भविष्य का निर्माण: बच्चों में अनुशासन और संस्कृति का पोषण
बच्चे आने वाले भविष्य का निर्माण करते हैं। यह देश की भावी पीढ़ी को अगर हम अनुशासन व संस्कार नहीं सिखाएंगे तो यह पथ भम्रित हो जाएंगे और अपना जीवन नष्ट कर लेंगे। अच्छे लक्ष्य प्राप्ति के लिए जीवन में अनुशासन में संस्कारों का होना अति आवश्यक है। यह अनवरत प्रक्रिया है जिसमें जीवन के समस्त क्रियाकलाप समाहित होते हैं। इन शिविरों में माध्यम से बच्चों की आंतरिक कला को निखारा जाता है और उनमें अच्छे संस्कार विकसित किए जाते हैं। इसका उद्देश्य उनके जीवन का सर्वाधिक विकास करना है। उन्हें अपनी भाषा, आचरण, रीति रिवाज, संस्कारों के बारे में बताया जाता है। स्थिर रहने की एकाग्रता बढ़ती है। बुद्धि का विकास होता है और अच्छी सोच हमारी आदतों को विकसित करती है। यह शारीरिक भी होते हैं और मानसिक भी | संस्कार ही जीवन का आधार और मानव की सबसे बड़ी पूंजी है। संस्कार से ही चरित्र निर्माण होता है। इनके द्वारा ही व्यक्ति क्रियात्मक व रचनात्मक बनता है। संस्कारों का ना होना पतन का मुख्य कारण होता है।
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के नेतृत्व में शहर की झुग्गी झोपड़ी, स्लम एरिया, स्ट्रीट बच्चों के साथ लगभग 12 स्थानों पर इस संस्कार शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 780 बच्चों के साथ संस्कार शिविर कार्यक्रम में उनके साथ कई प्रकार की गतिविधियां आयोजित की गई। उन्हें शिक्षा, बातचीत, संस्कार, साफ-सफाई, स्वच्छता व व्यवहार के बारे में समझाया वह बताया गया कि कैसे हम प्रातः उठे, शौच जाये, स्नान करें, साफ कपड़े पहने, अच्छा व साफ भोजन करें, जीव्हा में मधुरता रखें, सभी को बड़ों का सम्मान करें, ईश्वर प्रार्थना करें, योग करें , शरीर को स्वस्थ बनाने हेतु व्यायाम करें , और खेलकूद खेलें |
जीवन में आगे बढ़ने के लिए नेतृत्व क्षमता की आवश्यकता होती है। यह अनुशासित व्यवहार और संयमता हो, अच्छे संस्कारों का समावेश हो तो सभी कार्य जीवन में सुलभता से निपटते हैं। संस्कार समाज में सदा अच्छे व्यवहार को इंगित करता है। संस्कार अत्यधिक व्यक्तिवादी है। इसका प्रभाव गुणात्मक समाज के निर्माण पर पड़ता है। इस संसार का अर्थ है व्यक्ति के शरीर, मन, बुद्धि को पवित्र करना। समाज में इस बढ़ती पीढ़ी को इसका ज्ञान अवश्य ही होना चाहिए। तभी हम एक सभ्य और सुलझे हुए समाज की कल्पना कर सकते हैं। प्राय ऐसा भी देखा जाता है कि एक सभ्य समाज सदा उन्नति की और अग्रसर रहता है। अच्छी शिक्षा व संस्कार बाल रूप में ही विकसित किए जाते हैं। इसमें बच्चों के साथ प्रातः जागरण से लेकर शयन तक की दिनचर्या में मानवीय मूल्यों की अभ्यास का समावेश कर इस संस्कार शिविर कार्यक्रम में किया जाता है।
इस कार्यक्रम में देखा जाता है। बच्चों से तनाव दूर होने लगता है। तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। मनोरंजन ज्ञानवर्धक गतिविधियों को जीवन में समाहित किया जाए जो शरीर, मन को तनाव मुक्त रखकर आगे बढ़ाने में उनका प्रोत्साहित करें।
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ग्रामीण व स्लम एरिया के बच्चों को इस और प्रोत्साहित करती है। उनका उत्साह वर्धन करती है और सामाजिक पृष्ठभूमि में बच्चों के जीवन को सुगम से ज्ञानात्मक राह प्रशस्त करती है।
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