दिव्यांगों के साथ साझेदारी समृद्ध समाज की नई दिशा


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अजमेर के ग्रामीण भागों में चिन्हित विकलांग जनों के साथ उनके हितार्थ  कई कार्य किए जाते हैं जिसमें उनके साथ बैठकर उनके विचारों को साझा किया जाता है। हाल के वर्षो  में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों के समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो मैं बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम के सदस्य दिव्यांगों के घर-घर जाकर उन्हें मीटिंग करने के लिए आमंत्रित करते हैं जिसमें उनके विचार, परेशानियां, समस्याओ को पूछा व् समझा और वह लिखा जा सके क्योंकि स्थिति वह परिस्थिति के अनिरुद्ध सबकी अपनी दिक्कत व परेशानियां होती है।


भविष्य में उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में चर्चा की जाती है। वह जागरूकता पूर्ण बातों को इस मीटिंग कार्यक्रम में समावेश किया जाता है जिससे उनको  हर विषय की बारीकी और गहनता का पता चल सके। जिसका वह बाद में लाभ उठा सकते है। संस्था के कुशल प्रतिनिधियों  के द्वारा उनके साथ कई और विषयों पर चर्चा की जाती है। उनकी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करके हर विषय पर तटस्थता से कार्य किया जाता है। सरकार के द्वारा भी इनको कई तरह के लाभ प्रदान किए थे। जिसको इस मीटिंग में  एक एक कर विस्तार पूर्वक बताये जाते हैं। सरकार द्वारा उनके लिए राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन शुरू की गई है जिसमें उनको  प्रदत सभी सुविधाओं की जानकारी आसानी से प्राप्त होगी।


 इसके अलावा संस्था द्वारा उनके साथ शिक्षा, संस्कार, स्वस्थ, विचार, परिवार, आर्थिक गतिविधि, सामाजिक मुद्दे, आजीवीका व् अन्य मुद्दों पर खुलकर चर्चा की जाती है। इस मीटिंग कार्यक्रम में उनकी अभिव्यक्ति देखी जाती है। उनका उत्साहवर्धन  कर उनका आत्मविश्वास जगा कर मनोबल बढ़ाया जाता है जिससे वह भी समाज में औरो की तरह खुद को समाज के सामने पेश कर सके। विकलांगता  एक शारीरिक कमजोरी है जिससे मानसिक रूप में मशीनी उपकरणों से कार्य करने लायक हम बना सकते हैं और अपने मन से हम इस नकारात्मकता को दूर कर भविष्य की संभावना को और बढ़ा सकते।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का प्रमुख ध्येय इन दिव्यांगजनो के विचार समाज तक लाना है जिससे समाज में भी इन्हे आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हो सके और यह भी समानता के भाव में जी सके। विकलांगता कार्य करने में बाधक हो सकती है दृढ़ निश्च्य को रोकने में नहीं। यदि हम पूरे प्रयास के साथ दृढ़ प्रतिबन्ध हो तो हर असंभव कार्य संभव हो सकता है। हमें भी सभी के सहयोग का भाव मन में रखकर इस प्रेरणा रूपी कार्य को आगे बढ़ना ही होगा।


मीटिंग में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जब आप विकलांग लोगों के साथ बातचीत करते हैं तो उनकी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करे न  कि उनकी विकलांगताओं पर।  विकलांग लोग आदित्य होते हैं, इसके पास ज्ञान, कौशल , प्रतिभा , रूचि, और अनुभव का खजाना होता है जो हमारे समाज में जबरदस्त विविधिता, संसाधनशीलता और रचनात्मक ऊर्जा जोड़ता है। इनके साथ सकारात्मक रहे और  उन्हें कभी ऐसा महसूस ना करवाए की समाज और हम उनसे अलग हैं। उन्हें बताएं जीवन की एकाग्रता और होली सटीक तरीके से देखना शुरू करें। साथ ही उनके साथ रचनात्मक रहे। 

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