"स्वच्छता और शिक्षा: समाज के सर्वांगीण विकास की कुंजी"


हम चाँद पर कदम रख चुके है और मंगल पर जाने  का अभियान बना रहे है एक और देश दुनिया में आगे की और तरक्की कर रहा है तो दूसरी और कुछ पिछड़ी सोच ,विचार धाराएँ , पिछड़े समाज की मानसिकता , कुरीतियाँ ,गरीबी, अशिक्षा देखने को मिलती है जो समाज में असमानता उत्पन करती है जो देश और प्रकर्ति में बाधक होती है और इस वजह से समाज में उसका सर्वांगीण विकास संभव नहीं है ! हमे शिक्षा का पूर्ण प्रसार करना होगा तभी इस सोच के नकारात्मक पहलुओं को हम बदल सकते है और समाज में समानता के भाव को पुनः स्थापित कर सकते है ! आज भी कहीं न कहीं स्त्री और पुरुषों के कार्यों में असमानता , शिक्षा, माहौल आदि में भिन्नता मिलती है जब उस मालिक ने हमको एक सामान बनाया है तो फिर समाज में भिन्नता क्यों व्याप्त है !


संस्था द्वारा अजमेर के ग्रामीण गरीब बस्ती ,स्लम एरिया , झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के साथ यह कार्यक्रम किया जाता है ! संस्था अमीर गरीब , छोटा बड़ा , स्त्री पुरुष आदि में भिन्नता नहीं रखती है ! सभी सामान रूप से समाज के कार्यो को सम्पादित करे ! कभी कभी असमानता के इस स्तर में कई वो प्रतिभाएं होती है जो समाज में उजागर नहीं होती है ! हमे इस भेद को मिटाकर सभी को अवसर देने होंगे जिसमे वो अपना चहुँमुखी विकास कर सके ! और देश की तरक्की में सहयोग करेगा ! हमारी संरचना भाषा, जाति, खानपान, मौसम सभी में भिन्नता होने के बावजूद समानता देखने को मिलती है आज भी स्त्री शिक्षा को समाज में समानता नहीं मिलती है ! स्त्री को हमेशा घर के कार्य निपटाने , वंशवर्द्धि के हेतु समझा जाता है लेकिन यह मिथ्या काफी हद तक दूर हो गई आज भी स्त्री पुरूषों के सामान कार्य कर रही है ! 


स्लम एरिया के बच्चों के साथ संस्था द्वारा वी आर एक़्विल कार्यक्रम करवाया जाता है उन्हें साफ सफाई के बारे में विभिन्न माध्यमो से समझाया गया ! और हायजीनिकता पर जोर दिया गया ! जिसमे उनको शारारिक साफ सफाई , खानपान , घर की साफ सफाई के बारे में बताया गया व् साथ ही उनको ब्रश , टूथपेस्ट , नहाने का साबुन , कपडे धोने का साबुन , तेल की शीशी , कंघा , नेपकीन , नेलकटर दिया गया ! जो उनको पूर्ण शारारिक स्वच्छता प्रदान करेगा ! और उन्हें हाइजीन करेगा ! यह बच्चे गरीबी और लाचारी के कारण स्वयं को साफ़ सुधरा नहीं रख पाते है इनके आस पास सदा गंदगी बनी रहती है ! और से बीमारियों से भी ग्रसित हो जाते है ! 


संस्थान इस छोटे से कार्य से समाज की सोच में बड़ा बदलाव लाना चाहती है जिसमे इसमें समानता का भाव उभरे व् यह भी दूसरे बच्चों की तरह साफ़ सुधरे व् हाइजीन बने रहे और अपने मन में इस असमानता के विषय के बारे में न सोचे और समाज के हर व्यक्ति के साथ मिलकर चले और अपने जीवन को सुनियोजित व् सफल बनाये और जिंदगी में लक्ष्य की प्राप्ति कर सके !

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