चिड़िया घर वितरण पर्यावरण सहयोग कार्यक्रम



राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्व्रारा सेव द बर्ड ( चिड़ियाघर ) वितरण  कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमे नन्ही बया को विलुप्ति से बचाने व् इनकी संख्या में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा रहा है। पहले हमारे घर के आस पास और सही जगह सुबह शाम इनकी संख्या बहुतायत देखी जाती थी परन्तु प्रदूषण , कीटनाशक उपयोग ,वायुमंडल  में जलवायु परिवर्तन व् मानवीय हस्तछेप  के चलते इनकी संख्या निरंतर गिरती जा रही है राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्व्रारा इनको बचाने का प्रयास इस कार्यक्रम के तहत जारी है। 


बया बहुत छोटा सा नन्हा पक्षी है यह कुछ भी खाकर अपना जीवन यापन कर लेता है इस पक्षी का परिस्तिथिक तंत्र में बहुत योगदान है यह छोटे छोटे कीट पतगे खाकर फसलों से होने वाले नुक्सान से हमें बचाती है और यह प्राणी एक सामाजिक प्राणी है संस्था द्व्रारा जो भी पर्यावरण प्रेमी या पक्षी प्रेमी होता है उसको संस्था एक चिड़ियाघर ,एक पानी का पात्र , एक फीडर वयवस्था उपलब्ध करवाती है जिसमे जीवन यापन अच्छे से हो सके व् उनको भोजन हेतु अपने खोंसले से दूर न जाना पड़े और ये अपनी वंश वर्द्धि अच्छे से कर सके। 


चिड़ियाघर अधिकतर ऐसे ऊंचे ठंडक वाले स्थान पर लगाने चाहिए जहा से उनको कोई परेशानी न हो सके। धुप व् बरसात से उनका बचाव हो सके व् भीगे न और भोजन शुलभता से प्राप्त हो जाये। ऐसे स्थिति में वो अच्छे से फल फूल सकती है। यह जिस घर में भी अपना घर बनाती है उसे सौभाग्यशाली माना जाता है। यह बाग़ बगीचे ,पेड़ पौधे वाले स्थानो पर अपना आवास बनाती है। या फिर इमारतों के ऊंचे स्थान पर इनके घर प्राय देखने को मिल जाते है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का यह कार्य प्रयावरणिये जीव रक्षा के लिए बहुत ही सराहनीय है किसी बेजुबान जीव की रक्षा करना व् उसके जीवन को बचाने हेतु अथक प्रयासो की कोशिश प्रकर्ति सहयोग में बहुत महत्वपूर्ण है। इस छोटे से कार्य के कारण हम किसी विलुप्त हो रही प्रजाति को आसानी से बचा सकते है। इस कार्य हेतु मानवीय सहयोग का होना अति आवश्यक है सभी के सहयोग के कारण ही हम पर्यावरण संतुलन बना पाएंगे। और  फिर एक बार अपने घर को चहकता हुआ देख पाएंगे।


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