नवाचार और नेतृत्व: वनिता की इसरो विरासत



मुथैया वनिता एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर है जिन्होंने इसरो में उपग्रहों पर परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। वह इसरो के चंद्रयान -2 चंद्रयान मिशन की परियोजना निदेशक थी। व चंद्रयान -3 के लिए उप परियोजना निदेशक के रूप में शामिल रही।


वनिता चेन्नई की रहने वाली है और मूल रूप से एक डिजाइन इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बॉयलर प्लांट स्कूल त्रिची में पूरी की। उन्होंने कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग गिंडी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वनिता ने तीन दशकों से अधिक समय तक इसरों में काम किया। वह हार्डवेयर प्रशिक्षण और विकास की विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली जूनियर इंजीनियर के रूप में इसरो में शामिल हुई। बाद में प्रबंधकीय पदों पर रही और इसरो सैटलाइट सेंटर के डिजिटल सिस्टम ग्रुप में टेलिमेंट्री और टेली कमांड डिविजनों का नेतृत्व किया। उन्होंने काटोसैट-1  ओशनसैट-2 और मेघा टॉपिक्स सहित कई उपग्रह के लिए उप परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया, जहां वह डाटा संचालन के लिए जिम्मेदार थी। वनीता 2013 में मंगल ग्रह पर सफल मंगलयान मिशन में भी शामिल थी।


वनिता को 2006 में एक्सट्रैरोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक का पुरस्कार भी मिला। डिजिटल सिग्नल प्रोसेसंग प्रक्रिया में माहिर विनीता ने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं। उन्होंने मैंपग के लिये इस्तेमाल होने वाले भारतीय  रिमोट सैंसग उपग्रह ( काटौसैट-1) दूसरे महासागर अनुप्रयोग (ओसिशनसैट -2 )और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इंडो- फ्रेंच उपग्रह (मैगा टॉपिक) पर परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया।


इनका जन्म 2 अगस्त 1964 को चेन्नई में हुआ था। इसरो के चंद्रायन-2 चंद्र मिशन  के लिए वनिता को एसोसिएट डायरेक्टर से प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में पदोन्नत किया गया। वह इसरो में इंटरप्लांट्री मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला है। माइलस्वामी अन्नादुरई जिन्होंने उन्हें भूमिका निभाने के लिए आश्वस्त किया कहा कि उनके डेटा प्रबंधन,टीम प्रबंधन,और समस्या समाधान कौशल ने उन्हें इस पद के लिए आदर्श व्यक्ति बनाया है। वनिता की जिम्मेदारियों में सभी प्रणालियों के विकास और क्रियान्वन की पूरी निगरानी सुनिश्चित करना और परियोजना के लिए प्राधिकरण के एक बिंदु के रूप में कार्य करना शामिल है।प्रक्षेपण सफलतापूर्वक 22 जुलाई 22 को हुआ। चंद्रयान-1 के विपरीत इनका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर इसकी कक्षा की बजे एक जांच को उतरना था।

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