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महिलाओं का सम्मान: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सशक्तिकरण और समानता

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नारी शक्ति, अभिमान, ज्ञान, त्याग, बलिदान, की मूरत है। हमारा भारतीय समाज सर्वप्रथम नारी पूजने से ही अपने कार्य को प्रारंभ करता है। महिलाएं जीवन को गति प्रदान करती है। हमारे यहां नारी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। महिला दिवस कार्यक्रम का अर्थ है महिलाओं की अहमियत को समझने के लिए लोगों को जागरूक करना उनके लिए ऐसे समाज का निर्माण करना जहां महिलाएं खुद को जुड़ा हुआ और सशक्त महसूस करें। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारियों और तरक्की के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता, समरसता और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा 8 मार्च 2024 को अजमेर के लामाना व नारेली गांव में बड़ी धूमधाम के साथ महिला दिवस कार्यक्रम मनाया गया | जिसमें लगभग 1475 महिलाएं शामिल हुई। महिला जागरूकता और महिला सशक्तिकरण की भावना से संस्था द्वारा उनके साथ सगोष्ठी, नाटक, नृत्य, प्रतियोगिता, रेस, खेलकूद, बैनर, चर्चा, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से कई आयोजन ह

दिव्यांग युवाओं को सशक्त बनाना : अवसरों का सृजन परिवर्तन की प्रेरणा

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हमारे देश में आज बहुत तरक्की कर ली है। विभिन्न प्रकार के कार्य सभी के लिए है जिसमें वह अपनी आय अर्जित कर सकें। गांव में समाज में ऐसे बहुत से विकलांग जन है जिनके पास किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं। ऐसे दिव्यांगों का सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है और उनकों रोजगार के लिए प्रेरित किया भी जाता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इनके साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण कराए जाते हैं, जिसमें परचूनी की दुकान, पंचर की दुकान, सब्जी दुकान, कौशल विकास के कार्य, हाथ करधा कार्य, हस्तशिल्प, बागवानी, कंप्यूटर शिक्षा, बिजली फिटिंग कार्य, व्हीकल रिपेयरिंग व और भी कार्य कराए जाते हैं। यह सभी कार्य उनके कौशल को बढ़ाते हैं और क्षमतावधऺन करते हैं। इससे उनमें कार्य कुशलता बढ़ती है। इस कार्य की सीख और उसे स्थापित करने से रोजगार पनपता है और उनका आर्थिक विकास भी होता है।  इस कार्यक्रम का उद्देश्य विकलांग युवाओं को व्यावसायिक कौशल निर्माण और प्लेसमेंट समर्थन निर्माण के माध्यम से वितिय रूप में स्वतंत्र जीवन जीने में सक्षम बनाना है। कौशल निर्माण और रोजगार सहायता की दिशा में निदेशित प्रयासों के माध्यम से प्रशिक्षु

दिव्यांग बच्चों को सशक्त बनाना: अभिनव घर-आधारित शिक्षा पहल

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा विकलांग बच्चों के साथ कई कार्यक्रम किए जाते हैं। इनमें इन्हें घरेलू बेसिक शिक्षा भी दी जाती है जो बच्चे विकलांगता के कारण स्कूल जाने में असमर्थ हैं। उन्हें स्पेशल एजुकेटसऺ के माध्यम से उन्हें घर पर ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। गंभीर रूप से बहु दिव्यांग बच्चों को होम बेस्ड शिक्षा के लिए दर्जनों सामग्रियों से उन्हें समझाया जाता है। इनमें लकड़ी, प्लास्टिक के विभिन्न मॉडल अंग्रेजी व हिंदी में अल्फाबेटिक नंबर, नंबर आकर, आकृतियों का पहला, शरीर के अंग, फल, सब्जियां, यातायात साधनों के चार्ट, विभिन्न प्रकार के पैग बोर्ड, म्यूजिकल इक्विपमेंट, किचन व डॉक्टर सेट विभिन्न प्रकार के हिस्टोरिकल चाटऺ, पशु पक्षियों के चार्ट काउंटिंग फ्रेम सहित सामग्रियां होती है। इस कार्यक्रम में उनके आत्मनिर्णय शक्ति को बढ़ाया जाता है और शारीरिक क्रियाकलाप से गतिविधियां भी कराई जाती है जिससे उनकी मांसपेशियों में खिंचाव हो और वह शारीरिक क्रियाएं कर सके। यह सकारात्मकता को बढ़ावा देती है। व स्वयं कार्य करने की क्षमता का वधऺन करती है। उनके साथ सामाजिक बनकर भावनात्मक लगाव रखें, जिससे व

समर्थन और सहायता : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समाज सेवाओं की अद्वितीय पहल

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था सदा ही दिव्यांगों के कार्य हेतु प्रयासरत में प्रत्यनशील है। समाज के इस उपेक्षित वर्ग को हमेशा किसी न किसी मदद की आवश्यकता रहती ही है। हमारे द्वारा की गई एक जरा सी मदद से उनके विकास की कुछ राहें संभव हो जाती है। हमारे गांव व समाज में कई दृष्टिबाधित, मूकबधिर, तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों का जिनके जीवन यापन के लिए स्वयं का ना तो कोई साधन है और ना ही व किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं जिससे वह समस्या से घिरे रहते हैं। व आर्थिक रूप से भी सशक्त नहीं होते कि स्वयं की समस्या हल कर सके। विकलांग का मुख्यता निम्न प्रकार की होती है। दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित,वाक बाधित, चलन बाधित, मानसिक रोगी, मानसिक मंदता वह बहु विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति होते हैं। विकलांगता में व्यक्तियों को अनेक प्रकार की चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कारण से मन में निराशा, हताशा आदि के भाव आना स्वाभाविक होता है। हम ऐसे तरीके खोजने पढ़ते हैं जिससे उनका मानसिक संतुलन बना रहे और वह अपनी मानवियता न खोये इसके लिए संस्था द्वारा ऐसे व्यक्तियों को चश्

समावेशी विकास: दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्धता

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ विकलांगता दिवस मनाया जाता है। समाज एवं विकास के प्रत्येक स्तर पर दिव्यांग लोगों के अधिकारियों और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 3 दिसंबर के दिन विश्व विंकलागता दिवस मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना है व विकृति से ग्रसित लोगों के साथ ही अन्य परिजनों को उनके अधिकार के लिए जागरूकता फैलाना है। इसको मनाने का एक और उद्देश्य उनके प्रति करुणा, आत्मसम्मान और जीवन को बेहतर बनाने का समर्थन और सहयोग दोनों करना है। इसके लिए राजस्थान समग्र कल्याण की टीम प्रत्येक गांव के दिव्यांग व उनके परिवार को ऐसे स्थान पर एकत्रित किया जाता है जहां पर उनको उठने बैठने की सुविधा मिल सके फिर उनके साथ पूरे दिन वहाँ कार्यक्रम किए जाते हैं व उनका मनोरंजन पूर्ण तरीके से सिखाया फिर समझाया जाता है। उनके साथ चचा, प्रश्नोत्तरी, चित्रकला, नृत्य, मनोरंजक गतिविधियां की जाती है और उत्साह वर्धन में उनकी अभिरूचिया जानी जाती है। उनके द्वारा तरह-तरह की

व्हीलचेयर: विकलांग बच्चे की आत्मसमर्थन की कुंजी व जीवन की राह सुगम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान विगत कई वर्षों से अजमेर के हर गांव में विकलांगता विषय पर काम कर रही है जिसमें दिव्यांगजनों को दी जाने वाली सहायता पर गौर किया जाता है। कई बार देखा जाता है कि दिव्यांगों को मूलभूत सुविधा मिलनी चाहिए इनसे वो वंचित ही रहते हैं। संस्था द्वारा ग्रामीण भागों में ऐसे लोगों का सर्वे कर उनकी आवश्यकता पर कार्य किया जाता है। कई कारणों से उनको कभी-कभी लाभ नहीं मिल पाता जिसमें गरीबी, अशिक्षा,असमर्थता व जानकारीयो का अभाव होता है। अधिकतर दिव्यांगों को निराशा पूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता है जिससे उनमें  हीनभावना का जन्म होता है। इस विकार को दूर करना समाज के लिए बेहद जरूरी है। मेरा नाम जींवराज है। मैं फुटकर मजदूरी करके अपना घर चलाता हूं। मेरे तीन बच्चे और पत्नी हैं। मेरा सबसे बड़ा बेटा दोनों हाथ पैर से अपाहिज है। वो कहीं चल फिर नहीं सकता। उसे किसी न किसी सहारे की आवश्यकता होती है और मैं उसका इलाज करवाने में में असक्षम हूं। इस बात का मुझे बहुत दुख होता है। फिर हमारी पंचायत में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आई। उन्होंने मेरे घर का सर्वे कर मेरी स्थिति जानी और मुझे मदद

सामाजिक न्याय की दिशा में - निराश्रित और निशक्त व्यक्तियों के लिए सहायता

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा गांव-गांव में निशक्त,असहाय, विकलांग, अपाहिज, नेत्रहीन, बेसहारा, विधवा महिलाऐं, कुष्ठ रोगियों व गरीब निराश्रित व्यक्तियों के लिए बहुत सारे कार्य किए जाते हैं जो समाज में माननीय सेवा को दर्शाता है। इस वर्ग में सभी लोगों को किसी न किसी मदद या आवश्यकता की जरूरत है। किसी के लिए किया गया एक छोटा सा कार्य उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें नई राहें अग्रसर करता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम द्वारा इस कार्य को बेहद रूचि पूर्ण तरीके से पूर्ण किया जाता है जिसमें इन वर्ग के लोगों का पहले सर्वे किया जाता है। फिर इनको क्रमबद्ध तरीके से रखकर उनकी आवश्यकताओं की जानकारियां ली जाती है और उनकी मदद की जाती है। संस्था द्वारा अभी तक 367 दिव्यांग लोगों के साथ मिलकर उनके कई दस्तावेज पूर्ण करवाये जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र, भामाशाह कार्ड, आरोग्य कार्ड, जन आधार कार्ड, विकलांगता प्रमाण पत्र आदि बनवाए गए हैं। संस्था ने सर्वे के दौरान पाया ऐसे बहुत से दिव्यांग है जिनके पास मूलभूत कागजात भी उपलब्ध नहीं है। इसके ना होने से उनको जरूरत के हिसाब से मिलने

सुगम्यता को सशक्त बनाना : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ऑनलाइन परिवहन सुविधाएं

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दिव्यांगजन अपनी विकलांगता के कारण कहीं आवागमन नहीं कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस असमर्थकता से वह सभी बहुत विवश हो जाते हैं। समाज में निवासित ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकार व संस्थाएं कई प्रयास में कार्य कर रही है जिसके तहत उनको पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाई जाए। जिसके लिए वो हकदार है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इसी संन्दभऺ में विकलांगों के बस पास और रेल पास बनवा कर उन्हें आवागमन की सुविधा और रियायतें दिलवाती है। उसके लिए कुछ ही दस्तावेज की आवश्यकता होती है जैसे रियायत प्रमाण पत्र,विकलांगता प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र,आधार प्रमाण पत्र, पत्ते का सबूत पासपोर्ट साइज फोटो, इन सभी के द्वारा आनलाईन आवेदन कर सकते हैं | ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्रहीन, निशक्तजन, विकलांग, वरिष्ठ नागरिकों और स्वतंत्रता सेनानियों को रोडवेज व रेलवे पास के लिए अब जाना नहीं पड़ेगा। यह सुविधा अब ऑनलाइन हो गई है। प्रत्येक मूक व बधिर व्यक्ति के साथ यात्रा करने वाले मार्गरक्षीको को एकल यात्रा टिकट में सीजन टिकट पर वही रियायत देय है। इसमें 40 परसेंट विकलांगता या उससे अधिक दिव्यांकत

वंचितों का उत्थान - आशा और सम्मान के माध्यम से कमज़ोर समुदायों को सशक्त बनाना

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मेरा नाम भेरूलाल है और मैं बहुत गरीब और विकलांग व्यक्ति हूं। मेरे घर में मेरी मां मेरे साथ रहती है। वह भी काफी बुजुर्ग है। इस असमर्थता के कारण हमारी माली हालत बहुत ही खराब है। कुछ छोटा मोटा कार्य करके हम जैसे तैसे गुजारा कर लेते हैं। मेरी इस स्थिति को मैंने अपने सरपंच के सम्मुख रखा। फिर उन्होंने बताया कि राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा गरीब, अपाहिज़, विकलांग,निराश्रित,विधवा महिलाओं को संस्था की तरफ से रसोई खाद्यान्न हेतु राशन सामग्री वितरण किया जाऐगा जिसको प्राप्त करने पर उनको कुछ सहायता मिलेगी। यह गांव के उन सभी व्यक्तियों को मिलेगा जिनको वास्तव में इसकी बहुत जरूरत है। इस बात को सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। फिर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम द्वारा हमारे गांव में सर्वे करने आई जिसमें मैंने अपना नाम लिखवाया जिसके लिये उन्होंने राशन कार्ड व आधार कार्ड की प्रति मांगी। उसके कुछ दिनों बाद ग्राम पंचायत पर हम सभी  असहाय, निशक्त, बेसहारा, विकलांग, अपाहिज, व गरीब व्यक्तियों को राशन सामग्री का वितरण किया गया, जिसमें सभी को आटा, दाल, चावल, खाद्यान्न तेल, मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया,

आशा की किरण: जीवन में परिवर्तन मेरी कहानी

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  मेरा नाम सुरेश है, मैं सरवाड़ गांव में रहता हूं। मैं पोलियो के कारण एक हाथ और एक पैर से अपाहिज़ हूँ घर में माता-पिता है जो काफी बुजुर्ग है। विकलांगता के कारण मैं कुछ भी कार्य करने में असमर्थ हूं। इस बात से सभी चिन्तित है कि मैं स्वयं का भरण पोषण कैसे कर पाऊंगा। अपनी बात को किससे कह पाऊंगा। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम हमारे गांव में आई और उन्होंने गांव के सभी दिव्यांगों का सर्वे कर उनकी जरूरत से पूछी। मैंने अपनी सभी बातें उनको बताई। फिर संस्था द्वारा मेरा UDID कार्ड ,दिव्यांगता प्रमाण पत्र,व पेंशन फॉर्म भर गया। दिव्यांगों को दी जाने वाली पेंशन में लाभ उठाने के लिए कम से कम विकलांग व्यक्ति को 40℅ विकलांगता का सर्टिफिकेट देना होगा। विकलांग पेंशन योजना के तहत लाभार्थियों को प्रदान किए जाने वाली धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में सरकार द्वारा ट्रांसफर की जाएगी। इसके लिए आवेदक का अकाउंट होना जरूरी है। यह एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए इसमें लाभार्थी का फॉर्म भरा जाता है। इसमें लाभार्थी को ₹500 पेंशन दी जाती है। यह कोई बड़ी रकम तो नहीं लेकिन विकलांग लोग को अपनी निजी वस

स्वतंत्रता की ओर बढ़ना: विकलांगता सशक्तिकरण के साथ मेरा अनुभव

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विकलांगता का एक अभिशाप नहीं अपितु एक शारीरिक विकलांगता है जो किसी अंग के काम न करने की वजह से होती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा विकलांगता को दूर करने हेतु कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं जिसमें उन व्यक्तियों को ट्राई साइकिल वितरण हेतु आवेदन पत्र भरकर उन्हें दिलवाने का कार्य करना भी इसमें शामिल है जो शारीरिक रूप से आवागमन नहीं कर सकते, जिन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे दिव्यांगों का सशक्तिकरण होता है। इस ट्राई साइकिल को प्राप्त करने हेतु आवेदक के पास सभी दस्तावेज उपलब्ध होने चाहिए। जैसे 1- दिव्यांगता प्रमाण पत्र 2-पासपोर्ट साइज फोटो 3-आवेदक का स्कैन किया हुआ हस्ताक्षर 4-वर्तमान में शिक्षण संस्थान का दिव्यांग प्रमाण पत्र 5- बैंक पासबुक की छाया प्रति 6- जाति प्रमाण पत्र 7-आधार प्रमाण पत्र 8- स्थाई निवास प्रमाण पत्र होना चाहिए। यह सभी दस्तावेज ऑनलाइन पोर्टल पर भर सकते हैं। इसके बाद विभागीय जांच के बाद उन्हें ट्राई साइकिल मिल जाएगी। मेरा नाम गिरधारी लाल है। मैं जन्म से दोनों पैरों से विकलांग हूं। वह कहीं आ जा नहीं सकता। इसके लिए किसी का सहारा लेना पड़ता है। मैं अभी कक्षा

विकलांगता को समर्थन - राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की सामाजिक और शारीरिक गतिविधियां

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  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा गांव में विकलांग व्यक्तियों के साथ विभिन्न कार्यक्रम करवाए जाते हैं। इसमें शारीरिक रूप से सक्षम बच्चों के साथ कई गतिविधियां कराई जाती है, जिसमें सर्वप्रथम अन्वेषण किया जाता है। फिर उनके साथ व्यवहारिक होकर उनसे चर्चा की जाती है जिसमें उनकी जगह नाम भाषा अभिरुचि की जानकारी ली जाती है। जब व्यक्ति स्वतंत्राओं के घुल मिल जाता है तब उसके बाद उसके संग खेल को मनोरंजन चर्चाएं यह कार्यक्रम किए जाते हैं। इसमें उनके संग खेल खिलानाखेल के माध्यम से कौशल विकास करना, उनका आत्मविश्वास जगाना उन्हें कहीं घूमने हेतु ले जाना प्रकृति के सभी विषयों के बारे में जानकारी देना, स्वच्छता विश्वास के संबंध विस्तार पूर्वक बताना जल के साथ कार्यक्रम करना, शिक्षा, संबंधीय ज्ञान या बातों का विस्तार करना इसमें शामिल है। विकलांग व्यक्तियों को वो अक्सर नहीं मिलते जो सक्षम व्यक्तियों को मिलते हैं, लेकिन जैसा कहा जाता है। आप कभी भी अपनी तीव्र इच्छा को बहुत लंबे समय तक दबाकर नहीं रख सकते। आप जो जीवन में हासिल करना चाहते हैं, उसमें बाधाएं अवश्य आती है और आप उन बाधाओं को दूर कर सकते हैं

सरकारी योजनाओं का लाभ: विकलांगता पहचान कार्ड का महत्व

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मेरा नाम गिरीश है, मैं सरमालिया गांव का निवासी हूं। मेरा एक पैर व एक हाथ पूणऺत विकलांग है। मेरी उम्र 26 वर्ष की है। मेरे पास मेरी विकलांगता से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है और मैं पूर्णतया अपने घर वालों पर आश्रित हूं। इस बात को मुझे बहुत बुरा लगता है। इस बात का पता मुझे तब चला जब राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम मेरे घर आई और मुझसे बातचीत की वह बताया मुझे सर्वप्रथम UDID कार्ड बनवाना होगा। उसके बाद यह सब प्रक्रिया प्रारंभ होगी | कयोंकि UDID कार्ड को स्वावलंबन कार्ड भी कहा जाता है। आसान शब्दों में कहे तो यह विकलांगता पहचान पत्र है जो भारत में रहने वाले विकलांग जनों के लिए एक बहुत जरूरी दस्तावेज है। यदि आपने ये नहीं बनाया तो आप की पहचान छुपी हुई है। इसका सरकार द्वारा ऑनलाइन पोर्टल बनाया हुआ है जहां से कोई भी व्यक्ति अपने कार्ड के लिए आसानी से घर बैठे आवेदन कर सकता है। इस फॉर्म में 4 भाग हैं। 1- व्यक्तिगत विवरण 2- विंकलागता विवरण 3-रोजगार विवरण 4- पहचान विवरण इस फॉर्म की सभी प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर आपको मैसेज या ईमेल के जरिए सूचना मिल जाती है। आपको ई एन नंबर दिया जाता है और उस

शिक्षा की राह पर दिव्यांगता के पार : राजस्थान के विकलांग स्कूटी योजना का उपयोग

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मेरा नाम अर्चना है। मैं अजमेर के पास कायड़ ग्राम में रहती हूं। मेरे दोनों पैर जन्म से पोलियों से ग्रसित है और मैं 12वीं कक्षा पास हूं। मेरे पास कॉलेज जाने के लिए आगे कोई साधन नहीं है। इसके कारण अपने आगे की शिक्षा जारी नहीं कर पाऊंगी। मैं इस बात से बहुत हताश थी परंतु एक दिन मुझे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों ने बताया राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान विकलांग स्कूटी योजना के तहत 50% से अधिक दिव्यांगों को स्कूटी दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य विकलांग छात्रों को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने के लिए प्रदान की जा रही है जिससे शिक्षा प्राप्ति में उनके आवागमन में कोई परेशानी ना हो सके। सरकार द्वारा गांव में जो विकलांग छात्र सरकारी स्कूल में उच्च शिक्षा में अध्ययन कर रहे हैं जो आसानी से ना जा पा रहे हो, जिन्हें चलने फिरने में तकलीफ हो, यह सुविधा उन्हें दी जाएगी। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा जानकारी पाकर मैं अपना नाम इस योजना के अंतर्गत लिखवा लिया। इसमें कोई भी दिव्यांग ऑनलाइन या ऑफलाइन फॉर्म भर सकता है। यह तकनीकी रूप से एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें सभी दस्तावेज की पूर्ति क

विकलांगता से स्वावलंबन की ओर : मेहनत और साहस की कहानी

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मेरा नाम आफताब है। मेरा गांव श्रीनगर में है मैं एक पैर से पूर्णतया विकलांग हूं और 12वीं क्लास तक पढ़ा हूं। मेरे पास अभी कोई कार्य नहीं है। बेरोजगारी के कारण मेरी स्थिति बद से बदतर हो गई है। घर पर हालात सही नहीं है। इस समस्या से मैं ग्रस्त हो गया था। कुछ दिन बाद राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के बारे में पता चला जो विकलांग जनों के लिए कई कार्य करती है। सरपंच की सहायता से मैंने उनसे संपर्क किया और अपनी पूरी व्यथा उनके सम्मुख रखी। संस्था प्रतिनिधियों द्वारा मुझे आश्वस्त किया गया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना के अंतर्गत मेरे सभी दस्तावेज लगाकर फॉर्म भरा | इस योजना के तहत आय सृजन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाली किसी भी गतिविधि को शुरू करना है। इसमें लाभार्थी को किफायती दरों पर ऋण प्रदान किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और समग्र सशक्तिकरण के लिए रियायती की ऋण प्रदान करके जरूरतमंद दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता करना है। यह ऋण रोजगार ,शिक्षा, डिप्लोमा, कौशल विकास के लिए दिया जाता है  संस्था प्रतिनिधियों ने बताया इसके लिए विकलांग व्

विकलांगता प्रमाणन के साथ मेरी यात्रा - मान्यता द्वारा परिवर्तन

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा वैसे तो बहुत सारे सामाजिक, मानवीय, व पर्यावरणीय कार्य करती है, परंतु इनमें एक विषय है  विकलांगता यह विकलांगता प्रमाण पत्र किसी भी व्यक्ति की विकलांगता और उसकी गंभीरता को प्रमाणित करने वाला सरकारी दस्तावेज है। भारत में यह प्रमाण पत्र अमूमन सरकारी अस्पतालों में गठित चिकित्सीय समिति द्वारा दिया  जारी किया जाता है। विकलांगजन के लिए यह एक जरूरी दस्तावेज है क्योंकि उन्हें मिलने वाली हर सरकारी सुविधा और लाभ इसी प्रमाण पत्र के आधार पर मिलते हैं। केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही विकलांग व्यक्तियों के लिए अनेक सुविधाओं का प्रबंध करते हैं। इनमें से किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति के पास विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। मेरा नाम श्रवण है। मुझे जन्म से ही दोनों पैरों से पोलियो हो गया था मैं चलने फिरने में असक्षम था। जानकारी न होने की वजह से मैंने अपना विकलांगता प्रमाण पत्र भी नहीं बनवाया जिससे मुझे किसी भी तरह का कोई सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा था। इस वजह से मैं और भी हताश था। फिर एक दिन हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आ

वर्मीकंपोस्ट: ग्रामीण काश्तकारों के लिए एक समृद्धि का स्रोत

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  हमारा भारत पशु प्रधान देश है। हमारे ग्रामीण भागों में कई दुधारू पशु पाए जाते हैं। इनमें प्राप्त मल अपशिष्ट व्यर्थ में फेंक दिया जाता है क्योंकि आजकल हमारे पास कृषि के लिए यूरिया का डीपीएस व रासायनिक पदार्थ उपज को बढ़ाने हेतु डाले जाते हैं जिससे इंसानों में लिवर, फेफड़ों व किडनी की बीमारियां बनती है। इसके बचाव के लिए ग्रामीण काश्तकारों को केंचुए से बनी वमीऺ कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। यह पूरी तरह उर्वरक क्षमता से भरपूर है। पोषण पदार्थ से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कंपोस्ट में बदबू नहीं होती और इससे मक्खी मच्छर भी नहीं बढ़ते हैं।  इस बदलते पर्यावरण में कीटनाशकों के रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से हमारी धरती का उपजाऊपन लगातार नष्ट होता जा रहा है जिससे कुछ समय ये बाद जमीन बंजर हो रही है। उसकी इसकी क्षमता बढ़ाने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर गांव में काश्तकारों के लिए यह वर्मी कंपोस्ट खाद्य निर्माण कार्यक्रम कराए गए हैं। इसमें यह बताया गया है। किस तरह हमें इसका निर्माण

पर्यावरण संरक्षकों का पोषण करना : राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के शैक्षिक प्रयास

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर सरकारी स्कूलों में बच्चों के साथ पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाए जा रहे हैं, जिसमें इस बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण के बारे में एक सामाजिक जागरूक संदेश प्रतिपादित किया जा रहा है कि हमारी प्रकृति में पर्यावरण की कितनी आवश्यकता है। इस कार्यक्रम को और भी अधिक सरल बनाने के लिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बच्चों के साथ फोटोग्राफी, निबंध, लेखन, वाद विवाद, पोस्टर, सेल्फी, रैली, चित्रकला प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी व कई माध्यम से और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा कराई गई इन गतिविधियों का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है जिससे सभी छात्र-छात्राओं द्वारा उत्साह पूर्वक इसमें भाग लिया जाता है। हमारा पर्यावरण कई माननीय कारणों से प्रदूषित हो रहा है जिसमें वृक्षों को काटना, औद्योगिक कचरों का नदियों में बहाना,प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग,पानी का दुरुपयोग, धुएं से वायु प्रदूषण होना, कीट नाशक से मिट्टी की उपजाऊपन  का नष्ट होना, भू क्षरण व कई खतरनाक गैसों के रिसाव से हमारा पर्यावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण जागरूकता का अर्थ है।

ग्रामीण विकास का प्रशांत पथ: वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण

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मेरा नाम देवा गुर्जर है। मैं दौराई में सरपंच के पद पर कार्यरत हूँ यहां पर खेतों की संख्या बहुत अधिक है परंतु वृक्ष बहुत ही कम है सामुदायिक भवन, शमशान भूमि, ग्राम पंचायत व स्कूलों में वृक्षों का अभाव है। यहां वृक्षों की संख्या बिल्कुल नगण्य हैं। ग्राम पंचायत के अनुमोदन पर यहां सभी जगह वृक्ष लगाने का कार्य स्वीकृत किया गया जिसमें अजमेर की राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे इस कार्य में भरपूर सहयोग दिया गया। वह इसे हरा-भरा बनाने हेतु संस्था द्वारा वृक्षों का वितरण भी किया गया। संस्था द्वारा पहले सभी जगह गड्ढे खुदवाए गए क्योंकि जो भी धरती की गर्मी है वह बाहर निकल जाए जिससेे यह पौधे जल न जाए, फिर उसमें गोबर खाद डालकर कुछ दिनों तक यूं ही रख दिया जाता है ताकि सभी तत्व आपस में मिल जाये । उसके बाद ग्रामवासी,नरेगा श्रमिक ,संस्था प्रतिनिधि में जनसेवकों द्वारा हमारे गांव में सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीणों में वृक्षों की देखभाल और पर्यावरण के प्रति लगाव को करवाने हेतु किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र से आए कृषि वैज्ञानिकों

भारत में गौरैया संरक्षण का महत्व: एक सामुदायिक प्रयास

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भारत में पाई जाने वाली गौरैया एक बहुत सामाजिक पक्षी है। यह पक्षी झुंड बनाकर रहता है और सामुदायिक आवास करता है। यह बहुत छोटे और प्रभावी होते हैं। यह विभिन्न प्रकार की जलवायु में रह सकते हैं। यह उन भागों में भी ज्यादा मिलते हैं जहां छोटे-मोटे कीट पतंगे होते हैं जिनको यह अपना भोजन बनाती है। यह सभी प्रकार का भोजन खा जाती हैं, जिसमें दाना,पानी,फूल रस आदि होते हैं। यह वर्ष में दो बार प्रजनन कर 5 से 6 अंडे देती हैं। यह बहुत घरेलू पक्षी है। यह मुख्यतः उत्तरी अफ्रीका ,यूरोप,एशिया में पाई जाती है। यह एक छोटी चिड़िया है जो हल्के भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। गौरैया बीज,अनाज,और लार्वा को भी खाती है और प्रभावी  किट नियंत्रक एजेंट साबित होती है। परागकण पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो गौरैया द्वारा की जाती है क्योंकि वे अपने भोजन की खोज के दौरान पौधों के फूलों पर भी जाती हैं और परागकणों को स्थानांतरित करने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करती है। बार-बार चहकने की आवाज से इनको आसानी से पहचाना जा सकता है। उनकी प्रजनन क्षमता उपनगरों व गांव में अधिक है जहां छोटे-मोटे कीट-पतंगों की प्रचुरता है। ज

पेड़ों को गले लगाना: पर्यावरण सदभाव और सामुदायिक कल्याण का मार्ग

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हमारी धरती पर जो पर्यावरण ,प्रकृति ,पेड़ पौधे ,जीव जंतु हैं, वह ब्रह्मांड में कोई और ग्रह पर नहीं है। इसलिए इसकी विशेषता और अधिक बढ़ जाती है। वृक्ष हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी है। इनसे हमें वायु, लकड़ी, फल, औषधि आदि प्राप्त होते हैं। इससे गर्मी का बचाव होता है और भू क्षरण वधूल आदि की समस्या भी बचाव होता है। यह बढ़ते तापक्रम को रोकने में सहायक है और इसकी अधिकता से वर्षा भी अधिक होती है। यह प्रदूषण को नष्ट करने में हमारी सहायता प्रदान करते हैं और प्राण वायु को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। वक्षों में नाना प्रकार के जीव जंतु पशु पक्षियों का आवास होता है। यह मिट्टी के कटाव की समस्या को भी खत्म करते हैं। इनसे हमारा पारिस्थितिक संतुलन भी बना रहता है और यह मरुस्थलीकरण को भी रोकता है। यह प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। पेड़ प्रकृति का बहुत बड़ा वरदान है। मेरा नाम अनिल शर्मा है। मैं एक कृषि विज्ञानी हूं और पींसागन के ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देता हूं हमारे यहां ग्रामीण काश्तकारों को फलदार वृक्षों का वितरण कार्यक्रम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द

पर्यावरण बचाओ - जल संरक्षण जल स्वच्छता कार्यक्रम

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जल ही जीवन है, यह जीवन का आधार है। हमारी संपूर्ण धरती पर 71 % हिस्सा पानी से ढका हुआ है, जबकि 1.6% अपनी जमीन के नीचे है और 0.01% में वाष्प व बादल के रूप में है। इनमें से पीने योग्य पानी धरती पर मात्र 2.7 % ही है। जीवन के लिए उनकी आवश्यकता बहुत जरूरी है परंतु इंसान द्वारा धरती को छेद- छेद कर इसका विद्वोंहन लगातार हो रहा है। जिसे जमीनी पेयजल खत्म होता जा रहा है और जल धरती के और नीचे तक जाता जा रहा है। पर्यावरण में लगातार प्रदूषण की वजह से हमारा पेयजल दूषित हो रहा है। मानव औद्योगिक कचरा में मल मूत्र और अन्य रासायनिक पदार्थ सब नदियों में डालकर मीठे पानी  पेयजल का सर्वनाश कर रहे हैं। धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी है क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। पूरे ब्रह्मांड में एक अपवाद के रूप में धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है क्योंकि धरती इकलौता ऐसा ग्रह है जहां जल और जीवन दोनों मौजूद है। धरती पर सभी जीवों के लिए जल एक बहुमूल्य संपदा है। जल हमारी बुनियादी जरूरत में से एक है। साफ पानी के स्रोत जनसंख्या की तुलना में बहुत कम रह गए

किचन गार्डन: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक संकल्प

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की तरफ से बागवानी कार्यक्रम के तहत किचन गार्डन कार्य भी किया जाता है  किचन गार्डन में अपने घर के पिछवाड़े में रसोई के अपशिष्ट जल का उपयोग करके फल और सब्जियां उगाना शामिल है। इसे किचन गार्डन माना जाता है। यह सब्जी उगाने का एक छोटे पैमाने का रूप है। किचन गार्डनिंग से हमें ताजी सब्जियां और हब्सऺ घर पर ही मिल जाती है। इन्हें बाजार से लाने की जरूरत नहीं पड़ती। यह बिना कीटनाशक वाली होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती है। किचन गार्डनिंग करने से हम प्रकृति में पर्यावरण का पोषण भी करते हैं क्योंकि इससे हरियाली बढ़ती है, पर्यावरण स्वच्छ रहता है। यह कार्य कम खर्च वह बिना रखरखाव के भी पूरा हो जाता है। इसे लगाने हेतु ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती। इससे हमें ऑर्गेनिक फूड मिलता है। हम अपने किचन गार्डन में टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी पालक, मैथी, गोभी, बैंगन, पुदीना, धनिया आदि लगा सकते हैं। इसमें बस गमले में मिट्टी डालकर उसमें गोबर खाद और कुछ सूखी पत्तियां डाल दें व खुरपी चलाकर इनमें सब्जी के बीच रोप दें। इसमें इनमें ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है

बालकों के साथ पर्यावरण बचाओ: शिक्षा और सकारात्मक प्रेरणा

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मेरा नाम रजनीश सांखला है। मैं दिलवाड़ा सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल हूं। हमारे स्कूल में इस वर्ष अनेकों मुद्दों पर स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ विभिन्न कार्यक्रम किए गए। इसी संदर्भ में अजमेर की प्रतिष्ठित राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा एक दिवसीय पर्यावरण बचाओ कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को फूल के बीजों का वितरण किया गया। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को यह बताना है की प्रकृति और पर्यावरण मानवता के लिए कितनी आवश्यक है। जीवन के संचार में इनका अभूतपूर्व योगदान है और इसके द्वारा पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना भी है जिससे यह हमारी नई पीढ़ी इनका अच्छे से रखरखाव कर सके वह इसका मूल्य समझ सके। इस कार्यक्रम में बच्चों को पोस्टर,सेल्फी,व्याख्यान,चर्चा,प्रश्नोत्तरी,चार्ट,व अन्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों के साथ इस जानकारी साझा किया। वह सभी को विभिन्न कार्य स्कूल में करवाए गए जैसे पेड़ों के चारों तरफ साफ करके गड्ढा करना, पौधों को पानी पिलाना,साफ सफाई करना,खरपतवार हटाकर उनमें फूलों के बीज डालना,स्कूल के अपशिष्ट पानी का रास्ता साफ कर पेड़, पौधों की तरफ करना,आदि कार्य से पर्यावरण के प्रत

पर्यावरण संरक्षण - पेड़ लगाओ धरती बचाओ

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वृक्ष जीवन है पर्यावरण की आत्मा है वृक्ष , इसलिए हमें धरती पर सभी वनस्पतियों का रखरखाव करना चाहिए। बिना वृक्ष के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं। हम तभी पूर्ण है जब यह संख्या में ज्यादा हो , पूरी धरती के जीवों की प्राणवायु हमें इनसे ही प्राप्त होती है। संपूर्ण मानव जाति का जीवन बस इसी पर ही टिका है। मानवीय जरूरत के लिए इसके लगातार विदोहन ने हमें विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समय रहते इसका संरक्षण जरूरी हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में 10 वृक्ष लगाकर उसका पालन- पोषण कर उन्हें पालना चाहिए। इससे धरती पर वृक्षों की संख्या बढ़ेगी और मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। मेरा नाम देवराज गुर्जर है और मैं परीक्षा  ब्रिक्चियावास सरपंच हूं। हमारा ग्राम निर्मल ग्राम है। हमने सरकार और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के साथ मिलकर सड़कों के किनारे छायादार पेड़ व कृषक भूमि में लगाने हेतु फलदार वृक्षों का वितरण कराया जिससे हमारे गांव को स्वच्छ व निर्मल प्राणवायु प्राप्त होती रहे , मृदा का अपरदन ना हो सके, धरती में नमी की मात्रा बड़े , कटाव की समस्या का निवारण हो , उपजाऊता बड़े, वह धरती में पानी संधा

मेहनत और ईमानदारी से स्वरोजगार की ओर: रुकमा की यात्रा

 मेरा नाम रुकमा है। मैं पीसांगन गांव में रहती हूं। मेरा परिवार बेहद गरीब है। मेरे तीन लड़कियां हैं। मेरे पति कभी कभी फुटकर मजदूरी करते हैं। मैं भी मजदूरी करके अपना घर चलाती हूं। मैं जैसे तैसे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाई हेतु भेज रही हूं जिससे वह साक्षर हो सके। मुझे एक दिन पंचायत से पता चला कि हमारे यहां राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा स्वयं सहायता समूह का कार्यक्रम करवाया जा रहा है। मैंने उसमें भाग लिया और एक समूह से जुड़ी धीरे-धीरे मुझे इसकी बारीकियाँ समझ में आने लगी और मैं अपनी छोटी-छोटी बचत उसमें जमा करने लगी और आपसे ऋण सहयोग से अपने घर की जरूरत को पूरा कर उस ऋण को चुकाने लगी। फिर संस्था द्वारा स्वरोजगार हेतु बैंक से हमें एक बड़ा लोन करवाया गया जिसको 2 वर्ष में पूर्ण अदा करना था। मैंने उन पैसों से अपनी एक लकड़ी की केबिन बनवाई और उसमें मनिहारी ( महिला श्रृंगार ) का सामान विक्रय करने लगी। मुख्य बाजार में मेरी केबिन होने की वजह से मेरी आमदनी अच्छी खासी होने लगी। धीरे-धीरे फिर और सामान मैंने अपनी केबिन में डाला। अब मुझे प्रति माह 10000 से 12000 की आय प्राप्त होने ल

जीवन की रक्षा में एक कदम आगे: गांव के बच्चों के साथ अजय की पहल

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  मेरा नाम अजय चतुर्वेदी है। मैं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जेठाना में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हूं। हमारी धरती जीव -जंतु ,पशु -पक्षी सभी से भरी पड़ी है। इस बदलते पर्यावरण परिवेश में आजकल पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे हमारी वनस्पतियां व पशु-पक्षी का जीवन बहुत ही संकटमय में स्थिति में आ गया है। इसका मुख्य कारण हम मनुष्य ही हैं जो अपने निजी स्वार्थ हेतु इस पर्यावरण का विनाश कर रहे हैं। परंतु समाज के कुछ बुद्धिजीवों द्वारा उसको रोकने का आवश्यक प्रयास किया जा रहा है। इसी संदर्भ में हमारे गांव के स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा कई चिड़ियाघर लगाये गये। इसके बचाव हेतु उनके द्वारा बच्चों के साथ एक कार्यक्रम भी किया गया, जिसमें बच्चों को प्रायः हमारे घर पर मिलने वाली बंया पक्षी के बारे में बताया जो पहले अक्सर घरों के आसपास,खेतों में,ऑफिस में,व हर जगह जहां पेड़ बहुतायत होते हैं। वहां बहुत सी संख्या में मिल जाती थी। परंतु अब प्रकृति के विनाश और पर्यावरण विदोहन के कारण इनकी संख्या लगभग नगण्य सी हो गई है। संस्था द्वारा सभी बच्चों को बताया गया किस तरह इन छो