विकलांगता से स्वावलंबन की ओर : मेहनत और साहस की कहानी
मेरा नाम आफताब है। मेरा गांव श्रीनगर में है मैं एक पैर से पूर्णतया विकलांग हूं और 12वीं क्लास तक पढ़ा हूं। मेरे पास अभी कोई कार्य नहीं है। बेरोजगारी के कारण मेरी स्थिति बद से बदतर हो गई है। घर पर हालात सही नहीं है। इस समस्या से मैं ग्रस्त हो गया था। कुछ दिन बाद राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के बारे में पता चला जो विकलांग जनों के लिए कई कार्य करती है। सरपंच की सहायता से मैंने उनसे संपर्क किया और अपनी पूरी व्यथा उनके सम्मुख रखी। संस्था प्रतिनिधियों द्वारा मुझे आश्वस्त किया गया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना के अंतर्गत मेरे सभी दस्तावेज लगाकर फॉर्म भरा | इस योजना के तहत आय सृजन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाली किसी भी गतिविधि को शुरू करना है। इसमें लाभार्थी को किफायती दरों पर ऋण प्रदान किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और समग्र सशक्तिकरण के लिए रियायती की ऋण प्रदान करके जरूरतमंद दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता करना है। यह ऋण रोजगार ,शिक्षा, डिप्लोमा, कौशल विकास के लिए दिया जाता है
संस्था प्रतिनिधियों ने बताया इसके लिए विकलांग व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और 40% से अधिक विकलांगता का होना जरूरी है। इस दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना के तहत 50000 से 50 लाख तक का ऋण सरकार द्वारा मुहैय्या कराया जाता है, जिसकी अवधि 10 वर्ष की होती है। उधारकर्ता किसी भी पूर्व भुगतान शुल्क का भुगतान किए बिना पुनः भुगतान शुरू करने के बाद किसी भी समय ऋण चुका सकता है। इन सभी जानकारी लेने के पश्चात मैंने स्वरोजगार हेतु अपना ऋण आवेदित किया जिसमें मैंने ₹70000 का ऋण लिया। इस ऋण से मैंने अपने घर के बाहर एक छोटी सी दुकान खोली जिसमें मैंने घरेलू रोजमर्रा की वस्तुएं विक्रय करने लगा। धीरे-धीरे इससे रोजगार से मैं अब स्वयं सक्षम बन गया हूं और अब किसी पर भी आश्रित नहीं हूं। अपने स्वरोजगार से प्राप्त आय से प्रति माह अपने ऋण किस्त की अदायगी भी कर रहा हूं। मेरे इस कार्य में संस्था का बहुत अपूर्णनीय योगदान रहा है।
देखा जाए तो विकलांगता एक अभिशाप नहीं है। मन में अगर कुछ करने की लगन हो, सच्ची मेहनत हो तो कोई भी व्यक्ति अपनी राहे अग्रसर कर सकता है। इसके लिए सही जानकारी व शिक्षा बहुत जरूरी है। सरकार व अन्य संस्थाओं के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसमें समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ने व धार्मिक उन्नति करने का अवसर प्राप्त हो सके। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा यह कार्य बहुत तरीके से किया जाता है जिसमें उनके विचार,कार्य प्रणाली,शिक्षा,साधन,जरूरतें,आय सभी की बारीकी से जानकारीयॉं ली जाती है और उनके कार्य करने वाले विषय पर उन्हें लगाया जाता है। स्वरोजगार के माध्यम से राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। स्वरोजगार के माध्यम से व्यक्ति में कार्य कौशल का विकास होता है। इसके माध्यम से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
समाज को प्रेरणा देता यह कार्य बहुत प्रशंसनीय है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अभी तक 40 लोगों को स्वरोजगार हेतु ऋण दिलाकर उन्हें कौशल विकास आर्थिक गतिविधि से जोड़ा है। जो की एक प्रशंसनिक कार्य है मानव का मानव के लिए किए जाने वाला कार्य ही मानवता है संस्थान की समस्त टीम इस कार्य में बहुत मेहनत करती है और समय समय पर चर्चाओं के माध्यम से जानकारी का आदान-प्रदान भी करती है। इस सामाजिक व मानवीय कार्य के लिए मैं संस्था को हार्दिक धन्यवाद देता हूं।
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