गरीब, विकलांग, बुजुर्ग,महिला एवं असहाय को कम्बल वितरण कार्यक्रम


समाज में ऐसे कई व्यक्ति है जो स्वयं की किसी ना किसी परेशानी से ग्रसित है और लाचारी उन्हें पंगु बना देती है गरीबी इसका प्रमुख कारण है जो हजारो तरह की समस्याओ को जन्म देता है। इसकी वजह से यह अपनी जरुरतें तक पूरी नहीं कर पाते है। हमारे साथ आस पास ऐसे कई विकलांग, गरीब, असहाय , बुजुर्ग महिलाये, वृद्व पुरुष, अनाथ, बेघर लोग ग्रामीण व् शहरों के आसपास सड़कों, फुटपाथ किनारे बिना किसी आश्रय के अपना जीवन व्यतीत करते है जिसके पास जिंदगी जीने का कोई भी साधन उपलब्ध नहीं होता है।  इस सर्दी के मौसम में मात्र अलाव जलाकर वो पूरी रात उसके पास सर्दी को सहन करते हुए गुजार देते है और कई लोगो को यह साधन भी नहीं मिल पाता है जिसके कारण वे शीत लहर के कुठाराघात से काल के मुँह में समाहित हो जाते है इनकी यह विवशता, लाचारी, हमारे समाज को कलंकित करती है। इनको इस मौसम से बचाने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान हर वर्ष बड़ी मात्रा में इन वंचित लोगों को गर्म कम्बल वितरण करती है जिसे ओढ़कर ये अपने शरीर का इस ठण्ड से बचाव कर पाते है। 


सबकी जरूरतें अधिकतर एक समान ही होती है जैसे आम आदमी को ठण्ड से बचाव करना होता है वैसे यह भी इसकी आवश्यकता का महत्त्व समझते है इन असहाय व्यक्तियों की आखों में मदद की वो गुहार होती है जिसको केवल मानवता की भावना समझ पाती है। समाज के यदि सभी व्यक्ति सक्षम लोग व् धनाढ्य व्यक्ति ऐसे वर्ग की मदद या सहायता करे तो कोई भी व्यक्ति ऐसी अवस्था में कभी जीवन यापन नहीं करेगा।  हम सब इंसांन है और इंसानियत के नाते हमारा यह फर्ज है की हम लोगों की मदद के लिए आगे आये।  हमारे समाज में यदि सबको समानता का अवसर प्राप्त हो जाए तो ऐसी दुर्दशा वाली अवस्था में कोई नहीं रह पायेगा। 


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इसी ध्येय पर कार्य करती है की हमारे आसपास कोई असहाय व्यक्ति इस तरह का जीवन यापन न कर सके। इसके लिए संस्था प्रतिनिधियों द्वारा रात्रि भ्रमण कर उन स्थानों को चिन्हित किया जाता है जहाँ यह रात्रि विश्राम या अपनी गुजर बसर करते है फिर बाद में उन्हें वही जाकर गर्म कम्बल ओढाये जाते है जिसको पाकर उनके चेहरे पर मुस्कान और ख़ुशी होती है और मुख से वो ढेरो आशीष प्रदान करते है।  वास्तव में इस कार्य को करके मन गदगद हो जाता है।  हमारे समाज का वही पिछड़ापन अगर सुधर जाए तो हम क्या हमारा समाज, राष्ट्र विकसित हो जाये। मानवीय संवेदनाये हमेशा दर्द भरे दिल का स्पंदन सुन सकती है।

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