चिड़ियाघर द्वारा वन्य जीवन का संरक्षण: एक समर्पित प्रयास एक नई पहल
मेरा नाम अविनाश आहूजा है मैं एक पर्यावरण विद हूं और एक कॉलेज में वनस्पति विज्ञान का प्रोफेसर हूं | हमारे भारत में कई तरह के पशु पक्षी निवास करते हैं उनमें से हर घर के बाहर आंगन में पहले बहुतायत गौरैया पक्षी पाई जाती थी | परंतु वृक्षों की अंधा धुन्ध कटाई व पर्यावरण प्रदुषण की वजह से इनकी प्रजाति लुप्त होने के कगार पर आ गई है इसके लिए कुछ समय पूर्व मुझे पता चला की अजमेर की राजस्थान समग्र कल्याण संस्था द्वारा इस प्रजाति को बचाने का एक अभियान चलाया जा रहा है संस्था से सम्पर्क करने पर उन्होंने कार्यालय में आने का मुझे निमंत्रण दिया
फिर मैं संस्था के पास या और उनसे बातचीत कर देखा कि संस्था द्वारा विभिन्न संस्थाओं, क्रार्यालयो , शिक्षण संस्थान बाग बगीचे में हॉस्पिटल थाने व और ऐसे स्थान जहां पेड़ों की संख्या बहुत अधिक है वहां चिड़ियाघर में उनके खाने हेतु फीडर की व्यवस्था की गई है जिसके नतीजे उनकी संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि देखी गई है | उनको देखकर लगा मुझे जैसे मेरे बचपन के वो दिन चिड़िया उड़ खेल की याद मेरे मन मस्तिष्क में पुनः ताजा हो गई।
संस्था द्वारा ज्ञात हुआ प्राकृतिक रूप से वह उनके घोसले को देखते हुए इनका पूर्ण बचाव के साथ चिड़ियाघर का निर्माण करवाया गया है जिससे उन्हें कोई परेशानी ना हो वह खाने हेतु फीडर की व्यवस्था से उन्हें भोजन व पानी की सुविधा मिलती रहे। फल स्वरुप वह अच्छे से अपने वंश वृद्धि को आगे बढ़ा सके और फिर यह प्रजाति लुप्त होने की कगार से बाहर आ सके। संस्था के अथक प्रयास ,सहयोग,प्रोत्साहन,कार्यशालाओं, व रैली कार्यक्रमों के माध्यम से इसे बढ़ावा मिल रहा है। व संस्था द्वारा जो इस प्रजाति का संरक्षण करना चाहे उसे चिड़ियाघर में फीडर की सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है |
मेरे द्वारा अब तक किया गया पक्षियों के सर्वेक्षण कार्य में इस संस्था का यह कार्य बहुत ही नेक व प्रंशसनीय है जो हमें यह प्रेरणा देता है कि किस तरह एक छोटे से कार्य से किसी प्रजाति का संरक्षण कर सकते हैं संस्था पर्यावरण व प्रकृति के प्रति इतने सजग और जागरूक हैं। मैं संस्था प्रभारी वह उनकी समस्त टीम का ह्रदय से धन्यवाद देता हूं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें