जीवन की रक्षा में एक कदम आगे: गांव के बच्चों के साथ अजय की पहल


 

मेरा नाम अजय चतुर्वेदी है। मैं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जेठाना में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हूं। हमारी धरती जीव -जंतु ,पशु -पक्षी सभी से भरी पड़ी है। इस बदलते पर्यावरण परिवेश में आजकल पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे हमारी वनस्पतियां व पशु-पक्षी का जीवन बहुत ही संकटमय में स्थिति में आ गया है। इसका मुख्य कारण हम मनुष्य ही हैं जो अपने निजी स्वार्थ हेतु इस पर्यावरण का विनाश कर रहे हैं। परंतु समाज के कुछ बुद्धिजीवों द्वारा उसको रोकने का आवश्यक प्रयास किया जा रहा है। इसी संदर्भ में हमारे गांव के स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा कई चिड़ियाघर लगाये गये। इसके बचाव हेतु उनके द्वारा बच्चों के साथ एक कार्यक्रम भी किया गया, जिसमें बच्चों को प्रायः हमारे घर पर मिलने वाली बंया पक्षी के बारे में बताया जो पहले अक्सर घरों के आसपास,खेतों में,ऑफिस में,व हर जगह जहां पेड़ बहुतायत होते हैं। वहां बहुत सी संख्या में मिल जाती थी। परंतु अब प्रकृति के विनाश और पर्यावरण विदोहन के कारण इनकी संख्या लगभग नगण्य सी हो गई है। संस्था द्वारा सभी बच्चों को बताया गया किस तरह इन छोटे जीवों की प्रजाति को बचाकर हम पर्यावरण में बहुत सहयोग प्रदान कर सकते हैं।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस हेतु बहुत अधिक सार्थक प्रयास किया जा रहे हैं जिसमें एक आवेदन फॉर्म भरकर हम निशुल्क चिड़ियाघर व फीडर प्राप्त कर सकते हैं। इसे कहीं भी जहाँ छायादार जगह हो,पानी से उनका बचाव हो सके,उसे स्थान पर लगा सकते हैं और उनके भोजन की व्यवस्था हेतु पास ही दाना पानी का फीडर भी लगा सकते हैं जिससे यह पक्षी स्वत आकर अपना घोंसला बनाएं और अपनी प्रजाति को आगे बढ़ाये ,बंया बहुत छोटा सा पक्षी है। यह हमारे आंगन,खेत में आसपास के छोटे-छोटे की पतंगे खाकर भी अपना जीवन यापन कर सकते हैं। इनको अपनापन व सुरक्षा की भावना चाहिए जहां पर यह प्राप्त होती है वहां उनकी संख्या बहुतायत पर पहुंच जाती है।


यह पक्षी वर्ष में दो बार प्रजनन करते हैं और अपनी वंश वृद्धि करते हैं। इनका घोंसला बेहद ही छोटे धागे,रुई,कपास, घास,पुष्प व मिट्टी से बना होता है जिसमें उनके बच्चे आसानी से रह सकें। यह घर के सभी खाद्य पदार्थ को चुन-चुन कर खाती है। पहले हर घर में उनके लिए लकड़ी,पुठ्ठो के घर बनाए जाते थे। पर  इस बढ़ते युग के मीडिया ने यह बातें अब पुरानी सी बना दी है। इन सभी बातों का असर हमारे विद्यालय के छात्र-छात्राओं पर पड़ा। उन सब ने इसके बचाव हेतु शपथ ली कि हम भी पर्यावरण की रक्षा करेंगे और वृक्षों को कटने नहीं देंगे। पशु पक्षी की जाति के संवर्धन में हम अपना भी योगदान देंगे।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा किए जाने वाला यह कार्य बहुत ही सराहनीय व प्रशंसनीय है की मूक जीव को हम थोड़ा सा सहारा देकर हम उसका जीवन बचा सकते हैं और इस पर्यावरण संरक्षण में अपना अहम योगदान भी निभा सकते हैं। यह इंसानियत के नाते मानवता का सबसे बड़ा धर्म है। अगर हम ही इसका विनाश करते रहे तो एक दिन धरती से समूल जीवों का विनाश हो जाएगा। इस नेक कार्य के लिए मैं संस्था को हृदय से धन्यवाद करता हूं।

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