बेटीयों की शिक्षा: समाज में समानता की ओर एक कदम
मेरा नाम सन्तोष है मैं अजुऺनपुरा गांव की निवासी हूँ पिता एक किसान है माँ गृहणी है व मेरे 2 बड़े भाई है मेरा परिवार एक राजपूत परिवार है जहाँ बालिका व महिलाओं पर कई तरह की पांबन्दिया है ना तो हम घर के बाहर जा सकते हैं और ना ही बात व स्वतंत्रता किसी को जाहिर कर सकते हैं मैंने 8 वी कक्षा तक पढाई की है फिर पिता को कई बार कहा कि मुझे आगे और पढ़ना है परन्तु समाज, परिवार, व खोखले रिवाजों के चलते पिता ने मुझे मना कर दिया जिसका मुझे बहुत मानसिक अघात लगा | घर में मेरे भाई पढ़ सकते हैं पर मैं कयूँ नहीं क्या इतनी छोटी उम्र में मुझे घर के काम करने चाहिए | ना मैं सहेलियों के साथ खेल सकती हूँ ना अपने दिल की बात कह पाती हूँ |
फिर मैंने वापस अपना पढा़ई कार्य का सफर शुरू किया अब मैं अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जाती हूँ और इस बात से बहुत उत्साहित हूँ | राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था की इस पहल से मेरे परिवार को प्रेरणा मिली कि बेटी कल के समाज का भविष्य बनेगी | संस्था द्वारा लिंग आधारित हिंसा रोकथाम व उन्मूलन कार्यक्रम ग्रामीण परिवेश में बौद्धिक क्षमताओं का विकास कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप देश, गाँव, समाज में इस भेदभाव वाली बुराई से हमें निजात मिल रहा है अब बेटियां भी अपने सपनों की उडान उड़ कर आकाश छू सकती है संस्था का यह कार्य प्रशसनीय है इस कार्य के लिये हम सभी उनका धन्यवाद कर आभार प्रकट करते हैं |
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