आत्मनिर्भरता जीवन का सशक्त पहलू



भारत वर्ष में परिधान ( कपडे ) का बहुत महत्व है भारतीय महिलाओ की इसमें विशेषता रूचि होती है  जो की महिलाओ द्वारा किया जाने वाला सबसे अधिक प्रचलित कार्य है। इस कार्य में सभी महिला रुचिपूर्ण तरीके से यह कार्य करने व् सिखने की इच्छुक होती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष युवा वर्ग की महिलाओ के साथ यह कार्यक्रम संचालित करती है जिसमे लगभग 25 से 30 महिलाये शामिल होती है। यह कार्यक्रम लगभग 3 माह अवधि का होता है। जिसमे उनको कपडा की कटिंग ,सिलाई ,तुरपाई ,बटन लगाना ,पिको ,कशीदा ,किनारीपट्टी लगाना आदि सिखाया जाता है। मास्टर ट्रेनर इस कार्यो को बड़ी निपुणता  के साथ उस सभी को बारीकी से सिखाते है जिसमे वो इस कार्य में पारंगत हो सके।


संस्था के इस कार्यक्रम  में मास्टर ट्रेनर द्वारा सभी को महिलाओ के वस्त्र व् बच्चो के वस्त्र सिलना सिखाये गए। जिसमे बलाउज ,पेटीकोट ,कुर्ती ,पजामा ,फॉर्क ,शर्ट ,नेकर ,इत्यादि थे। सर्वप्रथम मास्टर ट्रेनर द्वारा सभी आकर के फर्मे काट लिए जाते है फिर उन फर्मो की मदद से कपडे को आकार दिया जाता है और फिर उसे सिला जाता है और सर्वप्रथम छोटे छोटे आकार के कपडे के मॉडल बनाये जाते है। ताकि हाथ साफ हो सके  ,उसके बाद इस कार्य धीरे बढ़ाया जाता है। महिलाओ का रुझान इस कार्यक्रम को आगे और गति प्रदान करता है। घर पर रहकर स्वय का रोजगार प्राप्त करना आज के समय में सबसे अच्छा वयवसाय है। जिसमे किसी तरह की कोई भी असुविधा महिलाओ को नहीं होती है।  


इस वयवसाय को प्रारंभ करने में किसी को भी बड़ी पूंजी की अवश्यकता नहीं होती है हाथों में अगर अच्छी निपुणता हो तो वो कम पूंजी में भी वो अपना व्यवसाये चालू कर सकते है काम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाला का कार्य है। भारत में कई महिलाओ के द्वारा इस कार्य को बड़ी तल्लीनता व्  शालीनता से इस कार्य को पूरा किया जाता है इस से प्राप्त आय से भी वो उसकी आजीविका का सहारा बनती है और वो भी अपने परिवार के आर्थिक गतिविधियों में पूर्णता अपना योगदान व् सहयोग देती है और अच्छे से अपना जीवन यापन करते है।  


 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष ऐसी कई महिलाओ को सीखा कर दक्ष किया जाता है और उनको आजीविका के लिए प्रेरित किया जाता है। ताकि वो भी समाज  की मुख्य धारा में शामिल होकर अपना जीवन सफल बनाये।

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