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टीम बिल्डिंग की कला: साझा लक्ष्यों की ओर एक साथ कदम बढ़ाना

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टीम बिल्डिंग अथवा कुशल नेतृत्व उसे कहते है जब संगठन खराब संचार प्रणाली या अस्पष्ट नेतृत्व निर्देशों के लिए त्वरित समाधान की तलाश में होते है जिसके कारण अनुत्पाद टीमें बनती है और उन्हें यह स्पष्ट नहीं होता की सफल कैसे हुआए जाये ! 1 टीम वर्क इसका सबसे अच्छा कार्य है ! जबकि लीडरशिप एक ऐसी टीम बनाने और बनाये रखने की वो क्षमता है जो अपने प्रतिस्पर्धियों के सापेक्ष अच्छा प्रदर्शन करती है दूसरे शब्दो में प्रभावी नेता या लीडर लोगों को अन्य टीमों से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए संगठित कर सकते है इस दृश्टिकोण का अर्थ है की नेतृत्व एक उपाधि नहीं बल्कि अनुयायियों को प्रेरित करने की क्षमता है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ऐसे ही अपने भारत की समस्त महिला शक्ति को कुशल नेतृत्व व् क्षमता निर्माण कार्यक्रम करवा कर  उन्हें समाज में अपना नाम स्थान स्थापित करवाने का सुअवसर प्रदान कर रहे है जिससे वे भी संगठित हो सकते है टीम निर्माण एक महत्वपूर्ण प्रकिर्या है जिसका उदेश्य एक साँझा लक्ष्य की दिशा में एक साथ काम करने वाले व्यक्तियों के समूह की प्रभावशीलता और दक्षता को मजबूत करना है ! जो सामूहिक उद्देश्यों को

गरीब किसानों की मदद में एक कदम: खाद और बीज के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान वर्षो से समाज के विभिन्न विषयों पर कार्यरत है जो समाज को एक सकारात्मक दृष्टि प्रदान करने का कार्य कर रही है ! जो उनको लक्ष्य प्राप्ति तक पहुंचाने में मदद करती है भारत एक कृषि प्रधान देश है परन्तु यह मानसून पर पूर्णता निर्भर है दूसरे देशो की अपेक्षाकृत भारतीये किसान एक छोटे तबके का गरीब व्यक्ति है जो पनि खेती के लिए भी कर्जा लेकर कार्य करता है और सदा कर्जे के बोझ तले दबा रहता है इस परिस्थिति में हमारे बहुत से छोटे किसानो के पास उपलब्द्य साधन मौजूद नहीं है जो उसको अच्छे दर्जे की उपज दिलवाने में उसकी मदद कर सके ! कई बार धन के आभाव में भी यह खेती नहीं कर पाते है! मिट्टी हमारी सोना है यदि सही साधन और सही फसले हमे सही समय से प्राप्त हो तो किसानों की स्थिति इतनी दयनीय नहीं बनेगी !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही किसानो के संग संस्था प्रति वर्ष खाद बीज वितरण का कार्य करती है जो उसे ले पाने में असमर्थ्य है होते है  इसके द्वारा उनको पुनः प्रोत्साहित किया जाता है किन वो पुनः अपने कृषि कार्य में लगे और अपने खेत व् उपज पर ध्यान दे सके ! भारत सरचनात्मक दृष

संस्थान की पहल से खेत में बदलाव: गरीब किसानों की मदद की एक अनूठी मिसाल

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 मेरा नाम पाचूलाल है मैं एक गरीब किसान हूँ मेरे पास मात्र 2 बीघा जमीन है जो भी बारानी है पानी ना होने के कारण मैं वर्ष में 1 फसल बरसात के मौसम में ले पता हूँ जमीं को बराबर खाद न मिलने से उसमे भी पोषक तत्वों की कमी आ गई ! जिसके फलस्वरूप मुझे मेरी फसल में भी कीड़ा लगने की बीमारी या उत्पादन में काम बीज लागत फसल प्राप्त होती है ! इस कारण मेरी स्थिति और विकट हो गई ! फिर एक दिन मुझे अन्य किसान ने बताया की राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इस विषय पर और हम जैसे किसान भाइयों की मदद करती है ! यह सुनकर मुझे अच्छा लगा और मैंने उनसे सम्पर्क किया ! फिर मुझे संस्था प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिय और मेरे गांव आने की बात बोली ! दो चार दिन बाद संस्था के प्रतिनिधि गांव आये और जो किसान गरीब है छोटे पैमाने पर खेती करके अपनी गुजर बसर करते है उन्हें एकत्रित कर उनसे उनकी परेशानियां  पूछी व् सर्वे प्रपत्र फॉर्म भरा गया ! इसके पश्च्यात उन्होंने एक सप्ताह बाद आने की बात कही और फिर जब वो आये तो हम किसानों के साथ खाद बीज वितरण का कार्यक्रम किया ! जिसमे हमको खाद व् उनत्त किस्म के प्रजनक बीजो का वितरण किया गया ! इस कार्यक्

शारीरिक स्वच्छता और मानसिक स्वास्थ्य: झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए प्रेरणादायक कार्यक्रम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा शहर के आसपास स्लम एरिया , झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके ,निचली बस्ती व् डेरो  बच्चों के साथ 1 दिवसीय स्वच्छ रहे स्वस्थ रहे कार्यक्रम करवाये जाते रहते है यहाँ इन बच्चों को शारारिक स्वच्छता का ज्ञान दिया जाता है ! जिसमे उन्हें नहाना, धोना, शौच नित्यक्रम, सफाई, साफ कपडे पहनना, स्वस्थ भोजन करना, नाख़ून व् बाल नियमित समय पर कटवाना व् बीमारियों से बचाव की बातें समझाई जाती है ! इसके साथ उनको खेलकूद के द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है ! व् साथ ही व्यायाम के कुछ तरीके भी बताये जाते है की किस तरह वो अपने शरीर को स्वच्छ व् स्वस्थ रख सके ! स्वस्थ रहने के लिए पूरी नींद लेना अति आवश्यक है ! और साथ ही खुश रहना भी जरुरी है ! आज हमारा भारत भी स्वच्छता  को अधिक महत्व दे रहा है ! जिसमे कोई व्यक्ति किसी भी बीमारी से ग्रसित न हो और अपना स्वस्थ जीवन यापन करें ! संस्थान द्वारा इन सभी बच्चो को एक सकारात्मक बदलाव की और प्रेरित किया जाता है ! स्वयं मई खुश रहना एक मनोवैज्ञानिक प्रकिर्या है जिसमे उसकी कई अवस्थाये काम करती है ! इसमें शारारिक स्वास्थ्य बाहरी  स्थितियों का भी पूर्णतया

जल की शक्ति और जिम्मेदारी: स्कूली गतिविधियों और जागरूकता का महत्व

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मेरा नाम मुकेश चौधरी है ! मैं अजमेर के पास एक सरकारी स्कूल में टीचर हूँ  ! व् स्कूल में विज्ञान पढ़ाता हूँ ! जो यथार्थ को सर्वोत्तम स्थान देती है ! ऐसे मिथक जो समाज को गुमराह करते है ! उन सभी का जवाब विज्ञान के पास होता है ! हमारे देश, दुनिया, में बहुत सारे मुद्दे चल रहे है ऐसा ही एक मुद्दा है ! जो वर्तमान में चिंता का विषय है ! वह जल है ! जल की हमारे जीवन में क्या अहमियत है ! यह बात सभी को पता है ! मानव शरीर का निर्माण 65 / जल से बना होता है ! हम बिना भोजन किये तो कई दिनों तक रह सकते है ! परन्तु जल के बिना जीना संभव नहीं होगा ! पानी हमारे जीवन के हर कामों में अति आवश्यक है ! जो हमारी दैनिक पूर्ति को पूरा करता है !  इसी विषय को लेकर हमारे स्कूल प्रागण में अजमेर की राजस्थान समग्र कल्याण संस्थांन द्वारा स्कूली बच्चों के साथ जल जागरूकता कार्यक्रम किया जिसमे सभी को जल के प्रति जागरूक करने की बात बताई गई ! संस्था ने बताया हमें किस तरह जल का मितव्यता के साथ उपयोग करना चाहिये , उसको प्रदूषित होने से बचाना चाहिये ,वृक्षारोपण कर उसके संचय होने पर ध्यान देना चाहिये व् वर्षा के जल को व्यर्थ न बहाक

जल जागरूकता एक विश्वसनीय पहल की जरूरत

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जल हमारे जीवन का पर्याय है इस से ही जीवन का संचालन होता है ! यह हमारे दैनिक रोजमर्रा की सभी जरूरतों के लिए बहुत जरुरी है हमारी इस दुनिया में स्वच्छ पीने योग्य पानी मात्र 2 / ही है ! हमको इसके संचय करने के अनेको साधन खोजने होंगे तभी हम अपनी पीढ़ी को सुरक्षित रख पाएंगे ! इसी विषय को लेकर आज पूरी  दुनिया में इसको लेकर चिंतन किया जा रहा है ! जिसको लेकर कई सरकारें ,देश, संस्थाए, निकाय इस विषय पर प्रोत्साहन व् जागरूकता कार्यक्रम कर लोगो को सजग कर रहे है ! ताकि सभी इसके प्रति जागरूक बन सके ! इसे सबसे अच्छा बनाने के लिए हमे आने वाली सभी पीढ़ीयों को जागरूक बनाना होगा तभी इसे हम आगे तक बढ़ा पाएंगे ! नव चेतना यदि सजग व् जागरूक हो तो फिर कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही ज्वलन्त मुद्दों को स्कूली बालक-बालिकाओ के साथ कार्यक्रम सम्पादित करती है ! जिसमे उनको पोस्टर प्रदर्शन, व्याख्यान, रैली, खेलकूद, सेल्फी, अभिभाषण, अभिव्यक्ति, नाट्य मंचन, वाद-विवाद , विचार विमर्श व् कई प्रारूपों से समझाने व् बताने का कार्य करती है ! जिसको देख समझ कर सभी बालक बालिकाएं अति उत्सा

ऋतु स्त्राव चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बालिकाओं को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

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मेरा नाम प्रिंयका है मैं कक्षा 10 वी की छात्रा हूँ मेरे माता पिता किसान है हमारी वार्षिक जरूरतें सब खेती कार्य से सम्पन होती है घर में एक भाई व् एक बहन है हम सभी स्कूल में अध्ययनरत है एक दिन मुझे बहुत तेजी से पेट में दर्द हुआ जो बहुत असहनीय था यह बात मैंने अपनी माँ को बताई तो उन्होंने मुझे ऋतू स्त्राव चक्र के बारे बताया और कहा महिलाओ के लिए होना बहुत जरुरी है और उन्होंने मुझे सेनेटरी पेड उपयोग करने को कहा व् सलाह दी ! 5  दिन बाद मुझे राहत महसूस हुई ! फिर यह प्रकिर्या हर माह होने लगी ! वह मुझ में शारारिक बदलाव भी होने लगे जिसको में किसी को बतला नहीं पाती थी ! इसके कुछ दिनों पश्च्यात हमारी स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा स्कूली बालिकाओ के शिक्षा विकास को लेकर एक कार्यक्रम किया गया ! जिसमे सभी स्कूली बालिकाओ को यौन प्रजनन एवं जागरूकता कार्यक्रम हमारे साथ किया गया ! इस कार्यक्रम में बताया गया किस तरह बालिकाओ में 13 से 15 वर्ष की उम्र में ऋतु स्त्राव चक्र प्रारम्भ होता है ! और यह कब तक रहता है कैसे महिला व् पुरुषों में शारारिक बदलाव होते है और जननांग विकसित होते है ! कैसे , क

ग्रामीण स्कूलों में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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मेरा नाम जगदीश है और में अजमेर के ग्रामीण स्कूल में अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ हमारे यहाँ वर्ष भर स्कूली बालिकाओ के साथ विभिन्न मुद्दों पर कार्यक्रम करवाये जाते रहते है ! जिसमे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बहुत योगदान रहता है ! सामान्यतया यौन प्रजनन एक सोचनीय विषय है जिस पर आज भी हमारे समाज, घर, बाहर, आदि जगहों पर खुलकर चर्चाये नहीं की जाती है ! प्रमुखता यौन प्रजनन स्वास्थ्य  में मुख्य बिंदु समाहित रहते है ! जिसमे यौन रोग प्रजनन स्वास्थ्य, स्त्री पुरुष प्रजनन तंत्र, माहवारी चक्र व् स्वछता, लिंग समानता, बाल विवाह, परिवार नियोजन, प्रजनन तंत्र संक्रमण, यौन संचारित रोग / एच. आई. वी / एड्स  के बारे में खुलकर समझाया जाये ! संस्था इस विषय पर बालिकाओ से चर्चा भी करती है और उनकी झिझक, शर्मिदगी, बालपन आदि के कारण वे भी कभी कभी बोल नहीं पाती है ! जो उनके जीवन के लिए बड़ी कठिनाइयाँ देने वाले पल होते है ! उनकी जैसी प्रतिक्रिया पर ही समाज उन्हें सदा दबाये रहता है ! स्कूलों में यह  शिक्षा को सर्वव्यापी बना देना चाहिये ! जिससे उनको इसका सम्पूर्ण ज्ञान हो सके ! और उनको अपनी शारारिक स्वास्थ्य क

एक पिता की संघर्ष और समर्पण गरीब परिवार की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम

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मेरा नाम भेरूलाल है मैं एक फुटकर मजदूरी कार्य करता हूँ ! मेरे घर पर पत्नी व् 2 बेटियाँ  है व् दोनों स्कूल पढ़ने जाती है ! मैं एक निरक्षर पिता हूँ ! जो सभी की जानकारी नहीं रख सकता हूँ परन्तु मेरी पत्नी और मैंने शादी के 2 वर्ष बाद अपनी पहली पुत्री को जन्म दिया जो पूर्णता स्वस्थ थी इसमें मैंने पत्नी को पूर्ण आहार जैसे प्रोटीन , विटामिन, व् खाने पिने की सभी जरूरतों का ध्यान रखा !जब यह बच्ची 3 वर्ष की हुई तब मेरी पत्नी को दूसरा गर्भ धारण करवाया ताकि माँ और बच्चा स्वस्थ्य बने रहे ! दूसरी बच्ची होने के बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया क्योकि 2 से ज्यादा बच्चो का लालन पालन मैं अच्छे से नहीं कर पाता ! अंत यही मेरे लिए सब कुछ है मैंने अपनी लड़कियों  को हमेशा लड़को की तरह पाला व् बड़ा किया ! उन्हें वो हर बात कहने की आजादी दी जो सभी के हित में ही हो, मेरी पत्नी भी मेरे कार्यो में पूर्णता सहयोग करती है !  मेरी सबसे बड़ी बेटी 9 क्लास में है व् छोटी 6 क्लास में है ! बच्चियाँ धीरे धीरे बड़ी हो रही है मेरी पत्नी उनके शारारिक विकास, समस्याएं व् कुछ भी बात हो उनका विशेष ध्यान रखती है ! एक बेटी अपनी माँ को सबसे अच्छा

युवा शिक्षा और प्रजनन अधिकार: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की पहल

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हमारे भारत में आज भी पुराने रीती रिवाज़, लिंग असामनता व् स्त्री शिक्षा पर रोक आदि के कारण आज भी हम खुलकर इस विषय पर बात नहीं कर पाते है ! भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच यौन और प्रजनन स्वास्थ्य ( यौन और रिप्रोडक्टिव हेल्थ ) को लेकर जागरूकता की कमी है जिसके कारण ऐसे लोगों में यौन और गर्भ निरोध  से सम्बंधित मेक्योरिटी और जानकारी की कमी हो जाती है ! यौन हेल्थ कई फ़ैक्टर से सम्बंधित होता है इन फैक्टर्स से सैक्सुयल फंक्शन और प्रजनन प्रभावित होता है ! हमारे देश में काफी समय से से सेक्ससुयल ( यौन )  रिप्रोडक्टिव हेल्थ ( प्रजनन स्वास्थ्य ) के बारे में गलत धारणाएँ और स्पष्ट द्रष्टिकोण की कमी होने से महिलाओं के लिए बहुत सारी समस्याएँ पैदा हुई है सामान्यत जागरूकता की कमी होने से रूढ़ि वादी समाज में जवान लड़कियों के लिए यौन को वर्जित माना जाता रहा है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस विषय पर स्कूली बालिकाओं व् ग्रामीण महिलाओं के साथ यौन प्रजनन रोकथाम एवं जागरूकता कार्यक्रम ( संस्था ) द्वारा किया जा रहा है ! जो सभी को जागरूक करने का काम संस्था प्रतिनिधियों द्वारा करा जाता है ! यौन एवं प्रजनन

आगामी पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य वृक्षारोपण से पर्यावरण को पुनर्जीवित करना

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राजस्थान सम्रग कल्याण संस्थान पर्यावरण को लेकर काफी सजग व् जागरूक है उसका मानना है इस धरती को वृक्ष विहीन करने पर सम्पूर्ण धरती का नाश हो जायेगा ! जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल होगा व् धरती पर ऑक्सीजन लगभग न के बराबर हो जाएगी ! ऐसी परिस्थितियां मानव स्वयं अपने लिए निर्माण कर रहा है ! जो खुद उसकी प्रजाति के लिए बेहद घातक सिध्द होगा ! यह विषय समाज, देश, दुनिया के लिए अत्यंत शोचनीय बनता जा रहा है ! इसके कारण बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन हमे देखने को मिल रहा है ! जिसमें तापक्रम का प्रति वर्ष बढ़ना, अतिवृष्टि होना, मिट्टी का कटाव होना, भूस्खलन होना, समुन्द्र के जल स्तर में बढ़ोतरी , भूकंप, विस्फोट ,ज्वालामुखी आदि समस्याऐं उत्पन्न हो रही है ! वृक्षों का निरंतर काटा जाना इसकी मुख्य वजह है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान हर वर्ष वर्षा ऋतु के आस पास ग्रामीण काश्तकारों के साथ मिलकर वृहद पैमाने पर्यावरण  संरक्षण के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में काश्तकारों को फलदार पौधे , पेड़, व् खाद का वितरण किया जाता है ! संस्था ने इस वर्ष लगभग 61 परिवारों के साथ यह कार्य किया गया इसमें 450 पौधे का वितरण लगभग 65

वृक्षारोपण: ग्रामीण जीवन और पर्यावरण के लिए एक प्रेरणा

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मेरा नाम रामलाल है ! मैं पिचौलिया ग्राम की एक ढाणी में रहता हूँ ! गरीबी के कारण मैं अपने खेत के चारों तरफ बाड़बंदी करवाने मैं असमर्थ हूँ ! जैसे तैसे मिटटी कार्य से अपनी खेत का बचाव करता हूँ ! और खेत से प्राप्त उपज से अपना जीवन गुजर बसर करता हूँ ! फिर एक दिन हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से कुछ प्रतिनिधि आये ! उन्होंने पर्यावरण संरक्षण हेतु हमारे गांव में सर्वे किया जिसमे मेरा नाम भी उन्होंने अंकित किया ! उन्होंने मेरे खेत का मौका मुआयना किया ! फिर मुझे वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित भी किया ! उनकी यह बात मेरे हृदय को छू गई ! इस बात के 2 सप्ताह बाद वह पुनः हमारे गांव में आये ! और पौधो ,पेड़ ,खाद का वितरण किया ! जिसको पाकर समस्त काश्तकार प्रसन्न व् खुश थे !  इस कार्यक्रम के बाद मैंने अपने खेत के चारों तरफ 5-5 फ़ीट की दूरी पर बाड़ेबंदी के किनारे यह पेड़ पौधे लगाए व् जानवरों से बचाव हेतु इसके आस-पास कांटे व् लकड़ियों का घेरा बनाकर इनको सुरक्षा प्रदान की ! जिससे इनकी वृद्धि में किसी प्रकार से कोई बाधा न उत्पन हो पाये ! फिर दिन प्रतिदिन मैं उनको खाद पानी देने लगा शन्ने शन्ने इस पौधों का

धरती की हरी छांव: हर व्यक्ति की वृक्षारोपण जिम्मेदारी

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धरती पर वृक्ष महिला के शृंगार की तरह है जो उसे सुशोभित करता है ! उसकी आभा  व् सुंदरता में 4 चाँद लगा देता है ! यह हमे जीवन देने का कार्य करते है ! मानवीय जीवन में बहुत सारी आवस्यकताये इन्ही के द्वारा पूरी की जाती है ! यह रहने , खाने, पीने  व् रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते है ! हमारी धरती पर कुल 3 ट्रिलियन पेड  है व् इसकी करीब 3,80,000 पौधों की प्रजातियां इस धरती पर मौजूद है ! दुनिया के हर व्यक्ति पर करीब 400 पेड़ है इनमें से 2,60,000 प्रजातियां बीज़ पैदा करती है दुनिया के आधे से ज्यादा वन रूस,ब्राजील,कनाडा,अमेरिका और चीन जैसे 5 देशों में है ! भारत में कुल वन और पेड़ो का क्षेत्रफल देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24. 62 / है ! लगभग 31 / प्रतिशत वन हमारी दुनिया में फैले हुए है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष गरीब किसानो को फलदार पौधों का वितरण किया जाता है ! जो पर्यावरण प्रोत्साहन में समाज, गांव, देश की मदद करता है ! संस्था द्वारा सर्वप्रथम ग्राम में भ्रमण किया जाता है ! व् उसके पश्चयात चिन्हित किसान के साथ यह वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जाता है ! जहा इनके फल फूलने की अधिकता

बालिका शिक्षा और बाल विवाह पर जागरूकता

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अपनी बेटी को अरमानों की डोली में बैठकर अपने ससुराल जाना किस बाप का एक अच्छा सपना नहीं होता है सब पिताओं का यही सपना उनकी जिंदगी भर की कमाई होता है ! बेटी का पालना , उसे पढ़ाना, बड़ा करना, समाज के सभी विषयों का ज्ञान देना फिर जब एक दिन बेटी ब्याह के लायक हो जाती है ! तो दिल पर अरमानों का एक बड़ा सा पत्थर रख कर उसको विदा करना जिंदगी का सबसे मार्मिक क्षण होता है ! जब बरबस ही उसकी आखों के आँसू उस पिता की विवशता को दर्शाते है ! यह क्षण अत्यंत यादगार होता है ! इसके विपरीत जब एक पिता के द्वारा अपनी नाबालिग  बच्ची का जब बाल विवाह किया जाता है तो यह एक हत्या के सामान करा जाने वाला कृत्य कहलाता है ! जो उस बच्ची का बचपन खा जाता है ! और उसे नर्क की आग में जलने को जिंदगी भर के लिए डाल देता है !  मेरा नाम बलवंत सिंह है मैं पेशे से एक कारीगर हूँ मेरे परिवार में मेरी पत्नी ,माता पिता, व् 4 लड़किया है जो क्रमशः 14, 12, 10, 8 वर्ष की है ! जो की सभी स्कूल में अध्ययनरत है ! मेरे परिवार में जब मेरी बहन की शादी  की तब वह नाबालिग थी जो एक बच्चे को जन्म देने के बाद चल बसी ! इस वजह से मेरे दिल में यह डर  व्याप्त ह

सपनों की उम्मीद और शिक्षा की राह: एक बालिका की कहानी

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जिंदगी में अगर सपनें सच हो जाये तो जिंदगी के अरमान हो कुछ और होते है ! दुनिया में हर कोई सपने देखता है व् छोटे बड़े कुछ भी हो सकते है ! जिंदगी हर कोई अपने नजरिये से जीना चाहता है मगर सामाजिक रीति -रिवाज, रिश्ते, प्रचलन, दिखावा आदि में फंस कर ही रह जाते है ! कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ ! मेरा नाम बरखा है मैं 16 वर्ष की हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है हम घर में कुल 7 सदस्य है दादा दादी भी हमारे साथ रहते है शेष 2 मेरे भाई है वे स्कूल पढ़ने जाते परन्तु दादा जी की इच्छा है की मैं अपनी आँखो  से वो मेरी शादी देखें ! इसलिए पिता जी ने मेरा स्कूल छुड़वा दिया और मेरा रिश्ता तय कर दिया ! जिस वजह से मुझ में बहुत निराशा भर गई ! स्कूल जाने और आगे पढ़ाई करने का मैंने पिता जी कहा पर वह समाज, दादा के वचन और प्रथाओं से जुड़े थे ! इस लिए इंकार कर दिया !  फिर एक दिन स्कूल प्रशासन द्वारा एक गैर वित्तीय संस्थान जिसका नाम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान है ! जो वंचित, गरीबी, निर्धन, विकलांग, जरूरतमंद बालिकाओं के लिए शिक्षा सम्बन्धी कार्य करती है उनके प्रतिनिधि हमारे घर आये और सभी परिवार जनों से बातचीत की ! उन्होंने बत

शिक्षा और जागरूकता: बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई किए गए प्रयास और रणनीतियाँ

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मेरा नाम मनोज तिवारी है मैं ग्राम पदमपुरा में रा.उ.मा.वि में सरकारी टीचर के रूप में कार्यरत हूँ ! इस गांव में रावत व् गुर्जर जाती बाहुल्य रूप में निवास करती है जिसमे काफी हद तक निरक्षरता विद्यमान है !  जिसके चलते इनके रीती रिवाजो में बहुत सारी  कुरीतियाँ  शामिल है ! जो समाज में हमे नकारात्मकता का सन्देश देती है ! और देश व् राष्ट्र को पीछे धकेलने का कार्य करती है ! कुछ कुरीतियों को जड़ से मिटाना इतना संभव नहीं हो सकता है इस प्रकिर्या में सभी के साथ का होना अति आवश्यक है तभी हम स्वस्थ व् स्वच्छ समाज को पटल पर ला पाएंगे ! बाल विवाह वो दंश है जो एक नहीं समाज की बहुत सारी जिंदगियाँ बर्बाद करती है ! इसमें बालिका का बालपन छिन्न लिया जाता है ! जो उसे नर्क में धकेलने के लिए काफी है ! यहाँ समाज के हर व्यक्ति को इस विषय की सभी नकारात्मक बातों के लिए सोचना बहुत जरुरी है तभी हम बदलाव की किरण को जाग्रत कर पाएंगे !   हमारी स्कूल में पिछले 4-5 वर्षो से जरूरतमंद, वंचित, अनाथ, बेसहारा, गरीब, निर्धन, विकलांग, मानसिक रूप से पीड़ित आदि बालिकाओ की मदद के लिए यह संस्था बेहद सराहनीय व् प्रसंसनीय कार्य कर रही है

समाज की जिम्मेदारी: बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता और शिक्षा का महत्व

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भारत व् एशिया के कई देशों में बाल विवाह का कुरीति है ! जिसके चलते न जाने कितनी मासूम बालिकाओ का बचपन रौंधा गया व् कई हजारो बलि की वेदिका पर चढ़ गई ! समाज के द्वारा इन बालिकाओ को बालपन में ही इनका विवाह कर दिया जाता है ! जिससे न तो यह अपना बचपन, शिक्षा, समझ व् शारारिक संगठन को पूर्ण नहीं कर पाती है फलस्वरूप कई तरह की बीमारियों से यह ग्रसित हो जाती है व् अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाती है ! जल्दी शादी करने से न तो यह परिपक़्वता आती है न ही यह गर्भधारण करने योग्य रहती है ! समाज की सामाजिक कुरीतियों व् रूढ़िवादिता में इनकी दशा अत्यंत दयनीय होती है ! गरीबी, निर्धनता, लाचारी, अशिक्षा, रीती-रिवाज, प्रभुत्ववादी लोग व् नकारात्मक सोच की उपज ही बाल विवाह का मुख्य कारण बनती है इस अन्धकार को शिक्षा के प्रकाश से ही दूर किया जा सकता है !   राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा जरूरतमंद वंचित परिवारों की बालिकाओ के साथ बाल विवाह रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है ! इसमें शिक्षा के साथ इस विषय पर सभी बालिकाओ को जागरूक किया जा रहा है ! जिसमे इस बाल विवाह कुरीति का हमारे समाज में अन्तः हो सके व् सभी बालिकाएं

भविष्य की दिशा: ग्रामीण स्कूली बालिकाओं के शिक्षा के अधिकार और जागरूकता

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान पिछले 12 वर्षों से स्कूली बालिकाओं को लेकर वृहद पैमाने पर कार्य कर रही है ! जिससे हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में स्कूली बालिकाओ को शिक्षण सामग्री वितरण करती है ! इसमें लगभग 150 से 160 स्कूलों का चयन किया जाता है ! जिसमे प्रत्येक स्कूल में 25 बालिकाओ का सर्वे कर चयन किया जाता है ! जो वास्तविक रूप से जरूरतमंद होती है ! शिक्षा के क्षेत्र में अक्सर गरीबी, निर्धनता, व् अन्य लाचारी के कारण ये प्रतिभा जयादातर छिप जाती है ! इसके कारण ही निरक्षरता का प्रतिशत बढ़ता है ! व् कई सामाजिक मुद्दों को उभारने का कार्य करता है ! इस कार्य के लिए संस्था लगातार प्रयास कर रही है ! जिसमे इन सभी नकारात्मक बातों को हम दूर करके पूर्ण साक्षरता को देश में लेकर आये ! इसके लिए सरकार और हम जैसे कई संस्थान प्रयासरत है ! जो देश की समृद्धि व् खुशहाली में अपना कार्य व् सहयोग कर रही है !  नारी शिक्षा समाज का पहले से ही अहम् मुद्दा रहा है ! जिसमे नारी शिक्षा को तवज्जों काम दी जाती रही है ! उनको सदा घरेलु कार्य सम्पादित करने व् वंश वृद्धि के हिसाब से ही समाज में समझा व् स्थान दिया जाता र

शिक्षा और सामाजिक जागरूकता: बालिकाओं को सशक्त बनाने की संस्था की पहल

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मेरा नाम मुकेश है ! और मैं एक ग्रामीण स्कूल में अद्यापक के पद पर कार्यरत हूँ ! मै पिछले 18 वर्षो से कार्य कर रहा हूँ ! पिछले 5 वर्षो से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान अजमेर द्वारा हर वर्ष गरीब, वंचित, बेसहारा, अनाथ, विकलांग, निर्धन, व् जरूरतमंद बालिका को यह संस्था अध्ययन सामग्री व् शिक्षण सम्बन्धी पूर्ण सामग्री इन बालिकाओ को प्रदान की जाती है जिससे यह बिना किसी भेदभाव या संकोच से पढ़ाई कर सकती है ! संस्था हर वर्ष 25 ऐसी बालिकाओ को यह शिक्षण सामग्री दी जाती है जिसमे स्कूल बैग, स्टेशनरी, कॉपी, किताब, जयोमेक्ट्री बॉक्स, कलर सेट, ड्रॉइंग बुक, एग्जामिनेशन बोर्ड, स्कूल ड्रेस, जूते मौजे, स्वेटर, व् जॉकेट, वितरित किये ! जो बालिकाओ को वर्षभर के अध्ययन में भरपूर सहयोग करेगा !  सर्वप्रथम संस्था प्रतिनधि हमारी शाला में आये व् ऐसी बालिकाओ की सूची प्रधानाद्यापक जी से प्राप्त कर डोर टू डोर सर्वे करते है ! जिसमे वो उनकी वास्तविक स्थिति को देखकर उसे दूर करने हेतु अपनी पुस्तिका में इंद्राज करते है व् हर बालिका के सर्वे प्रपत्र पर कुछ सवाल भरे जाते है ! व् उनकी पहचान पत्र, आधार कार्ड प्रति , व् अंक तालिका

एक पिता की आशा: शिक्षा के माध्यम से बच्चों के भविष्य को सवस्थ और उज्ज्वल बनाना

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मेरा नाम किशन लाल है और मैं एक गरीब किसान हूँ जो जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करता हूँ ! मेरे परिवार में मेरी पत्नी व् माँ और 2 बेटे और 3 बेटियाँ  है ! दोनों बेटे मेरा कृषि कार्य में साथ देते है व् 2 बेटियाँ पढ़ने जाती है ! एक बेटी को में पड़ने में असमर्थ हूँ दिल तो बहुत करता है मगर अपनी गरीबी, लाचारी, व् विवशता के कारण मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है ! इस बात को मैंने स्कूल प्रशासन को भी बताकर आया था ! फिर एक दिन स्कूल से हमारे यहाँ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से कुछ प्रतिनिधि हमारे घर आये ! उन्होंने बताया मेरी बेटी को वो आगे पढ़ने में मदद करेंगे ! उनकी बात सुनकर मेरा दिल ख़ुशी से झूम उठा ! फिर उन्होंने कुछ सवाल पूछे व् मेरी बेटी का सर्वे प्रपत्र फॉर्म भरा गया !  इसके कुछ दिन बाद मेरी बेटी को स्कूल में दाखिला मिल गया !और वह फिर से शिक्षा प्राप्त करने स्कूल जाने लगी ! एक पिता होने के नाते अपनी बेटी के प्रति मेरे भी कुछ सपने है ! वह भी उच्च शिक्षा प्राप्त करे और समाज में अपना नाम कमाये व् देश की तरक्की में अपना योगदान दे ! इन सभी बातों का आज मुझे साराँश नजर आ गया ! अब जिंदगी में क

समाज में सम्मान और आत्म-संमान: शिक्षा के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव

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मेरा नाम गायत्री है ! मैं अजमेर के पास अजयसर गांव में रहती हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है ! जिसकी वजह से उनकी मजदूरी प्रभावित होती है ! इसलिए घर के संचालन के लिए मेरी माँ मजदूरी कार्य करती है ! हम 3 भाई बहन है ! मैं मे सबसे बड़ी हूँ ! एक बहन 10 वर्ष की है व् भाई 8 वर्ष का है ! इसी कारण मेरा भाई बस स्कूल जाता हैं ! वहम बहनें घर ही रहती हैं और काम करती है! मेरी आगे पड़ने की बहुत मंशा है ! मगर घर की विकट परिस्थिति के कारण मेरा अब स्कूल अध्ययन करना संभव नहीं हैं ! कभी कभी सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती है ! हमे मौजूदा हालात से समझौता करना पड़ता है !   फिर एक दिन स्कूल प्रशासन ने मुझे बुलाया औ बताया की उसे आगे पढ़ने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अध्ययन हेतु 25 बालिकाओं में उसे भी जोड़ा गया है ! जिसमे उसको अध्ययन सम्बंधित सभी सुविधाये प्राप्त होगी ! उसे वर्ष भर के लिए स्कूल के अध्ययन हेतु समस्त सामग्री जैसे स्कूल बैग, कॉपी, किताब, स्टेशनरी, जयोमेक्ट्री बॉक्स, कलर सेट,एग्जामिनेशन बोर्ड, स्कूल ड्रेस, जूते, मौजे, स्वेटर, जाकेट, हाइजीन किट, व् छात्रवर्ती दी जाएगी ! यह बात सुन आकर मेरे मन