चेतना सिंन्हा : गांवों में महिला सशक्तिकरण की मिसाल
चेतना सिंन्हा यह एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही है। वह अपने उद्यमशीलता कौशल,जमीन तक पहुंच और उत्पादन साधनों को सीखाकर ग्रामीण भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनने का काम कर रही है।
चेतना सिंन्हा ने 1997 में उन्होंने भारत में ग्रामीण महिलाओं के लिए मन देसी महिला सरकारी बैंक की स्थापना की। मन देसी बैंक के पास एक लाख खाताधारक थे और 2018 में बैंक में अत्यंत छोटे स्तर पर महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 50 मिलियन से अधिक का ऋण दिया।
मन देसी फाऊंडेशन ग्रामीण स्तर पर सुक्ष्म महिला सुक्ष्मके लिए बिजनेस स्कूल, सामुदायिक रेडियो और चैंबर ऑफ़ कॉमर्स चलता है। 2018 में किसने लगभग 5 लाख महिलाओं का समर्थन हासिल कर लिया |
मुंबई में जन्मी चेतना सिंन्हा ने 1982 में मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में मास्टर डिग्री हासिल की चेतना सिंन्हा को महिलाओं के लिए भारत के सर्वोत्तम नागरिक पुरस्कार नारी शक्ति से सम्मानित किया गया।
शुरुआती जीवन की बात करें तो चेतना सिंन्हा 1970 से 1980 के दशक में मुंबई में पली - बढ़ी ,कॉलेज रहते हुए उन्होंने बीकॉम किया और मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
उन्हें पहला झटका तब लगा जब भारतीय रिजर्व बैंक ने 1996 में उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज किया कि कुछ प्रमोटिंग सदस्य गैर साक्षर थे | चेतना निराश होकर गांव वापस आ गई। लेकिन अन्य ग्रामीणों ने उन्हें साक्षरता कक्षाएं आयोजित करने के लिए प्रेरित किया। 5 महीने के बाद सिंन्हा ने नए आवेदन और गांव की महिलाओं के साथ बैंक वापस गई।
आज सिंन्हा मन देसी महिला सरकारी बैंक की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। यह एक माइक्रोफाइनेंस बैंक है जो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को उधार देता है। मन देसी महिला सरकारी बैंक ग्रामीण महिलाओं के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से सरकारी लाइसेंस प्राप्त करने वाला देश का पहला बैंक है।
जिसे अपने 1335 सदस्यों में से रुपए 708000 की कार्य पूंजी के साथ 1997 में स्थापित किया।यह बैंक ग्रामीण महिलाओं को सफल उद्यमी बनाने के लिए वित्तीय सहायता और भावनात्मक प्रोत्साहन देता है। मन देसी बैंक फाउंडेशन वित्तीय साक्षरता कक्षाएं भी चलता है। जहां महिलाओं को मोनोपोली जैसे खेल वाले माॅडयूल के माध्यम से बचत,निवेश,बीमा,और ऋण की पेचीदगियां सिखाई जाती है। यह कार्य वास्तव में बेहद सराहनीय है।
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