महिला सशक्तिकरण द्वारा स्वरोजगार: एक गांव प्रगति की ओर



मेरा नाम मैंना नायक है, मैं एक गृहणी हूं। घर में मेरे चार बच्चे हैं। वह पति मजदूरी का कार्य करते हैं। हमारा गांव अभी भी बहुत पिछड़ा हुआ है। यहां रोजगार संबंधी कोई भी साधन उपलब्ध नहीं है जिसके कारण  हमें यहाँ रोजगार नहीं मिल पाता है अतः हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। फिर बच्चों की पढ़ाई का खर्च बहुत अधिक हो जाता है। कुछ माह पुवऺ हमारे गांव में RSKS की टीम आई | उनके द्वारा महिलाओं के लिए   SHG का कार्यक्रम रखा गया जिसमें बहुत सारी महिलाओं ने भाग लिया। वहाँ उन्हें बहुत अधिक जानकारियां दी गई। उनके द्वारा बनाए गये SHG में मैंने भी अपना नाम लिखवा लिया। समय-समय पर मीटिंग के माध्यम से वह हमें बचत करने की प्रेरणा सीखते थे और अपनी बचत को SHG की महिलाओं में आपसी ऋण के रूप में बांटने के लिए प्रेरित करते थे। धीरे-धीरे फिर हमनें बैंक से स्वरोजगार लिए ऋण आवेदन किया। उसके बाद मैंने संस्था के माध्यम से सिलाई प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवा दिया। प्रशिक्षण में हमें सभी प्रकार के वस्त्र सिलना सिखाया गया। और उस काम में हमें पांरगत किया फिर हमें बैंक से जो ऋण प्राप्त हुआ, उससे मैंने सिलाई मशीन खरीद कर घर में स्वयं का कार्य करना प्रारंभ कर दिया।


मैं फिर आस-पास की ग्रामीण महिलाओं के वस्त्र सिलने लगी और धीरे-धीरे इस काम में मेरे पास कई ग्राहक आने लगे। इसके साथ-साथ में पुष्कर में रेडिमेड फैक्ट्री में अंग्रेजों के वस्त्र भी सिलने लगी तो मुझे और अधिक आय प्राप्त होने लगी। कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। बस निरंतरता जरूरी है। यह भावना हमें बचत करना, ऋण अदायगी व स्वरोजगार से जोड़ती और प्रेरित करती है। स्वयं का रोजगार स्थापित करने की क्षमता का संवर्धन भी करती है। इस कार्य को करने से मेरा घर का खर्च निकालने के बाद भी मेरी बचत हो जाती है और इससे अब मेरे बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।


महिला सशक्तिकरण के इस विशाल कार्यक्रम से जुड़कर अब हमारी सामाजिक,आर्थिक,पारिवारिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। वह मेरा गृहस्थ जीवन भी इससे आसान हुआ है। पहले बेतरतीब खर्चों से बचत नहीं हो पाती थी परंतु अब सभी कार्य मेरे नियंत्रित हिसाब में पूरे हो जाते हैं।इस महिलाओं के कार्यक्रम से हमें जीवन में जीने का एक लक्ष्य भी मिला है। महिला सशक्तिकरण को सुद्धढ़ता प्रदान करने वाला यह बहुत ही सकारात्मक कार्यक्रम है। इससे पहले पूरा परिवार एक कमाने वाले व्यक्ति पर ही आश्रित तथा परंतु महिलाओं के स्वरोजगार अपनाने से एक नई सोच और एक नया बदलाव आया है | SHG कार्यक्रम में जुड़कर महिलाएं अब अपने स्वरोजगार को अपना रही है। वह देश की समाज की गांव की आर्थिक उन्नति में अपना सहयोग दे रही है।।

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