आत्म निर्भरता की और बढ़ते कदम
मेरा नाम गेंन्दा देवी है मैं कड़ैल गांव में रहती हूँ मेरे पति के गुजर जाने के बाद बहुत दुखी हो गई हूँ मेरे 3 बच्चे हैं वो बहुत छोटे हैं मैं नरेगा में मजदूरी कार्य करती हूँ और कभी कभी फूटकर मजदूरी करती हूँ कोई भी काम किसी भी उम्र में प्रारम्भ कर सकते हैं इसका कोई वक्त निश्चित नहीं होता है मन में दृढ़ निश्चय कर मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी व बैंक से ऋण प्राप्त कर मैंने स्वयं का बकरी पालन व्यवसाय प्रारंभ किया|
मैंने प्रथम बार में बैंक ऋण से 5 बकरी खरीदी फिर उनका लालन- पालन कर वर्षभर में उनसे 10 बच्चे प्राप्त कर अपनी बैंक ऋण की अदायगी करी | अब पूरी तरह से यह बकरीयां मेरी हो गई | इनको खिलाने पिलाने में ज्यादा खर्च नहीं आता है यह गरीब की गाय है धीरे धीरे मैंने और बकरी खरीद ली | अब दूध, इनकी खाद, व मैमनो को बेचकर मैं अच्छी आमदनी कमा रही हूँ यह बकरी पालन व्यवसाय बहुत सरल और सुगम है जरूरी नही किसी भी काम को करने के लिये अधिक धन की आवश्यकता हो हम छोटी पूंजी से भी अपना काम आरंभ कर सकते हैं व अपनी आथिर्क स्थिति मजबूत व आसान बना सकते हैं |
गांव गांव में चल रहे इस वृहद कार्यक्रम से कई ग्रामीण महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है ग्रामीण परिवेश को देखते हुए यह रोजगार कार्यक्रम बहुत लाभकारी है इस कार्यक्रम से गांव की हजारों महिलाओं फायदा उठाकर अपना काम सुचारू रूप से कर रही हैं कयोकि कम खर्च में हमें अधिक से अधिक लाभ मिल जाता है ग्रामीण विकास के लिए यह कार्य महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था से जुड़कर हमने इस योजना का लाभ उठाया व ग्रामीण परिवेश में रोजगार जानकारियां को अच्छी प्रकार से समझा | इसके सामाजिक व महिला सशक्तिकरण के कार्य के लिये सम सभी ग्रामीण संस्था का आभार व्यक्त करतें हैं और समाज की इस बदलती विचार धारा में उनका धन्यवाद करते हैं |
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