भारत में गौरैया संरक्षण का महत्व: एक सामुदायिक प्रयास


भारत में पाई जाने वाली गौरैया एक बहुत सामाजिक पक्षी है। यह पक्षी झुंड बनाकर रहता है और सामुदायिक आवास करता है। यह बहुत छोटे और प्रभावी होते हैं। यह विभिन्न प्रकार की जलवायु में रह सकते हैं। यह उन भागों में भी ज्यादा मिलते हैं जहां छोटे-मोटे कीट पतंगे होते हैं जिनको यह अपना भोजन बनाती है। यह सभी प्रकार का भोजन खा जाती हैं, जिसमें दाना,पानी,फूल रस आदि होते हैं। यह वर्ष में दो बार प्रजनन कर 5 से 6 अंडे देती हैं। यह बहुत घरेलू पक्षी है। यह मुख्यतः उत्तरी अफ्रीका ,यूरोप,एशिया में पाई जाती है। यह एक छोटी चिड़िया है जो हल्के भूरे रंग या सफेद रंग में होती है।


गौरैया बीज,अनाज,और लार्वा को भी खाती है और प्रभावी  किट नियंत्रक एजेंट साबित होती है। परागकण पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो गौरैया द्वारा की जाती है क्योंकि वे अपने भोजन की खोज के दौरान पौधों के फूलों पर भी जाती हैं और परागकणों को स्थानांतरित करने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करती है। बार-बार चहकने की आवाज से इनको आसानी से पहचाना जा सकता है। उनकी प्रजनन क्षमता उपनगरों व गांव में अधिक है जहां छोटे-मोटे कीट-पतंगों की प्रचुरता है। जैसे गेहूं उगाने वाले भागों में यह सबसे ज्यादा प्राप्त होती है। शाम को पक्षियों का बसेरा में बसने से पहले और बाद में साथ ही सुबह में पक्षियों के बसेरा छोड़े जाने से पहले बहुत अधिक सामुदायिक चहचहाहट होती है।

राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इनके संरक्षण व इनके विकास के लिए कार्यक्रम बहुत जोर शोर से चला रही है जिससे उनके आवास हेतु चिड़ियाघर व फीडर का संस्था द्वारा वितरण किया जाता है। जो भी पर्यावरण प्रेमी इसे लेना चाहे तो वो इसे प्राप्त कर उसका संरक्षण कर सकता है। ये एक नेक मानवीय कार्य है। किसी जीव को आसरा और सहारा देना | संस्था के द्वारा इन प्रयासों से पुनः उनकी संख्या बढ़ाने हेतु अधिक जोर दिया जाता है जिससे इस पर्यावरण का संतुलन वापस कायम हो सके और वापस इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो सके। इसके लिए मानव द्वारा मानवीय प्रयास किए जाने बेहद जरूरी है।


हमारी धरती के पर्यावरण में प्रत्येक जीव का अहम किरदार है। चाहे वह जीव छोटा हो या वृद्ध आकार का जीव इन सबके अपने कार्य हैं। यह एक प्रकार की जीवन श्रृंखला का निर्माण करते हैं जिसमें ये सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए हमें प्रत्येक जीव का संरक्षण करना चाहिए। नहीं तो जीवन श्रृंखला पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। इस कड़ी में गौरैया भी हमारी प्रकृति में पर्यावरण का अहम हिस्सा है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस कार्य हेतु अभी तक 670 चिड़ियाघर 670 फीडरों का पर्यावरण प्रेमी को वितरण किया जा चुका है। यह एक प्रयास है कि लुप्त हो रही इस प्रजाति को हम एक छोटे से प्रयास से अपने आंगन में फिर चहकता हुआ देखें  करता और पर्यावरण में अपना भी कुछ योगदान दे सकें। इस अभियान को संस्था द्वारा निरंतर जारी किया जा रहा है और इसका वास्तविक सकारात्मक प्रभाव हमें देखने को मिल रहा है। जहां-जहां पर चिड़ियाघर लगाए गए हैं, वहां उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। समाज के हर नागरिक को इसने कार्य में अपना सहयोग अवश्य देना चाहिए जिससे हम पृथ्वी की प्रकृति व पर्यावरण में इनको जीवन की रक्षा व सुरक्षा प्रदान कर सके।

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