भारत में कुपोषण की समस्या: विश्लेषण और समाधान




कुपोषण का मतलब शरीर में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी को कहते हैं कुपोषणता तब होता है जब शरीर को सही व पूर्ण मात्रा में आवश्यक तत्व नहीं मिलते हैं। इसके कारण आहार की कमी, पाचन की अवस्थाएं ,या कोई अन्य रोग शामिल है। इसमें शरीर एकदम निर्बल हो जाता है। थकान,चक्कर के लक्षण दिखाई देते हैं और मानसिक विकलांगता तक आ जाती है। व इसके कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है जिससे वे कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। भारत में कम मात्रा में भोजन करने पर कुपोषण विकसित होता है। कम आय वाले लोगों में भोजन की कमी बहुत आम बात है। खाने या पोषक तत्वों को अवशोषित करने में कठिनाई के कारण पुराने संक्रमण कैंसर,टी बी की बीमारी वाले लोगों को भूख कम लगती है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस हेतु गरीब,निर्धन,असहाय,बेरोजगार,
बेसहारा,विकलांग, मानसिक रोगी,गरीब बच्चों को स्लम एरिया के लोग,विधवा महिलाएं,व गरीब मरीजों के साथ हाइजीन फूड वितरण कार्यक्रम व राशन वितरण कार्यक्रम संस्था द्वारा किए जाते हैं, जिससे इनके शरीर के लिए जरूरी तत्व वाली समस्त रसोई खाद्य सामग्री उनको दी जाती है जिससे उनमें कुपोषण की समस्या ना आए। संस्था द्वारा गरीबी लाभार्थ कार्यक्रम ऐसे तबकों की जरूरत की सभी खाद्य सामग्री का वितरण करता है जिसके सेवन से उनके स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन,विटामिन,कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स,व न्यूट्रिशंस तत्व मौजूद रहते हैं।


इसके मुख्य कारण अशुद्ध और असंतुलित आहार ,शिक्षा और जागरूकता की कमी ,गंभीर रोग,आर्थिक कठिनाइयां ,सेवाओं में कमी,जलवायु एवं पर्यावरण,सामाजिक और आर्थिक कारण होते हैं। इससे बचने के लिए स्वस्थ आहार लें, नियमित भोजन करें, दूध व पौष्टिक वस्तुओं का सेवन करें,अधिक विटामिन लें, पानी ज्यादा से ज्यादा पिएँ, स्वस्थ रहें आदि है। भारत में इसे दूर करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं भी संचालित की जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे से महिलाएं प्रभावित होते हैं। कुपोषण से बचने के लिए सामाजिक जागरूकता व संतुलित आहार की आदतों को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है।सही समय पर इसके लक्षणों की पहचान करके इसे दूर किया जा सकता है। यह एक स्वास्थ्य समस्या है। किसी कुपोषण में पीड़ित को उसका पोषण देकर हम उसका शारीरिक में मानसिक विकास कर सकते हैं।


समाज के इस सामाजिक व दयालुतापूर्ण कार्यक्रम में सभी को अपनी भागीदारी निभानी पड़ेगी। यह एक मानवता के लिए किए जाने वाला कार्य है जिसमें इन सभी व्यक्तियों को कुछ सहारा मिलता है और उनका जीवन फिर से सुरक्षित वह स्वस्थ बन जाता है।


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