह ज्यादातर गरीबी के कारण ही समाज में किये जाते है ! बाल विवाह एक अभिशाप है जो इंसान, समाज, रीती रिवाज , अहसास सभी को नष्ट कर देता है ! एक बच्ची के भी कुछ सपने, अरमान, अहसास होते है जो बालपन में बाल विवाह करते ही उसी के साथ समाप्त हो जाती है ! बाल विवाह से बालिकाओ के मृत्युदर अनुपात में बढ़ोतरी होती है ! बाल विवाह एक सामाजिक कलंक के सामान है जो घर, समाज,देश,राष्ट्र को खोखला बनता है हम सबको पुर जोर इसका विरोध करना होगा और हमारे देश व् समाज से इसको मिटाना होगा ! तभी हम एक सभ्य समाज की परिकल्पना को साकार कर पाएंगे !




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