स्वतंत्र उद्यमी रेनू सूद कर्नाड की दृष्टि: आवास और वित्तीय सेवाओं का संगम



रेनू सूद कर्नाड  एक भारतीय व्यवसायी है और भारत की सबसे बड़ी माॅर्टगेज फाइनेंसर भी है। व एचडीएफसी बैंक की प्रबंध निदेशक भी है। इसके अलावा वह एचडीएफसी प्रॉपर्टी वेंचर्स लिमिटेड, एचडीएफसी एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड दोनों में है। ऐसी कंपनियों के लिए साथ 7 अन्य और पदों पर भी है। एचडीएफसी की सहायक कंपनियां और गैलेक्सौस्मीथक्लाइन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के गैर कार्यकारी अध्यक्ष व इंद्रप्रस्थ कैंसर सोसायटी और रिसर्च सेंटर में गवर्निंग काउंसलिंग की उपाध्यक्ष और 17 अन्य कंपनियों के बोर्ड का हिस्सा भी है।


कर्नाड 2010 से एचडीएफसी लिमिटेड के एमडी है। मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री और दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री के साथ स्नातक करने के बाद उन्होंने 1978 में 26 साल की उम्र में एचडीएफसी के साथ अपना करियर शुरू किया। बाद में 1984 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों का अध्ययन करने के लिए एक छोटा सा ब्रेक लिया। कर्नाड बैंकिंग सेवाओं के लिए तत्कालीन नए हब और स्मोक मॉडल के अनुसरणकर्ता थे जो संपर्क बिंदु पर ऋण प्रदान करके आसान पहुंच प्रदान करते थे। शुरुआती वर्षों में उनके प्रयासों ने उन्हें एचडीएफसी में रन व्यवसाय का प्रमुख बनने के लिए प्रेरित किया।

 


2013 में उन्हें फॉर्च्यून इंडिया पत्रिका की 2011 से 2019 तक 8 वर्षों के लिए भारत में व्यवसाय में सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। उन्हें एशिया में ध्यान देने योग्य शीर्ष 10 महिलाओं के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया। वॉल स्ट्रीट जनरल कर्नाड 2019 में सबसे अधिक वेतन पाने वाली गैर प्रवर्तक कार्यकारी में से एक है। 2020 में उन्हें आदित्य पुरी उत्तराधिकारी की तलाश करने वाले एक पैनल के द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया था। 


 कर्नाड SABERA पुरस्कारों की जूरी भी रहे हैं जो CSR के क्षेत्र में SDG और PSG पहलों को स्वीकार करते हैं। कर्नाड को बैंक की जबरदस्त वृद्धि और वर्तमान स्वरूप में इसकी सफलता का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने एचडीएफसी बैंक का उसकी मूल कंपनी एचडीएफसी के साथ विलय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एचडीएफसी विलय से पहले कर्नाड ने मारुति सुजुकी और एबीवी इंडिया का मैं अपना निर्देशक पद छोड़ दिया था। कनॉट का विवाह रणनीतिक मामलों में विश्लेषक भरत कर्नाड से हुआ है।


कनाऺड एक आशावादी है जो आवास को एक संपत्ति के रूप में देखते हैं जिसका मूल्य ह्रास नहीं होगा। उनका यह भी मानना है कि आवास में निवेश एक तरह से राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है। क्योंकि 270 से सहयोगी उद्योगों को आवास क्षेत्र से रोजगार मिलता है। वह भारतीय उपभोक्ताओं की परिपक्वता की सराहना करती है।और कहती है कई बैक धोखाधड़ी के बावजूदउपभोक्ताओं ने बैंकिंग प्रणाली में अपना विश्वास जताया है।

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