आशा के धागे: त्रासदी से कुशल उद्यमिता तक
मेरा नाम सुनीता है। मैं दसवीं कक्षा पास हूं। मेरे पति एक फैक्ट्री में कार्यरत हैं, परंतु कुछ दिन पहले उन्हें पक्षाघात मर गया जिसकी वजह से वह चल फिर नहीं पाते और काम पर भी नहीं जा पाते। हमारे घर के माली हालत ठीक नहीं है। इस वजह से मुझे कभी कभार मजदूरी करके अपना घर चलाना पड़ता है मुझे सिलाई आती थी मगर मेरा हाथ इतना साफ नहीं था। जिस वजह से मैं इस कार्य को आगे तक नहीं कर सकती। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे यहां सिलाई प्रशिक्षण हेतु सर्वे किया गया है जिसमें मैंने भी अपना नाम भी लिखवाया। उसके कुछ दिन बाद एक साक्षात्कार करके हमारे इस प्रशिक्षण शिविर को प्रारंभ किया गया। इस 90 दिवसीय कार्यक्रम में प्रत्येक 8 घंटे हमारी सिलाई की कक्षा चलेगी जिसमें हमें महिलाओं व बच्चों से संबंधित वस्त्र बनाना सिखाए जाएंगे और हमारे कौशल को निकाला जाएगा।
इस कार्यक्रम की शुरुआत से हमें हाथों को साधना सिखाया गया, जिसमें एक कुशल कारीगर मास्टर ट्रैक्टर थी। उन्होंने बताया सिलाई कार्य में सबसे पहले इसके उपकरण व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। इस जानकारी के कारण ही हम अपना कार्य सरलता व सुगमता से कर सकेंगे। इसके बाद हमें कपड़ों के विभिन्न प्रकार इसमें प्रयोग होने वाली सुईयों व धागे के विषय में समझाया गया। फिर महिलाओं के सभी प्रकार के कपड़ों के लिए हमसे सिर्फ उनके छोटे-छोटे मॉडल बनाए गए ताकि बड़े आकार का वस्त्र बनाने में हमारे हाथ में सफाई आ सकें और इस कार्य को हम लगातार कर सके।
सभी महिलाओं को महिला वस्त्र जैसे चुनरी, ब्लाउज, पेटीकोट, लहंगा, सूट, सलवार, कुर्ती, फ्रॉक, सूट टॉप,चोली, वह बच्चों के सभी वस्त्र सिलना सिखाए। यह सभी कार्य हमें बेहद बारिकी व गुणवत्ता के साथ सिखाए | महिला और युवतियाँ वस्त्र निर्माण के जरिए न केवल आत्मनिर्भर बनेगी बल्कि अपनी बेरोजगारी और लाचारी को भी दूर करेंगी। इस कार्य को करके महिला छोटे स्तर से अपना बेरोजगार कार्य प्रारंभ कर सकती है और अपनी जरूरत की सभी आवश्यकताओं की पूरी कर सकती है। कार्यक्रम के अंत में प्रदर्शनी लगाकर हमारे द्वारा बनाए गए कपड़ों को बेचा गया। जिसको सभी ने बहुत पसंद किया। उसके पश्चात सभी प्रशिणाथी को प्रमाण पत्र दिया गया, जिससे वह स्वयं अपना कार्य प्रारंभ कर सके।
कार्यक्रम के समाप्त हो जाने के बाद मैं घर में ही आस-पास की महिलाओं के वस्त्र सीखना प्रारंभ किया। फिर रफ्ता रफ्ता यह कार्य जोर पकड़ने लगा और मैंने एक दुकान खोल दी। अब मेरे पास तीन और महिलाएं वस्त्र बनाने आती है। मुझे इससे बहुत अच्छी आय प्राप्त होने लगी है और अब मेरे घर में भी सभी हालत सही होने लगे हैं। इस आय से और मैंने 6 सिलाई मशीन और खरीद करअन्य चार महिलाओं को मेरे साथ रोजगार में जोड़ दिया है उनको भी सुलभता से आय प्राप्त हो जाती है। अब मैं अपने पति का अच्छे से इलाज करवा रही हूं और बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही हूं। इन सब कार्यों में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने मेरी बहुत मदद करें जिसकी वजह से जीवन में मुझे यह मुकाम हासिल हो सका। उसके लिए सभी कार्यकर्ताओं का दिल से मैं धन्यवाद व आभार प्रकट करती हूं।
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